डीएनए हिंदी: हिट एंड रन के मामलों से जुड़े नए कानून का विरोध शुरू हो गया है. देशभर के ट्रक चालकों और ट्रांसपोर्टर्स ने इसके खिलाफ हड़ताल शुरू कर दी है. इसका नतीजा यह हुआ कि साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी को ही देश के कई राज्यों में जरूरी चीजों की कमी होने लगी. कई शहरों में लोग पेट्रोल पंप पर लंबी लाइन लगाए नजर आए. लोगों को आशंका है कि अगर हड़ताल लंबी हो गई तो आने वाले दिनों में डीजल-पेट्रोल की कमी सबसे पहले हो सकती है. ट्रक ड्राइवरों की अपील है कि इस कानून को वापस लिया जाए. उन्होंने इसे 'काला कानून' बताया है.
मध्य प्रदेश पेट्रोलियम एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कहा, 'हिट-एंड-रन मामलों में नया कानून सभी वाहनों पर लागू होगा, न कि केवल टैंकरों या ट्रकों पर. कुछ स्थानों पर समस्याएं हैं और लोग घबराहट में ईंधन इकठ्ठा करने के लिए परेशान हो रहे हैं.' उन्होंने कहा कि सड़क अवरोध के कारण कुछ स्थानों पर ईंधन टैंकर फंसे हुए हैं लेकिन अधिकांश पेट्रोल पंपों पर पर्याप्त पेट्रोल और डीजल है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की परिवहन समिति के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने बताया, 'हिट एंड रन के मामलों में सरकार द्वारा अचानक पेश किए गए कड़े प्रावधानों को लेकर चालकों में आक्रोश है और उनकी मांग है कि इन प्रावधानों को वापस लिया जाए.'
क्या है नया कानून?
दरअसल, इस नए कानून में कहा गया है कि घातक और भीषण दुर्घटना की सूचना न देने पर गाड़ी के ड्राइवर को 10 साल की सजा हो सकती है या फिर 7 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. ये प्रावधान नए कानून भारतीय न्याय संहिता में किए गए हैं. इससे पहले आईपीसी की धारा 304 A के तहत ऐसे मामलों में सिर्फ दो साल की सजा हो सकती थी. अब इस पर ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि इस नए कानून से ट्रक ड्राइवरों में डर पैदा होगा और नए लोग इस काम में भी नहीं आएंगे. ट्रक ड्राइवरों के अलावा ऑटो चालक भी इसके खिलाफ उतर आए हैं.
यह भी पढ़ें- नए आपराधिक कानूनों को मिल गई राष्ट्रपति की मंजूरी, जानिए क्या-क्या बदल गया
ड्राइवरों का यह भी कहना है कि कोई भी जानबूझकर दुर्घटना नहीं करता है. उन्हें डर है कि अगर वे घायलों की मदद करने के लिए रुकते हैं या अस्पताल ले जाते हैं तो भीड़ उनकी पिटाई कर सकती है. उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि अगर कोहरे जैसी स्थिति के कारण कोई एक्सीडेंट होता है तो बिना ड्राइवर की गलती के भी उसे 10 साल की सजा हो जाएगी. बता दें कि भारत में हर साल 28 लाख से ज्यादा ट्रक 100 अरब किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करते हैं और देशभर में जरूरी चीजों की सप्लाई करते हैं.
पहले ही दिन लोगों को हुईं समस्याएं
उन्होंने कहा कि सरकार को हिट एंड रन के मामलों में अन्य देशों की तर्ज पर सख्त प्रावधान लाने से पहले उनकी तरह बेहतर सड़क और परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए. सोमवार को देश के कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों की इस हड़ताल का असर देखने को मिला और जगह-जगह जाम की स्थिति नजर आई. यह तीन दिवसीय हड़ताल का पहला दिन था और पहले ही दिन कई तरह की समस्याएं हुईं.
यह भी पढ़ें- 60 पर्सेंट कन्नड़ रूल क्या है? बेंगलुरु में क्यों हो रहा विवाद?
आज फिर होगी बैठक
2 जनवरी को ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने फिर से बैठक बुलाई है. पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल का आंशिक असर देखने को मिला जिसके चलते लोगों को आने-जाने में समस्याएं हुईं. कुछ जगहों पर जाम के चलते तेल के टैंकर फंस गए और पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइन लग गई. हालांकि, स्थानीय प्रशासन लगातार कोशिश कर रहा है कि डीजल-पेट्रोल की कमी न होने पाए.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
हड़ताल पर क्यों उतरे हैं देशभर के ट्रक ड्राइवर? समझें पूरी बात