डीएनए हिंदीः उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) में 2 जनवरी से लेकर अब तक जो हो रहा है उस पर लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं. सपनों से जिस घर को लोगों ने बड़ी उम्मीदों के साथ बनाया था उसे अपनी आंखों के सामने टूटते देख लोगों की आंखें भर आ रही हैं. सड़क और घरों की दरारें फटने लगी हैं. लोगों के जेहन में दहशत का माहौल है. सालों से यहां करने वाले लोगों के लिए यह तय कर पाना मुश्किल है कि वह कहां जाएं. जोशीमठ में पहले चरण में 678 मकानों और 2 होटलों को असुरक्षित घोषित किया जा चुका है. लोगों से जगह खाली करने के बाद उन्हें तोड़ने की कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है.  
 
उत्तराखंड के चमोली जिला स्थित जोशीमठ की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है. यहां तमाम मकानों में दरारें पड़ चुकी है. जमीन लगातार धंस रही है और जहां-तहां से पानी की क्षीर (सोते) फूट रहे हैं. जोशीमठ के मुख्य पोस्ट ऑफिस को दरारों के चलते वहां से दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है. लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा जा चुका है. जोशीमठ की बात करें तो इसका कुलक्षेत्र 2458 वर्ग किमी का है, जो दिल्ली के 1483 वर्ग किमी क्षेत्रफल से काफी अधिक है.  

क्या है जोशीमठ का धार्मिक महत्व
उत्तराखंड के हरिद्वार (Haridwar) बद्रीनाथ राजमार्ग पर बने जोशीमठ की स्थापना हजारों साल पहले शंकराचार्य ने की थी. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) ने स्वयं के चार विद्यापीठ में से एक ज्योतिषमठ यहीं बनाया और इसे ज्योतिर्मठ का नाम दिया गया. आदिगुरु शंकराचार्य ने अपने परम प्रिय शिष्य टोटका को यहां का दायित्व सौंपा.यह पवित्र तीर्थस्थान कामप्रयाग क्षेत्र में है. अलकनंदा और धौलीगंगा नदी का संगम यहीं होता है. 

जोशीमठ में तबाही की क्या है वजह? 
दरअसल जोशीमठ की आपदा के पीछे सबसे बड़ी वजह अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन को बताया जा रहा है. आईटीबीपी और सेना की बटालियनों के लिए निर्माण हुए, साथ ही बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब मार्ग का मुख्य शहर होने की वजह से यहां बड़े-बड़े होटल भी बन गए. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जोशीमठ में कंस्ट्रक्शन के कारण ड्रेनेज के लिए उचित व्यवस्था नहीं की गई है. जमीन में पानी रिसने से काफी नुकसान पिछले कुछ सालों में हो चुका है. फरवरी 2021 में आई ऋषिगंगा आपदा के बाद जोशीमठ और आसपास के इलाकों में जमीन धंसने की रफ्तार तेज हो गई है. जिसकी वजह से आज जोशीमठ में हर तरफ दरारें दिख रही हैं और जगह-जगह जलस्रोत फूटे हुए हैं. 

जोशीमठ तबाही के पीछे कहीं ये वजह तो नहीं
जोशीमठ जिस अलकनंदा और धौली गंगा के संगम के बाएं पहाड़ी ढलान पर बसा है. वहीं धौली गंगा की तरफ जाने पर करीब 15 किलोमीटर ऊपर एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट है. फरवरी 2021 में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़ में यह पूरा प्रोजेट तहस नहस हो गया था. इस प्रोजेक्ट साइट के पास एक सुरंग बनाई जा रही है, जिसे अलकनंदा से कनेक्ट करने का काम चल रहा है. बांध के पानी को वैकल्पिक रास्ता देने के लिए इस तरह की सुरंगे बनाई जाती हैं. यही अधबनी सुरंग सबके निशाने पर है. तपोवन परियोजना के तहत साल 2009 में यहां टनल बनाने के दौरान एक टनल बोरिंग मशीन यहां फंस गई थी. इस बोरिंग मशीन की वजह से वहां 250 क्यूसेक पानी का जलस्रोत पंक्चर हो गया था. इस समय जोशीमठ में जगह-जगह से जो पानी निकल रहा है, उसकी वजह यही घटना भी हो सकती है. 

जोशीमठ के ढहने के मुख्य कारण?

- कमजोर भौगोलिक स्थिति होने के बावजूद 20 हजार से अधिक आबादी वाले जोशीमठ में लगातार कंस्ट्रक्शन बढ़ी हैं. 

- चमौली जिले में 6000ft की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ में NTPC के तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रो पावर प्लांट के लिए खोदी गई सुरंग

- विष्णुप्रयाग से बहने वाली धाराओं और प्राकृतिक धाराओं ने लगातार मिट्टी को काटने का काम किया है जिससे मकानों की बुनयाद कमजोर हुई है.

- जोशीमठ, हाइ रिस्क वाले भूकंपीय क्षेत्र 'Zone-V' में आता है. इसका मतलब यहां और इसके आसपास भूकंप का खतरा अधिक रहता है.

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If Joshimath collapses then how much loss will be there Know everything about this area of ​​Uttarakhand
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अगर ढह गया दिल्ली से बड़ा जोशीमठ तो होगा कितना नुकसान?
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जोशीमठ में लगातार मकान दरक रहे हैं.
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अगर ढह गया दिल्ली से बड़ा जोशीमठ तो होगा कितना नुकसान? उत्तराखंड के इस इलाके के बारे में जानें हर एक बात