डीएनए हिंदी: हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा में ई-विधानसभा सिस्टम लागू किया गया है. यह एक एप्लिकेशन है जिसके जरिए संसद और प्रदेश के सभी राज्यों विधानसभा की पूरी कार्यवाही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव उपलब्ध रहेगी. इस बार विधानसभा में 37 सीटें भी बढ़ाई गई हैं. हर एक सीट पर टैबलेट लगाया गया है. ई-विधानसभा या डिजिटल विधानसभा अब तक देश के कई राज्यों में लागू हो चुका है.
क्या है NeVA प्लैटफ़ॉर्म
नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन विधायिका की कार्यवाही के डिजिटलीकरण की व्यवस्था है. यह एक एप्लिकेशन है जहां एक ही प्लैटफ़ॉर्म पर संसद और विधायिका की कार्यवाही ऑनलाइन देखी जा सकती है. विधायकों और सांसदों से पूछे प्रश्नों और उनके जवाब भी इस प्लैटफॉर्म पर ऑनलाइन देखे जा सकते हैं. पीएम मोदी ने इस योजना के लिए वन नेशन वन लेजिस्लेशन का नारा दिया था.
ई-विधान प्रणाली में पेपरलेस विधानसभा का संचालन किया जाता है. इसमें विधानसभा सत्र के दौरान पूछे जाने वाले सभी प्रश्न ऑनलाइन और उनके उत्तर भी ऑनलाइन दिए जाते हैं. बजट भी ऑनलाइन पेश किया जा रहा है. पेपर की बचत के साथ ही पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया की महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में यह एक बड़ा कदम है.
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अब तक इन राज्यों में ई-विधानसभा लागू
उत्तर प्रदेश से पहले बिहार और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में यह सुविधा लागू हो चुकी है. बिहार देश का पहला राज्य है जिसने ई-विधानसभा सिस्टम शुरू किया. केरल और नागालैंड में भी ई-विधानसभा व्यवस्था लागू हो चुकी है.
नागालैंड पूर्वोत्तर का पहला राज्य है जहां यह प्रक्रिया लागू की गई है. इन राज्यों में सभी विधायकों की सीट पर एक टैबलेट लगाया है ताकि डिजिटल कार्रवाई की जा सके. उत्तर प्रदेश में पिछले महीने बजट सत्र की शुरुआत में डिजिटल विधानसभा की शुरुआत की गई थी.
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डिजिटल विधानसभा के क्या हैं फायदे
इससे विधानसभा की पूरी कार्यवाही पेपरलैस हो सकेगी और कागज की भारी बचत होगी. साथ ही, यह डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.
एक ही प्लैटफॉर्म पर नागरिकों के लिए विधानसभा और संसद की कार्रवाई, जीरो ऑवर, शून्यकाल, प्रश्नकाल, सवाल और जवाब उपलब्ध होंगे.
विधायिका और नागरिकों के बीच पारदर्शिता बढ़ाने के लिहाज से यह बहुत बड़ी पहल साबित हो सकती है.
क्लाउड टेक्नोलॉजी (मेघराज) की बदौलत डेटा कहीं भी और कभी भी एक्सेस किया जा सकता है.
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ई-विधानसभा की व्यवस्था में हैं कई चुनौतियां
इंटरनेशनल पार्लियामेंट्री यूनियन एक संगठन है जिसके 170 से ज्यादा संसदीय देश सदस्य हैं. भारत भी इस संगठन का सदस्य है. 2018 की अपनी रिपोर्ट में इस संस्था ने इस व्यवस्था में आने वाली रुकावटों का जिक्र किया था. दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल करना मुश्किल हो सकता है. ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में बिजली के साथ इंटरनेट और डिवाइस की भी समस्या रहती है.
इसी संस्था ने 2020 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सुरक्षा कारणों और पर्याप्त ट्रेनिंग के अभाव में इस व्यवस्था को ठीक तरीके से लागू कर सकना भी एक बड़ी चुनौती है.
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E-Vidhan Sabha क्या है, किन राज्यों में हो चुकी लागू और क्या हैं इसके फायदे, समझें सब कुछ