डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के आर्टिकल 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है. 5 जजों की बेंच ने एकमत से फैसला देते हुए कहा कि यह एक अस्थायी प्रावधान था और भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊपर है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जल्द चुनाव कराने पर निर्देश दिया है, ताकि राज्य का दर्जा फिर से मिल सके. पीएम नरेंद्र मोदी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार के कदम पर सहमति जताई गई है. दूसरी ओर प्रदेश के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने कहा कि फैसला प्रदेश की जनता की उम्मीदों के खिलाफ आया है. हम कोर्ट के हर फैसले का सम्मान करते हैं और इसे मानेंगे.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ ने आर्टिकल 370 पर मामले की सुनवाई की. जस्टिस कौल और जस्टिस खन्ना ने कुछ बिदुओं पर अपनी अलग राय रखी और उसे पढ़ा भी, लेकिन संविधान पीठ ने 5-0 से एकमत फैसला दिया. संवैधानिक पीठ ने एकमत से स्वीकार किया कि प्रदेश के लिए आर्टिकल 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी. केंद्र सरकार को इस पर फैसला लेने का अधिकार है.
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चीफ जस्टिस ने कहा, आर्टिकल 370 अस्थायी प्रावधान था
चीफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि भारत में जम्मू-कश्मीर का विलय होने के बाद उसकी संप्रभुता खत्म हो गई थी. उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने को अवैध करार देते हुए कहा कि यह राष्ट्रपति की शक्ति के दायरों में निहित फैसला था. संसद के पास राज्य में शासन चलाने का अधिकार है और वह कानून भी बना सकता है. आर्टिकल 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी और केंद्र सरकार का इसे खत्म करने का फैसला सही है.
जस्टिस कौल ने कहा, 'राज्य के लोगों के जख्म भरेंगे'
जस्टिस कौल भी फैसला सुनाने वाले जजों में शामिल थे. मूल रूप से कश्मीर के रहने वाले जस्टिस कौल फैसला सुनाते हुए भावुक भी नजर आए. उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों को शिक्षा और रोजगार के अवसरों के लिए अपनी मिट्टी छोड़कर जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के कारण राज्य छोड़कर प्रवासी देश के अन्य हिस्सों में जाने को मजबूर हुए. स्थिति ऐसी हो गई थी कि सेना को बुलाना पड़ा और राज्य के लोगों ने इसकी बड़ी कीमत चुकाई है. अब वक्त है कि उन जख्मों को भरा जाए. उन्होंने यह भी कहा कि आर्टकिल 370 को हटाने का केंद्र का फैसला बिल्कुल सही था.
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लद्दाख बना रहेगा केंद्र शासित प्रदेश
आर्टिकल 370 को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले के साथ जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला था. चीफ जस्टिस ने कहा कि लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला रहेगा. उन्होंने सॉलिसिटर जनरल के तर्क का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी दलील के दौरान कहा था कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा फिर से दिया जाएगा.
चुनाव आयोग को मिली सिंतबर तक की डेडलाइन
सु्प्रीम कोर्ट ने साथ ही चुनाव आयोग को जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव कराने का आदेश दिया है, ताकि राज्य का दर्जा बहाल हो सके. कोर्ट ने इसके लिए 30 सितंबर 2024 की डेडलाइन भी तय कर दी है. चुनाव आयोग को स्थिति की समीक्षा कर निष्पक्ष चुनाव कराने का निर्देश दिया है.
पीएम मोदी ने फैसले पर जताया संतोष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सहमति जताई है और इसकी हमें खुशी है. नेशनल कॉनफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला खुद भी सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं. पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इस पर निराशा जताते हुए कहा कि प्रदेश के लोगों को फैसले से निराशा हुई है लेकिन हम कोर्ट के हर फैसले को स्वीकार करते हैं.
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आर्टिकल 370 पर 'सुप्रीम' फैसला, 5 प्वाइंट में समझें सारी बातें