डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को मिस्त्र (Egypt) के राजकीय दौरे पर जाएंगे. पीएम मोदी यहां पहले विश्व युद्ध (First World War) में ब्रिटिश सेना के लिए शहीद होने वाले 4,000 से ज्यादा भारतीय जवानों को श्रद्धाजंलि देंगे. इसके बाद राजधानी कैरो में स्थित 1000 साल पुराने मशहूर अल हकीम मस्जिद में भी जाएंगे. जहां पीएम दाऊदी बोहरा समुदाय से मुलाकात करेंगे. इस समुदाय से पीएम मोदी का खास कनेक्शन रहा है.
कौन है दाऊदी बोहरा समुदाय?
दरअसल, मुस्लिम समाज मुख्य तौर पर दो हिस्सों में बंटा है. एक शिया दूसरा सुन्नी. बताया जाता है कि इस्लाम मानने वाले लोग 72 फिकरों में बंटे हैं. जिनमें एक बोहरा मुस्लिम भी है. दाऊदी बोहरा समुदाय शिया मुस्लिम कम्युनिटी के सदस्य होते हैं. यह लोग फातिमी इस्लामी तैय्यबी विचारधारा को मानते हैं. बोहरा मुस्लिम की समृद्ध विरासत इजिप्ट में पैदा हुई और फिर यमन होते हुए 11वीं सदी में कुछ लोग भारत आकर बस गए. वर्ष 1539 भारत में इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई और गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में जाकर बस गए. इसके बाद बोहरा मुस्लिमों ने अपने संप्रदाय की गद्दी को यमन से गुजरात के पाटन जिले में मौजूद सिद्धपुर में स्ंथानांतरित कर दिया.
ये भी पढ़ें- 'दूल्हा बनें राहुल गांधी, हम बाराती बनने को तैयार', पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद बोले लालू यादव
इस समुदाय के लोगों का एक लीडर भी होता है. इसे अल-दाइ-अल-मुतलक कहा जाता है. इस समुदाय के पुरुष सफेद कपड़े और सुनहरी टोपी पहनते हैं, जबकि महिलाएं रंगीन बुर्का पहनती हैं. पिछले करीब 400 सालों से भारत से ही इसका धर्मगुरु चुना जा रहा है. वर्तमान में इस समुदाय के 53वें धर्मगुरु डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब हैं. इस समुदाय के लोगों की विश्वभर में संख्या 10 लाख से भी अधिक है. इन समुदाय के अधिकांश लोग व्यापारी होते हैं. भारत के अलावा इस इस समुदाय के लोग पाकिस्तान, दुबई, ब्रिटेन, अमेरिका, सऊदी और ईराक में भी रहते हैं. दाऊदी बोहरा समुदाय मुख्य रूप से इमामों के प्रति अपना अकीदा रखता है. दाऊदी बोहराओं के 21वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल कासिम थे. इनके बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू हो गई जो दाई अल मुतलक सैयदना कहलाते हैं.
ल-हकीम मस्जिद से क्या है कनेक्शन?
इजिप्ट की सरकार का कहना है कि अल-हकीम मस्जिद की मरम्मत का काम पिछले 6 सालों से चल रहा है. यह 11वीं सदी की मस्जिद है. इस शिया मस्जिद को इसी साल फरवरी में दोबारा खोला गया था. इसका पुनरुद्धार करवाने में बोहरा समुदाय का विकास योगदान रहा है. इसकी मरम्मत के कार्य में दाऊदी बोहरा समुदाय भारत से डिंग भेजता रहा है. वहां की सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य इजिप्ट में मौजूद इस्लामी जगहों पर टूरिज्म को बढ़ावा देना है.
ये भी पढ़ें- H1-B वीजा रूल से डिफेंस और स्पेस डील तक, US दौरे भारत को क्या होने वाला है हासिल? जानिए सबकुछ
पीएम मोदी से भी खास कनेक्शन
दाऊदी-बोहरा समुदाय का मिस्र से और और प्रधानमंत्री मोदी का खास कनेक्शन है. पीएम मोदी ने इसी साल फरवरी में मुंबई में इस समुदाय के शैक्षणिक संस्थान अल जामिया-तुस-सैफियाह अरब अकादमी के नए कैंपस का उद्घाटन किया था. साल 2018 में बोहरा समुदाय के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इससे पहले 2011 में बतौर मुख्यमंत्री वे इस समुदाय के धार्मिक प्रमुख सैयदना बुरहानुद्दीन के 100वें जन्मदिन के जश्न में शामिल हुए थे. बाद में 2014 उनकी अंतिम विदाई में भी शामिल हुए थे. यह समुदाय मोदी का हमेशा समर्थन रहा है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
Egypt में अल-हकीम मस्जिद का दौरा करेंगे PM मोदी, भारतीय मुस्लिम समुदाय का क्या है इससे कनेक्शन?