डीएनए हिंदी: नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के 28 ट्रेनिंग पर्वतारोहियों का एक ग्रुप उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी का डंडा शिखर पर हिमस्खलन में फंस गया था. अब वहीं से 10 लोगों के शव बरामद किए गए हैं. 18 लोग, अभी भी लापता हैं. भारतीय सेना के जवान, पर्वतारोहियों के रेस्क्यू में जुट गए हैं. NDRF, ITBP और दूसरे बचावकर्मियों की कई टीमें मौके पर पहुंची हैं. उत्तरकाशी में 13,000 फीट की ऊंचाई पर फंसे पर्वतारोहियों को बाहर निकालने में मुश्किलें सामने आ रही हैं. हाल के दिनों में पर्वतीय राज्यों में हिमस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं.
हिमस्खलन की घटनाओं के बढ़ने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग से लेकर पहाड़ों पर अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन तक इन आपदाओं को दावत दे रहे हैं. कई पर्यावरणविद् इस विषय में चिंता जाहिर कर चुके हैं कि इन दुर्गम इलाकों में होने वाले निर्माण भविष्य में पहाड़ों की पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बदल देंगे. हाल के दिनों में हिमस्खलन की बढ़ती घटनाएं इशारा तो इसी ओर कर रही हैं.
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उत्तराखंड में हिमस्खलन की घटनाएं ज्यादा हो रही है. केदारनाथ घाटी में ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. उत्तराखंड सरकार ने बढ़ते प्रकृति के प्रकोप की वजह तलाशने के लिए एक टीम भी गठित की है. यह टीम बढ़ते हिमस्खलन के कारणों पर शोध करेगी.आइए समझते हैं कि क्यों घाटी में हिमस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं.
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इस वजह से लगातार बढ़ रही हैं हिमस्खलन की घटनाएं
केदारनाथ में लगातार हो रहे हिमस्खलन की एक वजह, वहां हो रहा अंधाधुंध निर्माण है. निर्माण की वजह से पर्वतों की भौगोलिक संरचना का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. यह हर दिन बड़ी त्रासदी की वजह बन रहा है. जब मैदानी भागों में बारिश होती है, तब ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी होने लगती है.
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उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में हैंगिंग ग्लेशियर हैं, जैसे ही बर्फबारी शुरू होती है तो बादलों के कण आसपास के इलाकों में फैलने लगते हैं. उत्तरकाशी और केदारनाथ ऐसे इलाके हैं, जहां बर्फीले तूफान भी आते हैं. ऐसे में यह कई बार विनाशकारी साबित होते हैं. इन्हें व्हाइट डेथ भी कहते हैं.
क्यों होता है हिमस्खलन?
सामान्यतौर पर हिमस्खलन आने की कई वजहें होती हैं. जब भौगोलिक स्थिति और वहां के वनक्षेत्र में कोई बदलाव होता है, तब भूस्खलन की आशंका बढ़ जाती है. दूसरी वजह हिमपात के दौरान बर्फ की मोटाई में आया परिवर्तन. अगर हवा इस दौरान इन इलाकों में तेज चली तो हिमस्खलन हो सकता है. भूकंप और कंस्ट्रक्शन की वजह से भी हिमस्खलन होता है. हिमस्खलन बड़ी त्रासदी लाने में सक्षम होता है. सियाचिन से लेकर लाहौल तक ऐसे कई उदाहण हैं, जब बड़ी संख्या में लोगों की मौत हिमस्खलन से हुई है.
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कैसे होता है हिमस्खलन?
1. जिन क्षेत्रों में बड़े-बड़े पर्वतीय ढालान होते हैं, वहां भी हिमस्खलन की घटनाएं ज्यादा होती हैं. जैसे ही बर्फबारी होती है, बर्फ ढालानों से फिसलने लगती है. बर्फ के छोटे-छोटे कण जम नहीं पाते और बड़ा हादसा हो जाता है.
2. कई बार बर्फ की बड़ी-बड़ी स्लैब इन्हीं ढालानों पर प्राकृतिक कारणों से गिर जाती हैं. गिरते ही ये तेजी से नीचे की खिसकने लगती हैं, जो देखते-देखते तूफान में बदल जाता है. इसकी वजह से भी बड़ी तबाही मचती है.
3. जब पर्वतीय क्षेत्रों में आंधी आ जाती है, तब भी भीषण तबाही मचाही है. दरअसल बर्फ के छोटे-छोटे कण और बर्फ के बड़े स्लैब, मिलकर आकार में बड़े हो जाते हैं. उनके निचले हिस्से में बर्फ और हवा का सघन घनत्व बन जाता है. जब इनमें परिवर्तन होता है तो ढलान पर बेहद तेजी से फिसलने लगते हैं. ऐसी हिम स्खलन भी तबाही मचा सकते हैं.
4. जब बर्फ के बड़े-बड़े कई स्लैब एकसाथ किसी उत्परिवर्तन की वजह से खिसकने लगते हैं और अपने-साथ ये मलबा, चट्टान और अवसाद साथ लेकर खिसकते हैं, तब बड़ी त्रासदी मचती है. इनका असर मैदानी भागों तक भी देखने को मिल सकता है. ये बर्फ की सैलाब को जमीन तक लाने में सक्षम होते हैं.
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Uttarkashi Avalanche: हिमस्खलन की क्यों होती है घटना, क्या-क्या होती है वजहें?