डीएनए हिंदीः ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस (Gyanvapi mosque) में वाराणसी की जिला अदालत अपना फैसला सुना चुकी है. कोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में सुनाते हुए माना कि उसकी याचिका सुनने के लायक है. वहीं अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसकी दलील थी कि ज्ञानवापी पर 1991 का वर्शिप एक्ट लागू होता है. यानी ज्ञानवापी के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. अब मामले में हिंदू पक्ष की याचिका पर आगे सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. 22 सितंबर को अगली सुनवाई होगी. जिला अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया. इसमें दलील थी कि ज्ञानवापी पर 1991 का वर्शिप एक्ट लागू होता है. कोर्ट के इस फैसले से कई और मामलों में भी तकरार आगे बढ़ सकती है. 

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट?
इस कानून को 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार के समय बनाया गया था. Places of Worship Act के तहत 15 अगस्‍त 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म के उपासना स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. इस कानून में कहा गया कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है. कानून के मुताबिक आजादी के समय जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा. 

ये भी पढ़ेंः  कुतुबमीनार परिसर में पूजा की इजाजत पर आज होगी सुनवाई, जानें क्या है पूरा मामला?

क्यों बनाया गया कानून?
दरअसल 1991 के दौरान राम मंदिर का मुद्दा काफी जोरों पर था. देश में रथयात्रा निकाली जा रही थी. राम मंदिर आंदोलन के बढ़ते प्रभाव के चलते अयोध्या के साथ ही कई और मंदिर-मस्जिद विवाद उठने लगे. इससे पहले 1984 में एक धर्म संसद के दौरान अयोध्या, मथुरा, काशी पर दावा करने की मांग की गई थी. इन्हीं मुद्दों को लेकर सरकार पर जब दवाब बढ़ने लगा तो इसे कानून को लाया गया.   

कानून में किन-किन बातों का है प्रावधान?
कानून में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति इन धार्मिक स्थलों में किसी भी तरह का ढांचागत बदलाव नहीं कर सकता है. इसका मतलब ना तो इन्हें तोड़ा जा सकता है और ना ही नया निर्माण किया जा सकता है. कानून में यह भी लिखा है कि अगर ये सिद्ध भी हो जाए कि वर्तमान धार्मिक स्थल को इतिहास में किसी दूसरे धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाया गया था, तो भी उसके वर्तमान स्वरूप को बदला नहीं जा सकता है. इसके अलावा धार्मिक स्थल को किसी दूरे पंथ से स्थल में भी नहीं बदला जाएगा. 

अयोध्या मंदिर को रखा गया इससे अलग
हालांकि इस कानून से अयोध्या विवाद को दूर रखा गया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि यह मामला अंग्रेजों के समय से कोर्ट में था ऐसे में इसे इस कानून से अलग रखा जाएगा. 

ये भी पढ़ेंः  श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में आज मथुरा की अदालत में होगी सुनवाई, जानें अब तक क्या-क्या हुआ?

कहां-कहां विवाद

ज्ञानवापी मस्जिद: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद है कि इसे मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. 

ताजमहल: आगरा में ताजमहल को लेकर दावा है कि यहां पहले शिवमंदिर था. ऐसे में तेजोमहालय के लेकर नया विवाद छिड़ा है. 

शाही ईदगाह मस्जिद: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बराबर में स्थित इस मस्जिद भी मंदिर को तोड़कर बनाने का दावा किया गया है.  

भोजशाला: धार में हिंदुओं के मंदिर पर मस्जिद बनाने का मामला विवाद में है. यहां नमाज पर रोक लगा पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की जा रही है. 

कुतुबमीनार: दिल्ली में कुतुबमीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ रखने की मांग की जारी है. यहां भी हिंदू मंदिर का दावा किया जा रहा है.

अटाला मस्जिद: जौनपुर में अटला देवी के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा किया गया है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
what effect Gyanvapi masjid decision on other cases which religious places are in dispute know everything
Short Title
ज्ञानवापी के फैसले का और किन मामलों में होगा असर
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
कई धार्मिक स्थलों पर विवाद चल रहा है.
Date updated
Date published
Home Title

ज्ञानवापी के फैसले का और किन मामलों में होगा असर, किन-किन धार्मिक स्थलों पर है विवाद, जानें सबकुछ