डीएनए हिंदी: हाल ही में RBI ने ऋण और जमा अनुपात (Credit -Deposit Ratio) के आंकड़े जारी किए थे. ये आकंड़े बताते हैं कि किसी देश या राज्य में जमा कुल धन का कितना हिस्सा कर्ज के रुप में दिया जाता है.  राज्यों के हिसाब से आंकड़े देखने पर पता चलता है कि देश का पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से में परंपरागत रूप से ज्यादा कर्ज लिया जाता है. वहीं देश के पूर्वी और मध्य पूर्वी हिस्से में कर्ज लेने में संकोची रहा है. इसी बीच देश में पिछले 10 सालों में साल दर साल कर्ज और जमा के अनुपात में कमी देखी गई है.  

क्या होता है Credit–Deposit Ratio?  
क्रेडिट डिपोजिट रेशो बताता है कि कुल कितने जमा रुपयों के मुकाबले कितना कर्ज दिया जा चुका है. मार्च 2022 तक भारत का कुल क्रेडिट रेशो 72.1 है. इसका मतलब है कि कुल जमा 100 रुपयों में से 72 रुपये का कर्ज दिया जा चुका है.  

राज्यों के मामले में क्रेडिट डिपोजिट रेशो का महत्व  
साल 1992 में रिजर्व बैंक द्वारा जारी पेपर में बताया गया है कि C-D Ratio (ऋण-जमा अनुपात) से राज्यों में बैंकिंग के विकास और आर्थिक गतिविधियों को आंकने में मदद मिलती है. हालांकि इसके लिए राज्य में बैंकिंग गतिविधि के ऐतिहासिक स्तर और किसी राज्य में कृषि, औद्योगिक और आधारभूत ढांचे में विकास को भी मद्देजनर रखना चाहिए.

C-D अनुपात में आ रही है साल दर साल गिरावट  
पिछले 10 सालों से क्रेडिट डिपोजिट रेशो में कमी देखी जा रही है.  साल 2012 में C-D अनुपात 79% था. यह तब से हर साल कम होता जा रहा है. मार्च 2017 में ये गिरकर 73.8% पर पहुंच गया था. इसके दौरान बैंकों के NPA की वजह से बहुत से बैंकों के ऋण देने पर रोक भी लग गई थी. हालांकि साल 2019 में C-D रेशो 78.3% पर पहुंच गया था. कोविड के कारण साल 2021 में ये रेशो गिरकर 71.7 % तक पहुंच गया था. मार्च 2022 में इसमें मामूली सुधार हुआ और ये 72.1 % पर पहुंच गया है.  

  

इन राज्यों में जमा से ज्यादा कर्ज, बाकी राज्यों का हाल  
देश में आंध्र प्रदेश का C-D अनुपात 142.7 % का है. इसके अलावा दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडू और तेलंगाना में भी ये अनुपात 100% से ज्यादा है.  वहीं मध्यम श्रेणी में राजस्थान (81.7 %), महाराष्ट्र (77.8 %), मध्य प्रदेश (70.4%), छत्तीसगढ़ (70 %), कर्नाटक (64.3%), केरल (63.3%) और हरियाणा (60.7%) आते हैं.  50 प्रतिशत से कम C-D रेशो वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल (49%), उत्तर प्रदेश (46.4%) और बिहार (44.2%) और झारखंड (32.6 %) शामिल हैं.  वहीं पूर्वोतर भारत (46.1%) और पर्वतीय राज्यों उत्तराखंड (37.5%), हिमाचल प्रदेश (33.1%) में भी कर्ज जमा का अनुपात कम ही है.

क्या दिखाता है भारत का C-D रेशो मैप 

 

ग्राफिक्स में भारत के नक्शे के देखने पर पता चलता है कि देश को पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से में कर्ज और जमा का अनुपात बेहतर है. वहीं पूर्वी और मध्य पूर्वी भारत की  स्थिति संतोषनजक नहीं है.  कर्ज और जमा की अनुपात की स्थिति एक तरह से वहां की आर्थिक गतिविधियों का आईना भी दिखाती है. 
कोविड के बाद पहली बार बढ़ा कर्ज और जमा का अनुपात
साल 2019 के बाद से देखा जाए तो जहां उत्तरी क्षेत्र के राज्यों के C-D रेशों में 10 % की कमी आई है लेकिन अभी भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है.  

 

वही पूर्वोतर भारत के राज्यों में भी कर्ज और जमा का अनुपात 41.9 % से बेहतर होकर 46.4% तक आ गया है. इसके अलावा पूर्वी भारत में ये अनुपात 43.3% से बढ़कर 44.7% हो गया है. वहीं मध्य भारत में भी इसमें 1% का सुधार देखने को मिला है.  वहीं दक्षिणी राज्यों  में ये 94.2 % से कम होकर 87.6 % पर आ गया है. पश्चिमी भारत में ज्यादा गिरावट देखने को मिली है जहां पर C-D अनुपात 90.4% से गिरकर 77.5% पर पहुंच गया है.

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इन दक्षिण भारत के राज्यों में जमा से ज्यादा कर्ज, देश के पूर्वी हिस्से का है ये
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इन दक्षिण भारत के राज्यों में जमा से ज्यादा कर्ज, देश के पूर्वी हिस्से का है यह हाल