डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ED के अधिकारों से जुड़ा एक फैसला सुनाया है. इसके तहत ED के जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति को जब्त करने के अधिकार को बरकरार रखा गया है. इन दिनों भी ED से जुड़े कई मामले चर्चा में हैं एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से ED की पूछताछ चल रही है तो दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी भी ED की रिमांड पर हैं. इससे अलग भी अक्सर ही ED ने की रेड, ED ने की गिरफ्तारी...जैसी खबरें सामने आती रहती हैं. अब जानते हैं आखिर ये संस्था है क्या, क्यों इस संस्था को भी रेड और गिरफ्तारी जैसे अधिकार दिए गए हैं- 

ED क्या है?
ED का मतलब है Enforcement Directorate इसे हिंदी में प्रवर्तन निदेशालय के नाम से भी जाना जाता है. यह संस्था भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत आती है. 1 मई 1956 को इस संस्था का गठन किया गया था. अब मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में  इसके पांच मुख्य कार्यालय हैं.

क्या काम करती है ED?
यह संस्था मुख्य रूप से विदेश से जुड़ी संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग, आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामलों की जांच करती है. मूल रूप से देश में होने वाले वित्तीय अपराधों से जुड़े मामलों की जांच करने का काम इस एजेंसी के पास होता है. 

क्या हैं ED के अधिकार?
ED पहले Foreign Exchange Regulation Act  (FERA) 1973 के अंतर्गत कार्य करता था. 1999 में Foreign Exchange Management Act ( FEMA ) लागू कर दिया गया. इसके बाद FEMA से जुड़े सभी मामले ईडी के अधिकार क्षेत्र में कर दिए गए. अब FERA (1973) और FEMA (1999) से जुड़े सभी अधिकार ED के अंतर्गत आते हैं. 

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ED के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया है फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तारी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी (ED) ऐसे मामलों में किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी अगर ऐसे मामलों में गिरफ्तारी करती है तो यह उसकी मनमानी नहीं है. कोर्ट ने पीएमएलए से जुड़े प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देनी वाली कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है. 

ईडी को रेड, जब्ती और गिरफ्तारी का हक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी को सिर्फ गिरफ्तारी का कारण बताना पर्याप्त है. इसके लिए आरोपी को वारंट की कॉपी देना भी जरूरी नहीं है. अब छापेमारी, जब्त करना, गिरफ्तार, बयान दर्ज करना, ज़मानत की सख्त शर्तें इन सबको कोर्ट ने बरकरार रखा है. 

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बिना पेपर दिखाए अरेस्ट कर सकती है ये संस्था, सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई अधिकारों
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बिना पेपर दिखाए अरेस्ट कर सकती है ये संस्था, सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई अधिकारों  पर मुहर, आखिर है क्या ED?