डीएनए हिंदी: मणिपुर में लगभग 6 दशक से सक्रिय उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने हथियार डाल दिए. उसने सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गई. पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के केंद्र सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया.

अब सवाल यह उठ रहा है कि मणिपुर का ये सबसे पुराना सशस्त्र गुट अचानक हिंसा छोड़कर शांति की मुख्यधारा में क्यों आना चाहता है? दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ दिन पहले यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) समेत पांच उग्रवादी गुटों पर प्रतिबंध को 5 साल के लिए बढ़ा दिया था. यह बैन इनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर घातक हमले करने क कारण लगाया गया था. ये उग्रवादी गुट मणिपुर में एक्टिव हैं. यह बैन 13 नवंबर 2023 से लागू हो गया था.

कब और क्यों बना UNLF?
यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) का गठन 24 नवंबर 1964 को हुआ था. इसे अरेंबम समरेंद्र की अगुवाई में बनाया गया था. यूएनएलएफ मणिपुर का सक्रिय सबसे पुराना मैतेई विद्रोही गुट है. 1990 में सैमेंद्र ने मणिपुर को भारत से अलग करने का फैसला किया था. इसके लिए इस संगठन ने पहली बार सशस्त्र संघर्ष शुरू किया था. इसके लिए यूएनएलएफ के विद्रोहियों ने नागा के सबसे बड़े विद्रोही गुट एनएससीएन (IM) से ट्रेनिंग ली थी. बाद में यूएनएलएफ ने सशस्त्र विंग मणिपुर पीपुल्स आर्मी का भी गठन किया था.

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यूएनएलएफ के विद्रोही ने पिछले कुछ सालों में सेना के जवानों पर कई हमले किए हैं. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इस गुट पर पांबदी को 5 साल के लिए बढ़ाया. यह बड़े पैमाने पर म्यांमार सेना की संरक्षण वाले सांगाग क्षेत्र, राखीन और चिन राज्य में स्थित शिविरों और ट्रेनिंग कैंप से अपनी साजिशों को अंजाम देता रहा है. लेकिन पिछले कुछ समय से म्यांमार में सेना के खिलाफ चल रहे विद्रोह के कारण यूएनएलएफ की हालत खराब हो गई थी. यही वजह है कि यूएनएलएफ को शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े.

UNLF Group

इस समझौते को क्यों माना जा रहा अहम?
यूएनएलएफ के साथ करीब 6 दशक बाद हुए इस समझौते को अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मणिपुर में 3 मई 2023 से मैतेई और कुकी समाज में विद्रोह छिड़ा हुआ है. इस हिंसा में मणिपुर में अभी तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करोड़ों की संपत्ति को जलाकर खाक कर दिया गया है. मैतेई समुदाय के लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का मांग कर रहे हैं. 

मणिपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में मैतेई को एसटी का दर्जा देने के लिए सरकार को विचार करने के लिए कहा था. मैतेई समुदाय की इस मांग के खिलाफ 3 मई को ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने मार्च निकाला था. जिसमें हिंसा भड़क गई और दोनों समुदाय आमने-सामने आ गए. लेकिन इस समझौते से मैतेई और कुकी समाज का विद्रोह समाप्त होने की आशंका जताई जा रही है.

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Manipur oldest militant group UNLF lay down arms signs peace agreement know reason every detail
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59 साल बाद UNLF ने क्यों डाले हथियार, इस शांति समझौते के पीछे क्या है कहानी?
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