डीएनए हिंदी: भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच विवाद के तमाम मुद्दे हैं. अब इनमें रूह अफजा (Rooh Afza) शर्बत भी जुड़ गया है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन इंडिया (Amazon India) को पाकिस्तान में बने रूह अफजा शर्बत को भारत में अपने प्लेटफार्म से डि-लिस्ट करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने 7 सितंबर को यह आदेश भारत में सोशल वेलफेयर NGO हमदर्द नेशनल फाउंडेशन (Hamdard National Foundation) की याचिका पर दिया है, जिसका कहना है कि भारत में अमेजन पर बेचा जा रहा रूह अफजा शर्बत हमदर्द लेबोरेट्रीज (इंडिया) नहीं बना रही है, बल्कि इसे एक पाकिस्तानी कंपनी बना रही है. भारत में इस शर्बत को Hamdard Laboratories ही तैयार करती है. Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने अमेजन को 4 सप्ताह के अंदर एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.
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बिना कंपनी के ब्योरे वाला शर्बत कैसे बेच रहा है अमेजन
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन ने याचिका में दावा किया है कि अमेजन पर बिक रहे पाकिस्तानी शर्बत की पैकेजिंग पर इसे बनाने वाली कंपनी का ब्योरा भी नहीं दिया जा रहा है. हाईकोर्ट ने इस पर बेहद आश्चर्य जताया है. हाईकोर्ट ने कहा, रूह अफजा ऐसा उत्पाद है, जिसे भारत में एक सदी से भी ज्यादा समय से उपयोग किया जा रहा है. इसकी क्वालिटी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट (Food Safety and Standards Act) और लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट (Legal Metrology Act) के मानकों पर खरी उतरती है. ऐसे में यह बेहद हैरान करने वाला है कि अमेजन पर एक इंपोर्टेड उत्पाद बिना मेन्युफेक्चरर्र की डिटेल के ही बेचा जा रहा है.
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क्या है रूह अफजा शर्बत
रूह अफजा गहरे गुलाबी रंग का मीठा शर्बत होता है, जिसे फलों, गुलाब की पंखुड़ियों और जड़ी-बूटियों को यूनानी दवा फार्मूले से मिश्रण तैयार कर बनाया जाता है. माना जाता है कि इसमें मौजूद तत्व शरीर को ठंडा रखने के गुण होते हैं. इसका इस्तेमाल उत्तर भारतीय इलाकों में लंबे समय से ठंडे पानी या दूध में मिलाकर किया जा रहा है. इसके अलावा भी तमाम त्योहारों व तमाम तरह की डिश में इस शर्बत का उपयोग किया जाता है.
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कब किया गया ईजाद
यह शर्बत सबसे पहले 20वीं सदी के पहले दशक में गर्मी में लू लगने के इलाज के तौर पर दिल्ली में तैयार किया गया था. इसका आविष्कारक हकीम हाफिज अब्दुल मजीद (Hakim Hafiz Abdul Majeed) को माना जाता है, जो दिल्ली में यूनानी पद्धति का छोटा सा क्लीनिक चलाने वाले हकीम थे. यूनानी पद्धति इलाज की एक पुरातन ग्रीको-अरेबिक विधि है, जो मध्य पूर्व और कुछ दक्षिण एशियाई देशों में आज भी बेहद प्रसिद्ध है. यूनानी पद्धति को भारत में भी केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने पुरातन इलाज की विधियों में शामिल किया है.
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साल 1906 में हकीम मजीद ने उत्तर भारत की चिलचिलाती गर्मी में लू के कारण हीट स्ट्रोक और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं का इलाज तलाश रहे थे. इसी दौरान दवाइयों के कई मिश्रण आजमाने के बाद आखिरकार उन्होंने रूह अफजा शर्बत तैयार कर लिया, जिसे बेहद लोकप्रियता मिली. हालांकि हकीम मजीद का निधन महज 34 साल की उम्र में हो गया. इसके बाद उनकी पत्नी राबिया बेगम (Rabea Begum) ने हकीम मजीद की याद में हमदर्द ट्रस्ट की स्थापना की, जिसका मकसद चैरिटेबिल गतिविधियों को अंजाम देना और यूनानी दवाइयों पर रिसर्च करना है.
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भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में छिपा है रूह अफजा का विवाद
रूह अफजा को लेकर भारत बनाम पाकिस्तान के झगड़े की जड़ साल 1947 के भारत विभाजन में छिपी है. बंटवारे में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान बनाए गए, लेकिन राबिया बेगम के बड़े बेटे हकीम अब्दुल हमीद (Hakim Abdul Hamid) भारत में ही रूक गए. इसके उलट उनके छोटे बेटे हकीम मोहम्मद (Hakim Mohammed) पश्चिमी पाकिस्तान (मौजूदा पाकिस्तान) चले गए. बस यहीं से रूह अफजा दोनों देशों की मिल्कियत बन गया.
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अमेजन पर रूह अफजा बेचने वाली पाकिस्तानी कंपनी हमदर्द लेबोरेट्रीज (वक्फ) है, जबकि भारत में इसे बनाने और बेचने का काम हमदर्द नेशनल फाउंडेशन करती है. पाकिस्तान की Hamdard Laboratory (Waqf) की वेबसाइट के मुताबिक, इस कंपनी की स्थापना साल 1948 में हकीम मोहम्मद ने कराची (Karachi) में की थी. उस समय यह किराये पर लिए गए दो कमरों में बने क्लीनिक तिब्ब-ए-यूनानी (Tibb-e-Unani) में चालू की गई थी. वेबसाइट के मुताबिक, जल्द ही यह कंपनी रूह अफजा सिरप और अन्य प्रभावी हर्बल दवाइयों के दम पर पाकिस्तान में सक्सेस स्टोरी बन गई.
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बांग्लादेश बना तो बन गई तीसरी हमदर्द
साल 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश (Bangladesh) बना तो वहां भी एक हमदर्द ट्रस्ट गठित की गई. न्यूयॉर्क टाइम्स में साल 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की तीनों हमदर्द इकाई हकीम हाफिज अब्दुल मजीद के ही अलग-अलग परिजन चला रहे हैं और तीनों स्वतंत्र कंपनियां हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमदर्द इंडिया आज की तारीख में रूह अफजा नाम के उत्पाद की बिक्री से सालाना 200 करोड़ रुपये कमाती है.
कैसे शुरू हुआ ताजा विवाद
दरअसल साल 2019 में ईद (EID) के त्योहार से पहले भारत में रूह अफजा शर्बत की डिमांड अचानक इतनी ज्यादा हो गई कि बाजार में इसकी किल्लत हो गई. इसके बाद हमदर्द लेबोरेट्रीज पाकिस्तान को भारत सरकार से इजाजत मिलने पर वाघा-अटारी बॉर्डर के जरिए रूह अफजा सप्लाई करने का प्रस्ताव दिया गया.
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Rooh Afza शर्बत भारतीय है या पाकिस्तानी, हाई कोर्ट ने दिया क्या आदेश, जानिए पूरा मामला