डीएनए हिंदी: देश के कई इलाकों से बच्चा चोरी के शक (Child Kidnapping) में लोगों को पीटे जाने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. जहां लोग अफवाहों पर विश्वास कर, बिना कोई जांच पड़ताल किए लोगों को पीट रहे हैं, कई जगह तो मानसिक तौर पर विक्षिप्त लोगों की पिटाई की घटनाएं सामने आई हैं. बुधवार को महाराष्ट्र के सांगली में चार साधुओं को बच्चा चोरी के शक में पीटा गया, जिन्हें किसी तरह पुलिस ने बचाया. यूपी के रहने वाले ये साधु पंढरपुर दर्शन के लिए गए थे. 

बिहार उत्तर प्रदेश और झारखंड से इस तरह की ज्यादा घटनाएं सामने आ रही हैं जहां कई बेगुनाह भीड़ के गुस्से का शिकार बन रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हो रहा है. इससे पहले भी कई बार देश के कई राज्यों में अलग अलग तरह की अफवाह फैली और बेगुनाह इन अफवाहों का शिकार हुए.

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2020 में बच्चा चोरी के शक में महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की हत्या

महाराष्ट्र के पालघर जिले में 16 अप्रैल 2020 को बच्चा चोरी के शक में दो साधु समेत 3 लोगों की बेरहमी से पिटाई की गई थी. भीड़ ने इन दोनों साधुओं की हत्या कर दी. दोनों साधु अपनी गाड़ी से मुंबई से सूरत जा रहे थे तभी पालघर में भीड़ ने उनकी हत्या कर दी थी. 

2019 में भी फैली थी बच्चा चोरी की अफवाह

साल 2019 में भी बच्चा चोरी की अफवाह फैली थी. गौर करने वाली बात ये है कि तब भी ये खबर खास तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार में अगस्त और सितंबर के महीने में ही आग की तरह फैली. भीड़ इतनी हिंसक हो गई कि उत्तर प्रदेश के संभल में बच्चा चोरी के शक में एक युवक की पीट पीट कर हत्या कर दी गई. पुलिस प्रशासन लोगों से अपील करता रहा कि अफवाहों पर ध्यान न देंलेकिन लोग इन खबरों को सच मानकर बेगुनाहों को निशाना बनाता रहे. 

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2017 में चोटी कटने की अफवाह

2017 में अगस्त महीने में दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में  अफवाह फैली की रात को महिलाओं की चोटी काट दी जा रही है. अफवाह थी कि महिलाएं सुबह उठती हैं तो उन्हें चोटी कटी हुई मिलती है. इन राज्यों के कई इलाकों में चोटी काटने के शक में पिटाई की घटनाएं सामने आईं. 

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आगरा में चोटी काटने वाली समझ कर एक बुजुर्ग महिला की हत्या कर दी गई. दहशत ऐसी फैली कि लोग रात-रात भर जागकर पहरे देने लगे. लोगों ने दीवार पर नींबू मिर्ची लटका दिए,हल्दी का छाप लगाया. कुछ लोगों ने मीडिया कवरेज के लिए झूठ बोला और उन पर मामला भी दर्ज हुआ. 

2001 में मंकी मैन की दस्तक

2001 में दिल्ली एनसीआर में मंकी मैन की अफवाह फैली. अफवाह थी कि मंकी मैन के शरीर पर काले घने बाल हैं और चेहरा हेलमेट से ढका होता है. मंकी मैन लोगों पर हमला करता है. यह सुनकर लोग घर से बाहर निकलने में भी डरने लगे. सिर्फ अफवाह नहीं फैली, कई घायल लोग भी सामने आए. उन्होंने दावा किया कि उन पर मंकी मैन ने हमला किया है और उन्होंने मंकी मैन को देखा है. इस अफवाह में कई लोगों के घायल होने की जानकारी पुलिस तक पहुंची लेकिन जांच में किसी तरह के पंजे का निशान या जानवर के काटने के सबूत नहीं मिले. 

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2015 में सिलबट्टे वाली बुढ़िया की अफवाह

2015 में दिल्ली एनसीआर और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में ये अफवाह फैली कि कोई सिलबट्टे से पिटाई कर देता है और पत्थर का रंग बदल जाता है. 

2002 में मुंहनोचवा

साल 2002 में अफवाह फैली कि आसमान से आने वाली एक वस्तु लोगों के चेहरे पर चोट करती है,यह वस्तु लाल या नीले रंग की होती है, जिसे लोग मुंहनोचवा कहने लगे. कई लोगों के इसमें घायल होने की खबरें आईं.  लोगों ने डर के कारण घर से निकलना तक बंद कर दिया. यह अफवाह खासतौर पर उत्तर प्रदेश में फैली. गर्मी  के दिनों में यह अफवाह फैली थी. लोग इतना डर गए कि ग्रामीण इलाकों में लोगों से घर के बाहर सोना बंद कर दिया. 

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झारखंड में डायन बताकर महिलाओं के साथ मारपीट और हत्या

झारखंड में बीते कई सालों से ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जिसमें महिलाओं को डायन बताकर उनके साथ मारपीट की जाती है. हाल ही में रांची में तीन महिलाओं को डायन बताकर पीट पीटकर कर हत्या कर दी गई. 

2021 में फेक न्यूज और अफवाह फैलाने के 882 मामले दर्ज किए गए

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक फेक न्यूज और अफवाह फैलाने के मामलों में साल 2021 में 42% की कमी आई है. साल 2019 में फेक न्यूज फैलाने के 486, 2020 में 1527 और 2021 में 882 मामले दर्ज किए गए थे.

साल 2021 में सबसे ज्यादा 218  मामले तेलंगाना में दर्ज किए गए. तमिलनाडु में 139 मामले, मध्य प्रदेश में 129, उत्तर प्रदेश में 82 और पांचवें नंबर पर महाराष्ट्र में 2021 में फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ 66 मामले दर्ज किए गए.
(इनपुट: वंदना भरद्वाज)

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कभी बच्चा चोरी, कभी चोटी कांड तो कभी मंकी मैन, अफवाहों के पीछे कौन?
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मॉबलिंचिंग की हाल के दिनों में बढ़ी हैं घटनाएं. (सांकेतिक तस्वीर)
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मॉबलिंचिंग की हाल के दिनों में बढ़ी हैं घटनाएं. (सांकेतिक तस्वीर)

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