लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी (BJP) में टिकट पाने के लिए मारामारी है और पार्टी कई सीनियर नेताओं के भी टिकट काट रही है. दूसरी ओर कांग्रेस में हालात ऐसे हैं कि पार्टी के सीनियर नेताओं को हाई कमान चुनाव लड़ाना चाहती है, जबकि नेता खुद ही इससे इनकार कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. दूसरी ओर दक्षिण में पी. चिदंबरम भी राज्यसभा के रास्ते ही सदन पहुंचना चाहते हैं. सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत भी दिल्ली पहुंचने के लिए उत्सुक नहीं है.
कांग्रेस (Congress) के सामने इस वक्त लोकसभा चुनाव में मजबूत उम्मीदवारों को खड़ा करना भी एक चुनौती है. सीनियर नेताओं के चुनाव से भागने के पीछे कई वजहों की अटकलें लगाई जा रही हैं. हिंदी पट्टी में बीजेपी और संघ का सामना करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. हर चुनाव के साथ पार्टी का कैडर वोट सिमटता ही जा रहा है.
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हार के डर से दिग्गी-कमलनाथ का इनकार
मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा की सीट अब तक कांग्रेस का गढ़ रही है. फिलहाल इस सीट से कांग्रेस के नकुलनाथ सांसद हैं. सूत्रों का कहना है कि CEC बैठक में कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया है. 2019 लोकसभा चुनाव में भोपाल से दिग्विजय सिंह उम्मीदवार बने थे, लेकिन उन्हें भी हार मिली. हालांकि, इस बार उन्होंने खुद ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव नतीजों और संघ के कैडर को देखते हुए कांग्रेस पार्टी के लिए सीटें निकालना बहुत मुश्किल साबित होने वाला है.
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संगठन और बूथ मैनेजमेंट में पिछड़ी कांग्रेस
सूत्रों का कहना है कि हिंदी पट्टी में बीजेपी की ताकत और संघ की संगठन क्षमता को देखते हुए कांग्रेस के सीनियर नेता भी परेशान हैं. चुनाव पूर्व के ओपिनियन पोल और आंतरिक सर्वे में भी बीजेपी ही मजबूत नजर आ रही है. ऐसे हालात में कांग्रेस के सीनियर लीडर्स हार की शर्मिंदगी और चुनाव की मेहनत दोनों से बचना चाहते हैं. कांग्रेस का संगठन हिंदी बेल्ट में अपने सबसे कमजोर दौर से गुजर रहा है. बीजेपी के बूथ मैनेजमेंट और प्रचार क्षमता के सामने देश की सबसे पुरानी पार्टी काफी पीछे चल रही है.
उम्र भी बन रही है सीनियर नेताओं के लिए बाधा
कांग्रेस के सीनियर नेताओं के लिए बीजेपी की आक्रामक चुनावी रणनीति का मुकाबला करना मुश्किल है. कमलनाथ, दिग्विजय, अशोक गहलोत जैसे नेताओं की उम्र 75 पार है. बीजेपी बूथ स्तर तक सभाएं और प्रचार करती है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक-एक दिन में कई चुनावी सभाएं करते हैं. इस स्तर की ऊर्जा और चुनाव में पसीना बहाने की क्षमता के लिए जरूरी संगठन का आधार कांग्रेस के हाथों अब फिसल चुका है.
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कांग्रेस के सीनियर नेताओं का चुनाव लड़ने से इनकार, हार का डर या उम्र का तकाजा?