डीएनए हिंदी: पीएम नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का अनावरण किया है. इसके साथ ही एक बार फिर देश का राष्ट्रीय प्रतीक चर्चा में है. इस प्रतीक के साथ भारत का गर्व और समृद्ध इतिहास जुड़ा है. सारनाथ के अशोक स्तंभ को प्रतीक बनाने से पहले लंबी चर्चा हुई थी और इसके सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद इसे अपनाया गया था. 26 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर मान्यता दी गई थी. अशोक स्तंभ के महत्व और इसके इतिहास से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें जानें यहां. 

Sarnath में हुई थी महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति 
सारनाथ में महात्मा बुद्ध को ज्ञान मिला था और इसलिए इस जगह पर सम्राट अशोक ने अशोक स्तंभ का निर्माण कराया था. लगभग 300 ईस्वी पूर्व इस सिंह स्तंभ का निर्माण किया गया था. यह स्तंभ वास्तुकला के साथ भारतीय इतिहास के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है. कहते हैं कि बुद्ध ने वर्षावास समाप्ति के बाद भिक्षुओं को ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ का आदेश दिया था. इस जगह की महत्ता को देखते हुए सम्राट अशोक ने यहां पर गर्जना करते हुए 4 सिंहों का निर्माण कराया था. 

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क्या है अशोक स्तंभ की खासियत 
सारनाथ में बने अशोक स्तंभ वास्तुशिल्प के लिहाज से उम्दा उदाहरण हैं. इन्हें चुनार के बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. बलुआ पत्थरों पर कारीगरी बेहद कुशलता से उकेरी गई हैं. इस आकृति पर चार सिंह बने हैं इन सिंहों के बाल, मांसपेशियां, गर्जना करते हुए गर्दन की आकृति सब कुछ बहुत बारीकी से और एक-एक पहलू को ध्यान में रखकर बनाया गया है. 

अशोक स्तंभ भारतीय कला और आध्यात्म का भी प्रतीक
अशोक स्तंभ भारतीय कला और आध्यात्म का भी प्रतीक

क्या है 4 सिंहों का महत्व 
अशोक स्तंभ पर 4 सिंहों की आकृति उकेरी गई हैं और इनके बारे में मान्यता है कि ये चारों सिंह चार दिशाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं. सिंहों के नीचे एक पट्टी पर चारों दिशाओं में चक्र बने हुए हैं. इन चक्रों में 32 तीलियां हैं जिनको धर्म चक्र प्रवर्तन का प्रतीक माना जाता है. सिंहों की गर्जना करती हुई आकृति को निरंतर चलते रहने और सक्रिय रहने का प्रतीक समझा जाता है. 

सारनाथ में चुनार के बलुआ मिट्टी और पत्थरों से किया गया निर्माण
सारनाथ में चुनार के बलुआ मिट्टी और पत्थरों से किया गया निर्माण

आजादी के बाद क्यों चुना गया इसे राष्ट्रीय चिह्न 
अशोक चक्र को हमारे राष्ट्रीय चिह्न के तौर पर स्वीकार किया गया है. इसके नीचे वाली पट्टी में चार पशु जिनमें हाथी, घोड़ा, बैल और सिंह बने हुए हैं. अशोक स्तंभ को स्वीकार किए जाने से पहले काफी चर्चा की गई थी और हर पहलू पर विचार-विमर्श के बाद आजादी के बाद इसे देश का राष्ट्रीय चिह्न चुना गया. 

नए संसद भवन परिसर में  9,500 किलो का अशोक स्तंभ
नए संसद भवन परिसर में  9,500 किलो का अशोक स्तंभ

दरअसल 4 सिंहों को गर्व, आत्मविश्वास, संकल्प और ताकत के प्रतीक के तौर पर माना गया है. इसमें मौजूद 32 चक्रों को न्याय और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. साथ ही यह आजाद हुए नए देश की निरंतर प्रगति का भी प्रतीक है. इसके अलावा, नीचे मौजूद बैल, घोड़ा और हाथी भी हैं जो भारतीय विविधता, कृषि संस्कृति और शौर्य का प्रतीक हैं. 

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पीएम ने किया अशोक स्तंभ का अनावरण लेकिन क्या है राष्ट्रीय प्रतीक का इतिहास
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पीएम मोदी ने किया अशोक स्तंभ का अनावरण

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पीएम ने किया अशोक स्तंभ का अनावरण लेकिन क्या है राष्ट्रीय प्रतीक का इतिहास और महत्व, जानें