पहले हरियाणा अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार के बाद INDIA गठबंधन में नेतृत्व बदलने की आवाज उठने लगी है. विपक्षी दलों का मानना है कि कांग्रेस इंडिया गठबंधन को नेतृत्व देने में पूरी तरह विफल रही है. इसलिए कांग्रेस के खिलाफ उन सहयोगी दलों की आवाज भी उठने लग गई है, जो राजीव गांधी के समय से उनके साथ जुड़े हुए थे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने INDIA गठबंधन का नेतृत्व की अगुवाई करने की ख्वाहिश जताई है. जिसके बाद नेतृत्व परिवर्तन चर्चा तेज हो गई है. अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पवार इस मुद्दे पर ममता का समर्थन कर चुके हैं. अब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भी इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व में बदलाव की बात कहकर इस बहस को और तेज कर दिया है.
दरअसल, लालू यादव से मंगलवार को जब पूछा गया कि क्या ममता बनर्जी को इंडिया गुट का नेतृत्व करना चाहिए? इसपर उन्होंने कहा, ‘हां, उन्हें नेतृत्व करना चाहिए. राजनीति में कोई संत बनने नहीं आता, हर किसी की महत्वाकांक्षा होती है, लेकिन सामूहिक निर्णय लिया जाता है. लालू ने कहा कि कांग्रेस की आपत्तियां व्यर्थ हैं. ममता को नेतृत्व की भूमिका दी जानी चाहिए.’
इससे पहले YSR कांग्रेस पार्टी ने ममता बनर्जी के लिए अपना समर्थन दोहराया और उन्हें इस गुट का नेतृत्व करने के लिहाज से सबसे सक्षम नेता करार दिया. हालांकि, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी फिलहाल इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं है. वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि ममता ‘इंडिया’ के घटक दलों को बेहतर ढंग से संभाल सकती हैं.
INDIA ब्लॉक में चेयरमैन का पद खाली
बता दें कि वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इंडिया ब्लॉक के अध्यक्ष हैं. उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अध्यक्ष बनाया गया था. बेंगलुरु बैठक के बाद जुलाई 2023 में इंडिया गठबंधन बनाया गया था. 17 महीने बीत गए हैं लेकिन अभी तक गठबंधन के अंदर चेयरमैन का पद खाली है. जनवरी 2024 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार को यह पद ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया था.
ममता को कमान सौंपने के पीछे ये फैक्टर
ममता बनर्जी देश की सबसे मुखर नेताओं में से एक है. उन्होंने राजनीतिक के कई पड़ाव देखें है. वह लगातार तीन बार से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं. सबसे खास बात यह है कि बीते 10 साल में मोदी-शाह की जोड़ी ने हर राजनीतिक पार्टी को पटकनी दी है. फिर चाहे वो अपने क्षेत्र में कितना मजबूत रहा हो. लेकिन ममता अकेली ऐसे नेता हैं, जिसके सामने मोदी फेक्टर काम नहीं कर पाया.
विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने ममता बनर्जी को पछाड़ने के लिए हर दांव चल लिए, लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी. 2021 के बाद बंगाल में 30 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. एक-दो सीट छोड़कर सभी सीटों पर टीएमसी ने परचम लहराया. ममता की इस कामयाबी को अब विपक्षी दल भी मानने लगे हैं. लालू यादव, शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं को लगने लगा है कि अगर मोदी को टक्कर देनी है तो राहुल नहीं, ममता को कमान सौंपनी होगी.
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क्या INDIA गठबंधन के लिए ममता बनेंगी गेमचेंजर, लालू यादव-शरद पवार क्यों बदली सोच?