डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संविधान पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में आज यानी 17 अक्टूबर को फैसला सुनाएगी. इस फैसले पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. भारत सरकार ने समलैंगिक विवाह का विरोध किया है. सरकार का कहना है कि सेम सेक्स मैरिज की मांग शहरों में रहने वाले एलीट क्लास लोगों की है, जबकि ग्रामीण लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं है. दुनिया के 34 से ज्यादा देश समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे चुके हैं. भारत में भी इसे वैध करने की मांग लंबे समय से उठ रही है. लेकिन इसमें क्या अड़चनें आ रही हैं आइये समझते हैं.

सरकार का कहना है कि भारत में विवाह की परिभाषा में सिर्फ पुरष और महिला ही आते हैं. सेम सेक्स मैरिज की अनुमति मिलती है तो समाज में इसका गलत संदेश जाएगा. जो चीजें पर्दे के पीछे होती थीं वो खुले तौर पर होने लगेंगी. धार्मिक लोगों का कहना है कि वेद या शास्त्र में इस तरह के संबंधों का उल्लेख नहीं है. विवाह का उद्देश्य वंशवृद्धि होता है. अगर इस तरह के रिश्ते को लीगल मान्यता मिलेगी तो विवाह का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा. उनका कहना है कि  देश के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने और चली आ रही मान्यताओं के चलते इस मुद्दे पर बड़ी आबादी खुद को असहज पाती है. 

भारत में विवाह को लेकर बने कानून में हिंदू विवाह अधिनियम, ईसाई विवाह अधिनियम, मुस्लिम विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत बांटा गया है. लेकिन इनमें किसी में भी समलैंगिक जोड़े के बीच विवाह से संबंधित जिक्र नहीं है.

यह भी पढ़ें- मनीष सिसोदिया की बेल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट, 'ऐसे कैसे जेल में रख सकते हैं?'

LGBTQ समुदाय के पास क्या होंगे अधिकार?
सुप्रीम कोर्ट अगर आज समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के लिए कह देती है तो LGBTQ (लेस्ब‍ियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्व‍ीयर) समुदाय को कई अधिकार मिल जाएंगे. सबसे बड़ा अधिकार तो यही होगा कि वह सेम सेक्स मैरिज में शादी कर सकेंगे. इसके अलावा बच्चा गोद लेने का अधिकार, बीमा और विरासत जैसे मुद्दों में वह कानून लाभ ले सकेंगे. हालांकि, इसमें अड़चन इस बात को लेकर होगी कि जब किसी बच्चे को गोद लेते हैं तो उनमें से किसी को माता-पिता के रूप में मान्यता दी जाती है. लेकिन सेम सेक्स क्या होगा, इसको लेकर भी स्थिति साफ करनी पड़ेगी. 

इन देशों में समलैंगिक विवाह को मिल चुकी मान्यता

  • अमेरिका में 26 जून 2015 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी गई थी.
  • फ्रांस में 18 मई 2013 से समलैंगिक विवाह को वैध है.
  • जर्मनी में 1 अक्टूबर 2017 से सेम सेक्स मैरिज वैध है.
  • यूनाइडेट किंगडम के इंग्लैंड और वेल्स में 2014 से वेद है.
  • कनाडा ने 20 जुलाई 2005 को देशभर में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई.
  • अर्जेंटीना 15 जुलाई 2010 को समलैंगिक विवाह को अनुमति देने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश बना था.
  • ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, स्विट्जरलैंड  ने 2017 में एक राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह के बाद मान्यता देने वाला कानून पारित किया. 
  • दक्षिण अफ्रीका में इस कानून को लेकर काफी लंबी बहस चली लेकिन आखिरकार 30 नंबर 2006 को इसे कानूनी मान्यता दे दी.

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में क्या सुनाया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समलैंगिक जोड़ों के बीच रिश्तों को आपराधिक कृत्यों की श्रेणी से बाहर कर दिया था. इससे पहले समलैंगिक लोगों के बीच रिश्ता अपराध की श्रेणी में आता था. जिनके खिलाफ सामाजिक और कानूनी कार्रवाई की जाती थी. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने ऐसे संबंधों को अप्राकृतिक बताने वाली धारा 377 को निरस्त कर दिया था. LGBTQ (लेस्ब‍ियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्व‍ीयर) समुदाय के लोगों के लिए सर्वोच्च अदालत का यह फैसला ऐतिहासिक माना गया और उनके रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू हो गया. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर 

Url Title
Same sex marriage 34 countries legal Supreme Court verdict Indian gay and lesbian marriage know details
Short Title
समलैंगिक विवाह 10 देशों में वैध, फिर भारत में क्यों आ रही अड़चनें? समझें पूरी बा
Article Type
Language
Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Same Sex Marriage Case
Caption

Same Sex Marriage Case

Date updated
Date published
Home Title

समलैंगिक विवाह इन देशों में वैध, फिर भारत में क्यों आ रही अड़चनें? समझें 

Word Count
660