डीएनए हिंदीः इंडोनेशिया के बाली (Bali) में जी-20 की बैठक खत्म हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) इस बैठक में शामिल होकर देश वापस लौट चुके हैं. इस बैठक में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने G-20 की अध्यक्षता (G20 Presidency) आधिकारिक तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी को सौंप दी. यह भारत के लिए काफी गर्व की बात है. जी-20 की अध्यक्षता स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समूह की अध्यक्षता स्वीकार करना भारत के हर नागरिक के लिए गर्व की बात है. आखिर भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है और इससे वैश्विक पटल पर कैसे देश की छवि बेहतर होगी, इसे विस्तार से समझते हैं.
क्या है जी-20?
जी-20 का गठन साल 1999 में हुआ. मुख्य रूप से इसका उद्देश्य दुनिया के आर्थिक विकास की चिंता करना और कारोबार के क्षेत्र में काम करना है. जी-20 की बैठकों में ज्यादातर अलग-अलग देशों के वित्त मंत्री और सदस्य देशों के सेंट्रल बैंकों के गवर्नर हिस्सा लेते हैं. साल 2008 में नवंबर महीने में पहली बार जी-20 सम्मेलन का आयोजन हुआ. जी-20 में शामिल ज्यादातर देश बड़ी आर्थिक ताकतें हैं. जनसंख्या के हिसाब से देखें तो दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी सिर्फ़ इन्हीं 20 देशों में रहती है. इसके अलावा, जी-20 देशों की जीडीपी दुनिया की कुल जीडीपी में 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है. व्यापार के लिहाज से देखें तो दुनियाभर में होने वाले निर्यात का 75 प्रतिशत हिस्सा जी-20 देशों से होता है.
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कौन-कौन देश हैं G-20 के सदस्य?
वर्तमान में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन जी-20 के सदस्य हैं. इसके अलावा स्पेन इस गुट का स्थायी मेहमान सदस्य है.
1 दिसंबर से भारत की अध्यक्षता अवधि होगी शुरू
बाली में आयोजित दो दिवसीय जी20 समिट के आखिरी दिन जी-20 की कमान सौंप दी गई. अगले एक साल तक भारत देश जी20 से जुड़ी 200 बैठकों की मेजबानी करेगा. जिसमें दुनिया के तमाम विशेषज्ञ और दिग्गज शामिल होंगे. बता दें कि जी-20 की 18वीं राष्ट्रप्रमुखों की बैठक 9-10 सितंबर 2023 को राजधानी दिल्ली में होगी.
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भारत के लिए क्यों खास है जी-20 की अध्यक्षता?
जी-20 की अध्यक्षता हर साल एक नए देश के पास होती है. ऐसे में भारत को यह मौका मिल चुका है. यह कूतनीति के हिसाब से अपने आप में काफी महत्व रखता है. भारत के पास जी-20 को फिर से उसके आर्थिक लक्ष्यों की तरफ ले जाने का मौका होगा. भारत के पास वैश्विक मुद्दों को अपनी सोच को दुनिया के सामने रखने का बड़ा मौका है. भारत ने बहुत से मुद्दे उठाए हैं, जैसे इंटरनेशनल सोलर एलायंस की बात हो या प्रधानमंत्री ने पिछले साल ग्लासगो में जो लाइफस्टाइल फॉर इंवायरमेंट की बात की थी, तो भारत को एक मौका मिलता है कि इतने बड़े मंच से अपनी बात कहने का और उसको एक दिशानिर्देश देने का. भारत अब अगले सम्मेलन की अध्यक्षता भी कर रहा है और भारत ही इसका एजेंडा तय करेगा. भारत इस समय दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है दुनिया में सबसे तेज़ी से आगे बढ़ने वाले देशों में शामिल है.
भारत की भूमिका होगी अहम
बता दें कि जी20 के अध्यक्ष देश के पास खास पॉवर नहीं होती. लेकिन मेजबान होने के नाते उसका हर फैसले में दखल होता है. और वो बड़ी समस्याओं को सुलझाने का केंद्र होता है. भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्ष वी शृंगला जी20 कोर्डिनेटर चीफ होंगे. जो जी20 से जुड़ी तमाम पॉलिसीज को अंतिम रूप देंगे. आपको बता दें कि जी20 मूल रूप से दो एजेंडों पर चलती है. इसमें एक को फाइनेंस ट्रैक कहते हैं, वहीं दूसरे को शेरपा ट्रैक. इनमें से फाइनेंस से जुड़े मुद्दों पर वित्तमंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर विचार करते हैं वहीं दूसरे पर राष्ट्रप्रमुख हिस्सा लेते हैं.
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G20 की अध्यक्षता भारत को मिलना कितना अहम? वैश्विक स्तर पर कैसे बढ़ेगा देश का कद