डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस का फोकस राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है. सीटों के लिहाज से मध्य प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है. एमपी में कुल 230 विधानसभा सीटें है. ऐसे में दोनों राजनीतिक पार्टियां सत्ता पाने की जुगत में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है. लेकिन बीजेपी में महाराज के आने के बाद अंदरूनी जंग छिड़ गई है.
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 3 साल से चल रही तकरार के बाद शिवपुर जिले की कोलारस विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने गुरुवार को पार्टी छोड़ दी. पिछले कुछ दिनों में सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से इस्तीफा देने वाले ये चौथे भाजपा नेता हैं.
सिंधिया पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप
रघुवंशी ने अपने त्याग पत्र में सीधे तौर पर सिंधिया पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह किसानों की कर्ज माफी की बात करते थे लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद सिंधिया ने कर्ज माफी के बारे में बात तक नहीं की. रघुवंशी ने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि मंत्री और प्रशासन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री ने रिश्वतखोरी को यह कहकर उचित ठहराया कि यह एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने जैसा है.
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बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र रघुवंशी विवाद कोई नया नहीं है. रघुवंशी भी कांग्रेस में हुआ करते थे लेकिन सिंधिया से विवाद के चलते उन्होंने 2014 में पार्टी छोड़ दी थी. रघुवंशी का आरोप है कि सिंधिया जहां भी जाते हैं वहां पार्टी को डुबो देते हैं. उनके पार्टी में रहते हुए आगामी चुनाव में भाजपा को हार से कोई नहीं बचा पाएगा. उन्होंने कहा कि सिंधिया ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की किसान ऋण माफी में विफलता का हवाला देते हुए पाला बदला था, लेकिन भाजपा में शामिल होते ही वह इस मुद्दे को भूल गए.
शिवराज बनाम महाराज की लड़ाई?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सिंधिया की वजह से पार्टी के भीतर कई गुट बन गए हैं. बीजेपी की अंदरुनी लड़ाई अब सड़क पर आने लगी है. दिलचस्प बात ये है कि 2018 के विधानसभा चुनाव 'शिवराज बनाम महाराज' नारे के साथ चुनाव लड़ा गया था. लेकिन वह अब भी नजर आ रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि भले ही सिंधिया भाजपा में आ गए हों लेकिन अंदरूनी लड़ाई अब भी 'शिवराज बनाम महाराज' की ही है.
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चार गुटों में बंटी बीजेपी
टिकट हासिल करने को लेकर सिंधिया गुट और विरोधी गुट अपने समर्थकों के लिए ‘लॉबिइंग’ करने में जुटे हैं. जानकारों की माने तो मध्य प्रदेश में बीजेपी वर्तमान में चार गुटों बंटी हुई है. पहला गुट सीएम शिवराज सिंह चौहान का, दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया, तीसरा कैलाश विजयवर्गीय और चौथा नरोत्तम मिश्रा का है. इनमें शिवराज और सिंधिया का गुट काफी असरदार माना जा रहा है.
जानकारों की मानें तो सिंधिया अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में जुटे हैं. वह कम से कम 50 सीटों पर अपने समर्थक उतारना चाहते हैं. लेकिन बाकि गुटों को यह रास नहीं आ रहा है. सूत्रों के अनुसार, महाराज से नाराज गुट इस बात की भी तैयारी में कर रहे हैं कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह अंदरूनी खेल बिगाड़ देंगे.
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