डीएनए हिंदी: एनसीपी के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने बगावत कर पार्टी के कई विधायकों के साथ महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन दिया है. अजित पवार ने रविवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. उनके साथ एनीसीपी के 9 विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के बाद अजित पवार ने पार्टी को लेकर चाचा शरद पवार को सीधी चुनौती दे डाली. उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम मेरे साथ ही रहेगा और उसके ही सिंबल पर वह महाराष्ट्र में चुनाव लड़ेंगे. अजित के इस दावे के बाद एक बार फिर पार्टी को लेकर महाराष्ट्र में घमासान छिड़ सकता है.
अजीत पवार ने कहा कि NCP के लगभग सभी विधायक हमारे संपर्क में हैं और उन्होंने शिंदे-फडणवीस सरकार के साथ आने का फैसला लिया है. अगले विस्तार में एनसीपी के कुछ और विधायकों को मंत्रिमंडल में जोड़ा जाएगा. एनसीपी के तौर पर ही इस सरकार को समर्थन दिया है हमने अलग पार्टी नहीं बनाई है. इत अजीत ने कहा, 'हम एनसीपी हैं और पार्टी का नाम भी मेरे साथ ही रहेगा. हम महाराष्ट्र में सारे चुनाव एनसीपी के चुनाव चिह्न पर ही लड़ेंगे.'
विपक्ष में पड़ी है फूट-अजित पवार
अजित पवार ने कहा कि पीएम मोदी के विकास के लिए काम कर रहे हैं. पिछले 9 साल में जिस तरह विकास के उन्होंने काम किया है. उनको देखकर मुझे भी लगा कि विकास की इस यात्रा में मुझे भी शामिल हो जाना चाहिए. इसलिए मैं एनडीए में शामिल होना चाहता था. उन्होंने कहा कि विपक्ष में फूट पड़ी है. कहीं लेफ्ट बनाम ममता तो कहीं कांग्रेस बनाम आप चल रहा है. इस विपक्षी एकता से कुछ बात बनने वाली नहीं है. पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष बिखरा हुआ है. शिंदे सरकार विकास के लिए प्रतिबद्ध, इसलिए हमने विकास के साथ जाने का फैसला किया है.
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'महाराष्ट्र के विकास के लिए सब कुछ करेंगे'
डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि एनसीपी के सभी विधायकों से संपर्क किया गया है, कुछ देश से बाहर हैं. लेकिन मेरी सभी से बात हो गई है और वो हमारे फैसले से सहमत हैं. उन्होंने कहा कि नगालैंड में NCP के 7 विधायक थे और पार्टी के फैसले पर सभी बीजेपी के साथ चले गए थे. अगर हम नगालैंड में बीजेपी के साथ जुड़ सकते हैं तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं. हम महाराष्ट्र के विकास के लिए सब कुछ करेंगे.
एनसीपी में टूट के पीछे नाराजगी के कई फैक्टर
महाराष्ट्र का सियासी ये सियासी घटनाक्रम भले ही कुछ घंटे में बदल गया हो लेकिन अजित पवार द्वारा यह फैसला आनन-फानन में नहीं लिया गया. शरद पवार के बाद राजनीतिक विरासत के वारिस के रूप में देखे अजित पवार ने उस समय बगावत की रणनीति बनानी शुरू कर दी थी जब सुप्रिए सुले को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया गया था. अजित पार्टी में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे थे. सुप्रिया शुले की बढ़ती सक्रियता की वजह से वो एक तरह से आइसोलेट होते जा रहे थे. विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद तो था लेकिन संगठन पर पकड़ लगभग खत्म हो गई थी.
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शरद पवार ने जब एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था उस दौरान अजित पवार को कमान मिलने की चर्चा तेज हो गई थी. लेकिन एनसीपी के कई नेता, कार्यकर्ता शरद पवार के फैसले के विरोध में उतर आए थे जिसकी वजह से शरद पवार को फैसला वापस लेना पड़ा. लेकिन अजित पवार समझ गए थे इस तरह बात नहीं बनने वाली है. उन्हें कुछ कठोर कदम उठाना होगा.
अजित या शरद पवार किसकी होगी पार्टी?
अजित पवार के बगावत के बाद अब सवाल ये उठ रहे हैं कि शिवसेना की तरह क्या एनसीपी में भी दो फाड़ हो जाएगा? क्योंकि अजित पवार का दावा है कि उनके समर्थन में एनसीपी के 40 विधायक हैं और 4 सांसदों में से दो सांसद भी उनका समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि पार्टी और सिंबल उन्हीं के पास रहेगा. वहीं शरद पवार ने कहा कि ये कोई नई बात नहीं है. मैं फिर से एनसीपी को खड़ा करके दिखाऊंगा. पार्टी किसकी होगी फिलहाल इसको लेकर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है. लेकिन कयास ये लगाए जा रहे हैं कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की तरह एनसीपी पर दावे को लेकर अजित पवार और शरद पवार के बीच टकराव हो सकता है.
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शिवसेना की तरह क्या अब NCP में होगा दो फाड़, अजित या शरद पवार किसकी होगी पार्टी?