डीएनए हिंदी: वर्चुअल वर्ल्ड में साइबर क्राइम (Cyber Crime) की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. जरा सी चूक का फायदा उठाकर साइबर ठग आपको कंगाल कर सकते हैं. जयपुर शहर के चित्रकूट के इलाके में एक शख्स को ऑनलाइन लिंक पर क्लिक करना भारी पड़ा है. ठगों ने एक ऑनलाइन लिंक (Email Phishing) भेजा था जिस पर क्लिक करते ही सतीश कुमार रावत नाम के एक शख्स के 2 लाख रुपये गायब हो गए.
साइबर ठग हर बार हर ग्राहक को ठगने के लिए अलग-अलग पैटर्न अपनाते हैं. कभी फिशिंग मेल के जरिए ठगी की जाती है तो कभी ओटीपी के जरिए. जयपुर का यह मामला भी कुछ ऐसा ही है. पूरा केस जानने से पहले आइए समझते हैं क्या होता है साइबर क्राइम?
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क्या होता साइबर क्राइम?
साइबर क्राइम ऐसी क्रिमिनल एक्टिविटी है जिसमें कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क के जरिए ठगी की जाती है. साइबर अपराधी इसके जरिए प्राइवेसी से लेकर पैसे तक उड़ा ले जाते हैं. डेटा हैकिंग, फिशिंग मेल, ओटीपी फ्रॉड और मोबाइल फ्रॉड, सेक्सटॉर्शन जैसे तमाम अपराध हैं जिन्हें साइबर अपराधी अंजाम देते हैं. साइबर क्राइम से जुड़े मामलों को पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां दोनों देखती हैं.
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अगर ठगी का शिकार हों तो क्या करें?
अगर आप किसी भी तरह के साइबर क्राइम का शिकार होते हैं तो www.cybercrime.gov.in लिंक पर जाकर अपनी शिकायत रजिस्टर करा सकते हैं. पुलिस स्टेशन में जाकर आप साइबर सेल में भी अपने खिलाफ हुई धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दे सकते हैं. साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 155260 पर की जा सकती है.बैंक अकाउंट से जुड़े फ्रॉड के मामले भी यहीं दर्ज कराए जा सकते हैं.
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साइबर सेल में कैसे करें शिकायत?
अगर आपके साथ बैंकिंग फ्रॉड हुआ है तो अपना बैंक अकाउंट, ट्रांजैक्शन डीटेल्स और अपने बैंक कार्ड से संबंधित विवरण पुलिस को दें. अगर आपके पास सबूत के तौर पर स्क्रीन शॉट्स हैं तो उन्हें भी दें. जैसे ही आप ऑनलाइन कंप्लेन दर्ज कराते हैं आपकी एक आईडी क्रिएट होती है. आईडी और पासवर्ड याद रखें. पुलिस बैंक से संपर्क करती है. कई मामलों में पैसे रिकवर हो जातें है, कई मामलों में ऐसा कर पाना नामुमकिन हो जाता है.
कैसे कठघरे में लाए जा सकते हैं साइबर अपराधी?
साइबर क्राइम से जुड़े ज्यादातर मामले IT एक्ट 2000 के तहत चलते हैं. अपराधियों के खिलाफ धारा 43, 65, 66 और 67 के तहत केस चलते हैं. IPC की धारा 420, 120बी और 406 के तहत भी केस चल सकता है.
क्या बैंकिंग फ्रॉड के शिकार लोग वापस पा सकते हैं पैसे?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के मुताबिक अगर आप बैंकिंग फ्रॉड के शिकार हुए हैं तो 90 दिनों के भीतर संबंधित बैंक को अपने साथ हुई घटना के बारे में सूचित करें. कैसे फ्रॉड हुआ है, इसकी जानकारी बैंक को जरूर दें. अगर आपकी लापरवाही की वजह से पैसे नहीं कटें हैं तो पूरा पैसा बैंक रिफंड करने के लिए बाध्य है. अगर आपके ओटीपी या जरूरी विवरण शेयर करने की वजह से फ्रॉड हुआ है तो जितनी रकम गई है उसे बैंक रिफंड करे यह जरूरी नहीं है. बैंक को सूचना देने के बाद भी अगर फ्रॉड होता है तब आपके पैसे रिफंड हो सकते हैं.
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साइबर फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें?
सोशल मीडिया पर अपनी गोपनीय जानकारियां कभी न शेयर करें. किसी भी स्थिति में ओटीपी किसी के साथ शेयर न करें. एक ओटीपी शेयर करने की वजह से आप कंगाल हो सकते हैं. ऐसे कई मामले आए हैं जब लोगों ने ओटीपी और बैंकिंग विवरण शेयर कर लाखों गंवाए हैं. डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का पिन, सीवीवी नंबर किसी के साथ शेयर न करें. आधार और पैन कार्ड के विवरण भी किसी से शेयर न करें.
जयपुर में शख्स ने गंवाए थे एक क्लिक में 2 लाख
सतीश कुमार रावत नाम के एक शख्स ने 8 जुलाई को DTC कूरियर के एक सामान ऑर्डर किया था. 3 दिन तक जब सामान नही पहुंचा तो उसने गूगल से नंबर सर्च करके कूरियर कंपनी के पास कॉल किया. इस दौरान कस्टमर केयर से कूरियर असाइनमेंट का नंबर पूछा गया. शिकायतकर्ता को गुमराह करके एक लिंक भेजा गया. कुछ डीटेल्स भरने के बाद उसके खाते से 2 बार में 99-99,000 रुपये काट लिए गए. तीसरा मैसेज 20 हजार रुपये कटने का आया. साइबर ठगों ने 10 मिनट में शिकायतकर्ता के खाते से 2,00,000 रुपये उड़ा दिए. चित्रकूट पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
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साइबर अपराधों से बचने के लिए लोगों को ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है. समय-समय पर अपने बैंक से साइबर अपराधों से बचने के तरीकों के बारे में जानकारी हासिल करते रहें. जागरूकता ही फ्रॉड से बचने में मदद कर सकती है. (शरद पवार के इनपुट के साथ)
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क्या है साइबर क्राइम, ठगों ने आपके खाते से उड़ाए पैसे तो क्या करें?