डीएनए हिंदी: देश की दो जानी-मानी हस्तियां इन दिनों एक साथ जेल में बंद हैं. पंजाबी सिंगर दलेर मेहंदी (Daler Mehndi) और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धु (Navjot Singh Sidhu)को पटियाला सेंट्रल जेल की 10 नंबर बैरक में रखा गया है. हाल ही में रिपोर्ट्स के हवाले से सामने आया है कि मानव तस्करी मामले में सजा काट रहे गायक दलेर मेहंदी को मुंशी का काम दिया गया है. वहीं रोड रेज मामले में एक व्यक्ति की मौत के मामले में सजा काट रहे पूर्व क्रिकेटर क्लर्क का काम कर रहे हैं. अब यह तो जाहिर है कि जेल में कैदियों को काम करना पड़ता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर जेल में किस कैदी को क्या काम दिया जाएगा ये कैसे तय होता है? क्या इस काम के लिए कैदियों को सैलरी भी मिलती है? अगर सैलरी मिलती है तो कितनी सैलरी दी जाती है? इन सारे सवालों के जवाब-
कैसे तय होता है कौन-सा कैदी क्या काम करेगा?
आपने सुना होगा कि अक्सर सजा सुनाते वक्त जज एक शब्द का इस्तेमाल करते हैं- बामशक्कत. जिस अपराधी के लिए बामशक्कत सजा सुनाई जाती है, उसका मतलब होता है कि उससे जेल में काम करवाया जाएगा. जेल में कैदियों के लिए काम को तीन तरह से बांटा गया है. एक स्किल्ड, दूसरा सेमी स्किल्ड और तीसरा अनस्किल्ड. ऐसे में किस कैदी को क्या काम करने का अनुभव और प्रशिक्षण है अक्सर उसके आधार पर ही उससे काम करवाया जाता है. कई बार काम करवाने से पहले कैदियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है.
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क्या जेल में किए गए काम की सैलरी भी मिलती है?
अब काम करने के तो पैसे भी मिलते हैं. क्या जेल में भी ऐसा ही होता है? अगर आपके मन में भी यही सवाल है तो इसका जवाब है - हां. जानने वाली बात ये है कि जेल में काम के लिए जो सैलरी मिलती है वो भारतीय मुद्रा नहीं होती है. बल्कि जेल में तो पैसे रखना ही एक अपराध होता है. कैदियों को काम के बदले सैलरी के रूप में कूपन मिलते हैं. ये कूपन ही जेल की करंसी की तरह काम करते हैं. वहां सामान भी कूपन के रेट पर ही मिलता है. ये कूपन एक टिकट की तरह होते हैं. इन्हीं से कैदी अपनी रोजमर्रा की जरूरत का सामान भी खरीद सकते हैं. जेल से बाहर निकलते वक्त कैदी के पास जमा कूपन के बदले में उसे पैसे मिल सकते हैं.
किस कैदी को कितनी मिलती है सैलरी (Wages of Prisoners)?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेल में मिलने वाली ये सैलरी (मेहनताना) हर राज्य में अलग-अलग होती है.
2017 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी 2015 के जेल आंकड़ों के अनुसार, पुडुचेरी ने स्किल्ड, सेमी स्किल्ड और अनस्किल्ड अपराधियों को क्रमश: 180 रुपये, 160 रुपये और 150 रुपये प्रति दिन की मजदूरी तय की थी. दिल्ली के तिहाड़ में ये दिहाड़ी क्रमशः 171 रुपये, 138 रुपये और 107 रुपये दी जाती है. इसी तरह हर राज्य में इसे लेकर अलग-अलग रेट तय किए गए हैं.
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जेल में क्लर्क बने सिद्धू, मुंशी बने दलेर, जानें कैसे तय होता है कैदियों का काम, कितनी मिलती है सैलरी