DNA Exclusive: हिंदुस्तान में आज दिल्ली सल्तनत और मुगलों की जिन इमारतों को लेकर बहस छिड़ी हुई है, हैरानी की बात  है कि भारत सरकार को इन्हीं इमारतों से सबसे अधिक कमाई होती है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के शीर्ष पांच राजस्व पैदा करने वाले स्मारक सभी मुस्लिम शासकों द्वारा बनाए गए थे. ताजमहल, आगरा किला, कुतुब मीनार, फतेहपुर सीकरी और लाल किला वे इमारतें हैं जिनसे भारत सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है. इन इमारतों कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के शासकों ने किया था, बाकी का निर्माण मुगलों ने किया था.  

किस इमारत से कितना राजस्व?
साल 2019-2020 में ताजमहल से कुल 97.5 करोड़ रुपये और 2021-22 में कुल 26.61 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. 
ताजमहल से भारत सरकार को कुल 132 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई)  के मुताबिक कुल राजस्व का 24 प्रतिशत अकेले ताजमहल से प्राप्त हुआ है. दिल्ली में लाल किला और कुतुब मीनार जैसी अन्य जगहों से 2021-2022 में क्रमशः 6.01 करोड़ रुपये और 5.07 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ है. आगरा किला से 2017-18 में 30.55 करोड़ रुपये की कुल कमाई वाला स्थल रहा. वहीं, फतेहपुर सीकरी से 19.04 कोरड़ रुपये का राजस्व  प्राप्त हुआ.  

हंगामा क्यों है बरपा?
अजमेर की मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर का दावा करने वाले हिंदू सेना अध्यक्ष विष्णु गुप्ता DNA हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि ये हमारी इमारतें थीं, जिन्हें साजिशन हमारा नहीं होने दिया गया. अब समय आ गया है कि इन्हें वापस लिया जाए और इनका पुराना नाम इन्हें दिया जाए. वे हर विलास शारदा की किताब का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि 1911 में उन्होंन जो किताब लिखी उसमें इस दरगाह में मंदिर का जिक्र है. हम उसी को आधार मानकर अपना हक मांग रहे हैं.

'संरचनाओं के तोड़ने के पीछे राजनीतिक मंशा'
जामिया मिलिया इस्लामिया में विजिटिंग फैकल्टी सरफराज नासिर कहते हैं कि ये बात सच है मुसलमान शासन काल में कई सारे मंदिर तोड़ने के ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद हैं. कहा जाता है कि दिल्ली सल्तनत के समय कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के खंभों में हिंदू वास्तुकला दिखाई देती है. इसमें कलश, फूल हैं. इसमें इतिहासकारों में डिबेट है कि क्या मंदिर को तोड़कर बनाया गया या फिर मंदिर समय के साथ टूट चुका था. इसके बाद पुननिर्माण में मस्जिद बनाने में मंदिरों के अवशेषों का इस्तेमाल किया गया. मंदिर सिर्फ मुगलों ने नहीं मराठा और राजपूतों ने भी मंदिर तोड़े. इन मंदिरों को तोड़ने का कारण सोने को लूटना था. मुगलों ने सिर्फ मंदिरों को तोड़ने का फरमान जारी नहीं किया बल्कि बनाने का भी जारी किया था. गुवाहटी में बना कामाख्या का मंदिर को बनाने का फरमान भी मुगल काल में दिया गया था.  

'इमारतें मुसलमानों की थीं पर मेहनत हिंदुस्तानियों की थी'
जब इस्लाम आया तब उनका धर्म, विश्वास, आर्किटेक्चर और संस्कृति सब साथ आई. हिंदुस्तान में मस्जिद, मीनार और मकबरा का कॉन्सेप्ट पहले नहीं था लेकिन मुसलमानों के आने के बाद ये आर्किटेक्चर सामने आया. आज ये आर्किटेक्चर सिर्फ मुसलमान आर्किटेक्चर में ही नहीं बल्कि हिंदू बिल्डिंग्स में भी दिखता है. भारत में इंडो-इस्लामिक का पूरा कल्चर था. इमारतें बेशक मुसलमान शासकों ने बनवाईं लेकिन उन्हें बनाने वाले तो भारतीय थे. हिंदुस्तान में बनाई जाने वाली इमारतों की सामग्री भारत की है. ये संरचनाएं हमेशा से बहस का मुद्दा रही हैं. धार्मिक संरचनाएं इसलिए बनती और बिगड़ती हैं क्योंकि इसके पीछे राजनीतिक मंशा होती है, इसमें धार्मिकता नहीं है. इनका धर्म से कोई लेना -देना नहीं है.

'इमारतें धर्मनिरपेक्षता का उदाहरण'
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर नदीम रिजवी कहते हैं कि हिंदुस्तान में कई ऐतिहासिक इमारतें ऐसी हैं जिनमें इंडो-इस्लामिक शैली की झलक मिलती है. जो हिंदुओं और मुसलमानों में कला के आदान-प्रदान को दिखाती हैं. आज अयोध्या में सरयू के किनारे जितने भी मंदिर बने हैं उनमें गुंबद दिखाई देते हैं. वे दूर से मस्जिद जैसे दिखते हैं. बाद में उसी गुंबद के स्टाइल का इस्तेमाल हवेलियों, मंदिरों, मस्जिदों में भी हुआ. आज की तारीख में वास्तुकला को जो मजहबी रूप देने का काम हो रहा है वो इतिहास के साथ खिलवाड़ है. इमारतें सिर्फ धर्मनिरपेक्षता ही नहीं बल्कि गंगा-जमुनी तहजीब को भी दिखाती हैं. हुमायुं का मकबरा, आगरा और दिल्ली का लाल किला, ताज महल, आगरा की ज्यादातर इमारतें हैं सब मुगल हैं. लोधी गार्डन के मकबरे-कुतुब कॉम्प्लेक्स के आसपास मकबरे हैं, वे मुगलों से पहले के हैं. इन सभी इमारतों में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला दिखती है.  


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'मोदी-योगी औरंगजेब से बड़ी खता कर रहे;
नदीम रिजवी आगे कहते हैं कि आज मोदी-योगी जो बात कर रहे हैं वे औरंगजेब से भी बड़ी खता कर रहे हैं. 1991 में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप' एक्ट आया, जिसके तहत 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धार्मिक स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है. अब जो लोग सर्वे की मांग कर रहे हैं वे कानून का उल्लंघन कर रहे हैं.  

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The government earns the most from the historical buildings of Muslims which are the cause of uproar these minarets are an example of Ganga-Jamuni tehzeeb
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मुसलमानों की जिन ऐतिहासिक इमारतों पर हंगामा
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संभल
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मुगलों की इन इमारतों से सरकार को सबसे अधिक कमाई, फिर हंगामा क्यों बरपा है गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल मीनारों पर?

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दिल्ली सल्तनत और मुगलों के समय बनाई गईं ऐतिहासिक इमारतों से भारत सरकार को सबसे अधिक कमाई होती है.
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मुगलों की इमारतों से सरकार को कितनी कमाई?