डीएनए हिंदी: भारतीय वायुसेना के लिए आज का दिन बेहद मनहूस रहा. भारत ने अपने दो लड़ाकू विमान एक हादसे में खो दिए हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुरैना में शनिवार की सुबह वायुसेना के दो फाइटर जेट हादसे का शिकार हो गए. वायुसेना के मुताबिक सुबह 5.30 बजे सुखोई-30 और मिराज-2000 लड़ाकू विमान क्रैश हो गए. भारतीय वायु सेना ने दुर्घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं.
भारतीय वायु सेना ने हादसे के बाद कहा, 'आज सुबह ग्वालियर के नजदीक भारतीय वायुसेना के दो लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए. विमान रुटीन ऑपरेशनल फ्लाइन ट्रेनिंग मिशन पर थे. 3 में से एक पायलट को बेहद घातक चोटें आईं. दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए एक इन्क्वायरी का आदेश दिया गया है. आइए जानते हैं कि सुखोई-30 और मिराज-2000 की खासियत क्या है.
क्या है मिराज की खासियत?
मिराज 2000 वायुसेना का अपडेटेड फाइटर जेट है. इसे लगातार अपडेट किया गया है. यह भारी लोडिंग झेल सता है. लेजर गाइडेड बम और लेटेस्ट अपडेट की वजह से इसे कई महत्वपूर्ण सैन्य ऑपरेशन में तैनात किया गया है. मिराज को 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भी तैनात किया गया था.
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मिराज-2000 वायुसेना के सबसे बहुमुखी और घातक विमानों में से एक है. इसे वज्र भी कहा जाता है. भारत ने 1982 में 36 सिंगल-सीटर मिराज-2000 और 4 ट्विन-सीटर मिराज 2000 का ऑर्डर तब दिया था, जब पाकिस्तान ने लॉकहीड मार्टिन द्वारा अमेरिका निर्मित F-16 फाइटर जेट खरीदा था.
मिराज 2000 में सिंगल शाफ्ट SNECMA M53 इंजन का इस्तेमाल किया गया है जो अन्य लड़ाकू विमानों की तुलना में हल्का और आसान है. इंजन जेट को 2,336 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चला सकता है. ड्रॉप टैंक के साथ 1,550 किमी की यात्रा करने में यह सक्षम है. यह 59,000 फीट ऊंचाई से दहाड़ सकता है.
मिराज 2000 में फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम है और इसमें सेक्सटेंट वीई-130 एचयूडी है, जो फ्लाइट कंट्रोल, नेविगेशन, टारगेट एंगेजमेंट और हथियार फायरिंग से संबंधित डेटा शो कर सकता है. मिराज 2000 लेजर गाइडेड मिसाइल है और हवा से हवा में मार करने में सक्षम है. इसका रडार भी बेहद मजबूत है.
क्या है सुखोई की खासियत?
सुखोई Su-30MKI भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए बेहद अहम फाइटर जेट है. सुखोई डिजाइन ब्यूरो और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने संयुक्त रूप से इसे विकसित किया है. यह एक मल्टीरोल लड़ाकू लड़ाकू विमान है. Su-30 के बेस पर Su-30MKI थ्रस्ट वेक्टरिंग कंट्रोल और कैनडर्स से लैस है. 1995 से ही इसके अलग-अलग वेरिएंट्स सेना के लिए बेहद अहम रहे हैं. सुखोई और इकुर्ट कॉर्पोरेशन मिलकर विमान का प्रोडक्शन देख रहे हैं. सुखोई ने 1995 और 1998 के बीच Su-30MKI के दो प्रोटोटाइप बनाए. सुखोई हर लिहाज से सेना के लिए बेहद अहम है.
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अत्याधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई-30 MKI दक्षिण भारत पर नजर रखता है. पहली बार वायुसेना ने इन विमानों का स्क्वाड्रन टाइगर-शार्क तमिलनाडु के तंजावुर एयरबेस पर तैनात किया गया है. इस भारत हिंद महासागर में इसी वजह से मजबूत पकड़ रखता है. भारत के मजबूत स्क्वाड्रन 222 के फाइटर जेट ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ले जा सकते हैं. भारत ने सुखोई -30 एमकेआई फाइटर जेट की स्वदेशी ओवरहालिंग क्षमता हासिल की है.
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Su-30MKI 30 मिमी Gsh-30-1 तोप से लैस है. इसके साथ 150 राउंड गोला बारूद दागे जा सकते हैं. विमान में 12 हार्डपॉइंट हैं. इनके जरिए हवा से सतह पर बने ठिकानों को नष्ट किया जा सकता है. सुखोई की लंबाई 72 फीट है. विंगस्पैन 48.3 फीट है. ऊंचाई 20.10 फीट है. इसका वजन 18,400 KG है. इसमें लीयुल्का एल-31एफपी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं, जो उसे 123 किलोन्यूटन की ताकत देता है. यह बेहद शक्तिशाली फाइटर जेट है, जिससे टकराकर कुछ भी तबाह हो सकता है.
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