Caste Census debate: राहुल गांधी ने पिछले करीब पांच सालों में ऐसा कोई मंच नहीं छोड़ा, जहां जाति जनगणना की मांग न की हो. ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ से देश में जनगणना के साथ जाति जनगणना कराने का फैसला विपक्ष के लिए सरप्राइज के तौर पर सामने आया है. माना जा रहा है कि जाति जनगणना की बात कांग्रेस ने शुरू की थी और श्रेय बीजेपी ले जाएगी. दूसरा सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से शुरू की गई इस पहल का उसे कितना फायदा होगा?
राहुल गांधी ने क्या कहा?
बीते दिन राहुल गांधी ने कहा कि यह हमारा विजन था और हम इसे सपोर्ट करते हैं. हमने सरकार पर पर्याप्त दबाव डाला है ताकि वह कार्रवाई करे. 11 साल बाद केंद्र सरकार ने अचानक जातिगत जनगणना की घोषणा की है. यह सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम है. हर कांग्रेस कार्यकर्ता और सामाजिक न्याय के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता बधाई के पात्र हैं. मैं उन पर गर्व करता हूं.'
कांग्रेस को कितना फायदा?
जाति जनगणना की मांग कांग्रेस के सामाजिक न्याय एजेंडे का भी केंद्र बिंदु रही है, ताकि ओबीसी तक पहुंच बनाई जा सके. कांग्रेस के भीतर यह आशंका है कि मोदी ने एक झटके में उसके एक अहम मुद्दे को छीन लिया है. दरअसल, बुधवार को जाति जनगणना कराने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए सरकार ने विपक्षी दलों पर इसे 'राजनीतिक हथियार' के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना 'गैर-पारदर्शी' तरीके से की है (बिहार के अलावा कांग्रेस शासित कर्नाटक और तेलंगाना पर कटाक्ष).
अब सवाल यह है कि जाति जनगणना पर कांग्रेस ने जो राजनीतिक गेंद उछाली थी, उसका उसे कितना फायदा मिलेगा? इस साल के अंत में बिहार में चुनाव हैं. केंद्र की इस जाति जनगणना की पिच को बिहार चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि 1951 में जाति जनगणना पर रोक लगाने और मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने में देरी ने कांग्रेस की छवि OBC-विरोधी बना दी थी लेकिन राहुल गांधी धीरे-धीरे इस छवि को सुधार रहे हैं. बीते दिनों उन्होंने जाति जनगणना को लेकर जितने मजबूत तरीके से अपनी बात रखी उसके बाद उनकी छवि एक सामाजिक न्याय समर्थक नेता के तौर पर बन रही है, खासकर युवाओं और पिछड़े वर्गों में.
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क्या बीजेपी खाएगी मलाई?
कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता इसे 'राहुल की जीत' बताकर प्रचार कर रहे हैं. अगर सरकार की घोषणा महज प्रतीकात्मक रही, तो कांग्रेस इसे 'झूठा वादा' साबित कर राजनीतिक फायदा ले सकती है. अगर राहुल गांधी और कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार मजबूती से उठाते रहे और भाजपा पर दबाव बनाते रहे, तो यह उनके लिए सामाजिक न्याय के एजेंडे को पुनर्जीवित करने का अवसर साबित हो सकती है. अगर बीजेपी ने इसे लागू कर दिया तो जाहिर है श्रेय बीजेपी के खाते में चला जाएगा.
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Caste Census पर बात राहुल गांधी ने शुरू की, लपक मोदी सरकार ने लिया! क्या कांग्रेस को मिलेगा फायदा या मलाई खाएगी बीजेपी?