डीएनए हिंदी: अमेरिका, यूरोप और ज्यादातर पश्चिमी देशों को यह डर सता रहा है कि दुनिया, परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ी है. इस भय और आशंका की सबसे बड़ी वजह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की सनक है. उन्होंने ठान लिया और यूक्रेन (Ukraine) को तबाह कर दिया. यूक्रेन के 4 इलाकों पर रूस ने कब्जा जमा लिया है. डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, खेरसॉन पर रूस ने अवैध कब्जा किया है.
व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया था वह अपने क्षेत्रों की हिफाजत करने के लिए परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. यूक्रेन अपनी जमीन वापस हासिल करने की कोशिश भी करेगा. रूस की धमकी है कि वह परमाणु हथियार चलाएगा. यूक्रेन यह लड़ाई खुद नहीं लड़ रहा है. उसके साथ पूरे पश्चिमी देश हैं. रूस की नाराजगी की एक वजह यह भी है.
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पुतिन की धमकी से डर गया है अमेरिका
अमेरिका का डर गलत नहीं है. व्लादिमीर पुतिन की धमकियों से भयभीत अमेरिका को लगने लगा है कि दुनिया साल 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद सबसे बड़े परमाणु खतरे का सामना कर रही है. रूस का तर्क है कि अमेरिका ने उसकी धमकियों की गलत व्याख्या की है. रूस खुद को विलेन भी नहीं दिखाना चाहता लेकिन हीरो वाले उसके काम भी नहीं हैं.
यूक्रेन के सहयोगी देशों को डर इस बात का है कि सामरिक सुरक्षा के लिए रूस परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. रूस की ताकत को दुनिया जानती है. उसके विशाल शस्त्रागार से दुनिया वाकिफ है. रूस के ख़ज़ाने में कितने भी खतरनाक हथियार क्यों न छिपे हों लेकिन अगर वह उन्हें इस्तेमाल करेगा तो ख़ुद को भी तबाही में झोंक देगा. रूस के पास अलग-अलग टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार हैं लेकिन क्या वह इसका इस्तेमाल कर पाएगा? आइए जानते हैं.
क्या हैं टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार?
टैक्टिकल परमाणु हथियारों की परिभाषा उनके आकार, रेंज और सीमित सैन्य ठिकानों के आधार पर गढ़ी जाती है. इन्हें गैर रणनीतिक हथियार कहते हैं. ये परमाणु हथियार, पारंपरिक परमाणु हथियारों से अलग होते हैं. ये बेहद विनाशकारी तो नहीं होते हैं लेकिन सीमित क्षेत्र में ये तबाही मचा सकते हैं. इनके विस्फोट के दायरे तक को नियंत्रित कर लिया जाता है. रूस के पास ऐसे हथियारों की कोई कमी नहीं है. रूस के पास कैसे इतने खतरनाक हथियार हैं, इसके बारे में सिर्फ अटकलें हैं. शीतयुद्ध के दौरान रूस ने खुद को सिर्फ मजबूत बनाया है.
रूस के पास कितने हैं टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार?
टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों की क्षमता में दुनिया, रूस के सामने कहीं नहीं ठहरती है. न अमेरिका से पास इतने हथियार हैं, न ही नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) देशों के पास. अमेरिका की खुफिया एजेंसियां यह दावा कर चुकी हैं कि रूस के पास करीब 20,000 टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार हैं. अमेरिका की तुलना में यह 10 गुणा ज्यादा है.
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ऐसे परमाणु हथियारों को कहीं भी ले जाना बेहद आसान होता है. युद्ध कालीन स्थितियों में ऐसे हथियारों को नौसेना, वायुसेना या थलसेना आसानी से इस्तेमाल कर सकती है. युद्ध के दौरान कहीं भी ले जाया जा सकता है और गिराया जा सकता है.
अमेरिका के पास लगभग 200 ऐसे हथियार हैं, जिनमें से आधे हथियारों को यूरोप में तैनात किया गया है. ये परमाणु हथियार 12-फीट B61 हैं, जिनका वजन करीब 170 किलोटन तक है. इटली, जर्मनी, तुर्की, बेल्जियम और नीदरलैंड के 6 हवाई अड्डों पर तैनात किया गया है. साल 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा में जिस परमाणु बम को गिराया था, उसका वजन 15 किलोटन था.
रूस में परमाणु हथियारों की लॉन्चिंग का आदेश कौन देता है?
रूस में परमाणु हथियारों को दागने का अंतिम फैसला केवल राष्ट्रपति लेते हैं. इन हथियारों में गैर रणनीतिक और रणनीतिक दोनों तरह के हथियार शामिल हैं. किसी भी तरह के परमाणु हथियार के इस्तेमाल का अंतिम आदेश राष्ट्रपति को ही लेना होता है.
क्या यूक्रेन पर परमाणु हथियार छोड़ सकता है रूस?
रूस और यूक्रेन के बीच की दूरी इतनी नहीं है कि यूक्रेन पर परमाणु हथियार दागने का रिस्क लेगा. अगर यूक्रेन पर बम छोड़ता है कि रूस के कुछ हिस्से भी परमाणु रेडिएशन की जद में आएंगे. जिन 4 क्षेत्रों पर रूस ने कब्जा किया है, उन इलाकों पर भी खतरनाक विकिरण का असर होगा. हिरोशिमा और नागासाकी की भीषण तबाही दुनिया देख चुकी है. एक और तबाही का कलंक लेने से पहले रूस भी 100 बार सोचेगा.
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अगर यूक्रेन पर टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन भी छोड़ता है तो भी तबाही का मचना तय है. जिन इलाकों में यह दागा जाएगा, वहां इसका असर पीढ़ियों तक नजर आएगा. अगर यूक्रेन के 4 प्रांतों पर रूस कब्जा बरकरार रखना चाहता है तो भी वह परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने से परहेज करेगा.
...इस वजह से यूक्रेन पर परमाणु हथियार नहीं दागेगा रूस
जब हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला हुआ तो भीषण तबाही मची. हिरोशिमा में करीब 1,40,000 लोग मारे गए तो नागासाकी में करीब 74,000 लोगों की जान गई. वहां के वातावरण में हानिकारिक रेडिशन का असर आज भी पीढ़ियां भुगत रही हैं. लोग अपंग पैदा होते हैं. यूक्रेन का क्षेत्रफल इतना भी बड़ा नहीं है कि वहां परमाणु बम दागा जाए और उसके सारे क्षेत्र बिना इसके प्रभाव से बचे रह जाएं.
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अगर डोनेट्स्क, लुहान्स्क, जापोरिजिया, खेरसॉन जैसे प्रांतों पर रूस परमाणु हथियार दागता है तो यूरोप भी इसकी जद में आएगा और भीषण तबाही का शिकार होगा. इकट्ठे यूरोप की दुश्मनी रूस झेल नहीं सकता है. परमाणु विकिरण का भीषण असर कम से कम 45 मील तक नजर आता है.
अगर रूस परमाणु हथियार बिना सोचे-समझे दाग भी देता है तो भी भीषण तबाही का मचना तय है. परमाणु संपन्न दूसरे राष्ट्र, जो रूस के खिलाफ अपनी कसर पूरी करना चाहते हैं वे यूक्रेन को हथियार दे सकते हैं. अगर सामूहिक रूप से नाराज देशों ने रूस पर हमला बोल दिया तो वैश्विक तबाही मचेगी. ऐसी स्थिति में रूस रिस्क नहीं लेगा और परमाणु हमले से हर हाल में परहेज करेगा.
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