डीएनए हिंदी: मिथिला के मखाने दुनिया भर में मशहूर हैं. इन मखानों का स्वाद और इन्हें प्राकृतिक रूप से उगाए जाने की प्रक्रिया इन्हें खास बनाती है. देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मिलने वाले 90% से ज्यादा मखाने यहीं से आते हैं. अब खुशी की बात यह है कि केंद्र सरकार ने मिथिला के मखाने को GI टैग यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग दिया गया है. इससे मखाना उत्पादकों को अब उनके उत्पादकों का और बेहतर दाम मिल पाएगा. मखाना मूल रूप से पानी में उगाई जाने वाली फसल है.इसमें 9.7 ग्राम प्रोटीन और 14.4 ग्राम फाइबर होता है. साथ ही यह कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है.केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में इसकी जानकारी ट्विटर पर शेयर की. उन्होंने लिखा - अब किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना. जानते हैं क्या होता है GI टैग, कैसे मिलता है , कौन देता है...हर सवाल का जवाब-
क्या होता है GI टैग
जीआई टैग एक तरह का लेबल होता है जिससे किसी भी प्रोडक्ट की विशेष भौगोलिक पहचान बनती है. किसी भी उत्पाद के रजिस्ट्रेशन और संरक्षण को लेकर दिसंबर 1999 में एक अधिनियम पारित किया गया था. इसे अंग्रेजी में जियोग्रेफिकल इंडीकेशन ऑफ गुड्स एक्ट कहा गया. इसी के बाद भारत में बनने वाले प्रोडक्ट्स को जीआई टैग देने की शुरुआत हुई. इससे किसी भी उत्पाद की पहचान के साथ छेड़छाड़ या किसी अन्य स्थान पर इसके गैर कानूनी इस्तेमाल को रोकने में मदद मिलती है.
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किन उत्पादों को मिलता है जीआई टैग
आमतौर पर यह टैग खेती से जुड़े उत्पादों को मिलता है. किसी खास भौगोलिक क्षेत्र में जो चीजें मिलती हैं या उगाई जाती हैं उन्हें ये टैग दिया जाता है. इसके अलावा हैंडीग्राफ्ट्स को भी ये टैग दिया जाता है. इसके कुछ उदाहरण हैं बनारस की साड़ी, ओडीशा का रसगुल्ला, बीकानेर की भुजिया आदि. इसके अलावा बासमती चावल जीआई टैग का ऐसा उदाहरण है जिसमें कई जगह जुड़ी हैं. मसलन बासमती चावल के जीआई टैग पर पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के अलावा दिल्ली, वेस्ट यूपी और जम्मू-कश्मीर के भी कुछ हिस्सों का अधिकार है.
GI Tag से पंजीकृत हुआ मिथिला मखाना,
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) August 20, 2022
किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना।
त्योहारी सीजन में मिथिला मखाना को Geographical Indication Tag मिलने से बिहार के बाहर भी लोग श्रद्धा भाव से इस शुभ सामग्री का प्रयोग कर पाएंगे। pic.twitter.com/SzSOlsugRB
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कैसे मिलता है GI टैग
इसके लिए उत्पाद को बनाने वाली एसोसिएशन को आवेदन करना होता है. इसके अलावा किसी भी संस्था या सरकारी स्तर पर भी आवेदन किया जा सकता है. इसमें अपने उत्पाद की विशेषताएं बतानी होती हैं. सभी मानकों पर खरा उतरने वाले प्रोडक्ट को ही ये टैग मिलता है. बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड द्वारा यह टैग दिया जाता है.
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मिथिला के मखाने को मिला GI टैग, जानें क्या होता है ये और क्या है इसके मिलने की पूरी कहानी