डीएनए हिंदी: दुनिया के कई देश, अंतरिक्ष के अनसुलझे राज, सुलझा रहे हैं. दशकों से चांद पर पहुंचने की कोशिश हो रही है. अब तक चंद्रमा के लिए लॉन्च पैड तैयार करने वाले देश, अपने टाइम जोन के हिसाब से अपने मिशन को ऑपरेट करते थे लेकिन अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी का कहना है कि चंद्रमा का अपना यूनिवर्सल टाइम जोन होना चाहिए. वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा प्रणाली अस्थिर है.
चांद का अपना टाइम जोन तभी हो सकता है, जब दुनिया के तमाम देश, इस पर राजी हों. बिना देशों की रजामंदी के यह प्रयास निर्रथक होंगे. ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सभी देश अपनी रजामंदी देते हैं तो यह दुनिया के लिए बेहतर होगा.
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क्यों पड़ रही अलग टाइम जोन की जरूरत?
यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मुताबिक चंद्रमा के लिए अलग यूनिवर्सल टाइमकीपिंग सिस्टम की जरूरत इसलिए पड़ेगी क्योंकि दुनियाभर की प्राइवेट और पब्लिक संस्थाएं चांद को लेकर अलग-अलग प्लानिंग कर रही हैं. अगर चंद्रमा का अलग टाइम जोन होगा तो किसी भी तरह के टकराव से बचा जा सकेगा.
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कौन से देश चंद्र मिशन की योजना बना रहे हैं?
जापानी कंपनी आईस्पेस द्वारा निर्मित एम1 मून लैंडर अप्रैल में चंद्रमा पर पहुंचने के लिए तैयार है. संयुक्त अरब अमीरात की ओर से निर्मित एक रोवर भी तैनाती के लिए तैयार है. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी AXA की ओर से बना एक रोबोट और अन्य पेलोड भी जाने के लिए तैयार है. ह्यूस्टन स्थित कंपनी इंट्यूएटिव मशीन्स की ओर से निर्मित नोवा-सी लैंडर जून में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए तैयार है. कई मानव रहित मिशन पर दुनिया के कई देश लग गए हैं.
इस वजह से पड़ रही है अलग टाइम जोन की जरूरत
यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मुताबिक आने वाले दशक में दर्जनों लूनर मिशन लॉन्च होने वाले हैं. चांद पर बेस बनाने और मानव जीवन स्थापित करने की दिशा में भी काम चल रहा है. सभी स्पेस एजेंसियों के बीच बेहतर कॉर्डिनेशन के लिए इस मिशन की जरूरत है.
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कैसे तय होगा टाइम जोन?
यूरोपियन स्पेस एजेंसी का कहना है कि एक टाइम जोन पर दुनिया की स्पेस एजेंसियों को सहमति के लिए तैयार होना होगा, तभी सही टाइम जोन का पता लग सकेगा. इस पर विस्तृत मंथन की जरूरत है.
कैसे तय होगा टाइम ज़ोन?
लेकिन चांद पर अपना टाइम ज़ोन तय कैसे किया जाएगा, इसपर ESA ने कहा है कि अभी यह चर्चा का विषय है कि लूनर टाइम को सेट और मेंटेन करने के लिए क्या एक ही संगठन जिम्मेदार होगा, और क्या इसे स्वतंत्र तौर पर तय किया जाएगा या फिर इसे धरती के समय से ही सिंक किया जाएगा. यह तकनीकी विषय है, जिसमें थोड़ी समस्या आ सकती है.
अब तक कैसे होता था काम?
यूरोपियन स्पेस एजेंसी मुताबिक अभी तक चांद पर कोई भी मिशन होता था, उसका अपना टाइमस्केल होता था, जो देश के हिसाब से तय होते थे. स्पेस में मिशन को गाइडेंस और नेविगेशन देने के लिए, वैश्विक स्तर पर एक स्टैंडर्ड टाइम-कीपिंग की जरूरत है. यही वजह है कि चंद्रमा के लिए अलग टाइम जोन की मांग होती है.
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चंद्रमा को मिल सकता है अपना खुद का टाइम जोन, क्यों है जरूरी, क्या होगी खासियत?