डीएनए हिंदीः देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) में करीब दो दशक बाद अध्यक्ष पद के चुनाव होने जा रहे हैं. 17 अक्टूबर को अध्यक्ष पद के चुनाव की तारीख तय कर दी गई है. दूसरी तरफ गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के इस्तीफा देने के बाद पार्टी को बड़ा झटका लगा है. जी-23 में शामिल कई बड़े नेताओं के भी पार्टी से इस्तीफा देने की चर्चा चल रही है. इतिहास में कांग्रेस को कई बार टूट का सामना करना है. कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने के बाद भी कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी रही. कांग्रेस को अब तक कितनी बार टूट का सामना करना पड़ा और कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं की क्या स्थिति रही, विस्तार से समझते हैं.
कब हुआ कांग्रेस का गठन?
कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज के दौरान 28 दिसंबर 1885 को हुई थी. एलेन ओक्टेवियन ह्यूम (Allan Octavian Hume) 1857 के गदर के वक्त इटावा के कलेक्टर थे. ह्यूम ने खुद ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाई. वह थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य भी थे. उन्होंने 1882 में पद से अवकाश लेकर कांग्रेस यूनियन का गठन किया. उन्हीं की अगुआई में बॉम्बे में पार्टी की पहली बैठक हुई थी. कांग्रेस के संस्थापकों में ए. ओ. ह्यूम, दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे. व्योमेश चंद्र बनर्जी इसके पहले अध्यक्ष बने.
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सबसे पहले नेहरू ने तोड़ी कांग्रेस
कांग्रेस में पहली बार टूट पंडित मोतीलाल नेहरू ने की थी. मोतीलाल नेहरू ने चितरंजन दास के साथ मिलकर स्वराज पार्टी का गठन किया था. उसके बाद सुभाषचंद्र बोस ने अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया था. कांग्रेस को 1951 में टूट का सामना करना पड़ा था, जब जेबी कृपलानी ने कांग्रेस से अलग होकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी का गठन किया था. इसके बाद एनजी रंगा ने हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी का गठन किया. 1956 में सी. राजगोपालाचारी ने कांग्रेस छोड़कर इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई थी.
1959 में कई राज्यों में टूटी कांग्रेस
कांग्रेस में पहली बड़ी टूट 1959 में देखने को मिली. तब कांग्रेस को बिहार, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा में टूट का सामना करना पड़ा. इसके बाद 1964 में KM जॉर्ज ने केरल में पार्टी को तोड़कर केरल कांग्रेस तो 1967 में चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय क्रांति दल बनाया. इसी दल को बाद में लोकदल का नाम दिया गया.
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जब इंदिरा गांधी को ही कर दिया गया कांग्रेस से बर्खास्त
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ही 12 नवंबर 1969 को कांग्रेस से बाहर कर दिया गया. यह कांग्रेस के इतिहास की सबसे बड़ी घटना थी. इसके बाद इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (R) नाम से नई पार्टी बनाई. इसे ही बाद में कांग्रेस (I) नाम दे दिया गया. यही पार्टी आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) के नाम से जानी जाती है.
वीपी सिंह ने बनाया जनमोर्चा
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. उनके खिलाफ वीपी सिंह ने मोर्चा खड़ा कर दिया. राजीव गांधी के खिलाफ बगावत हुई और 1988 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा था. उसके बाद वीपी सिंह ने जनमोर्चा नाम से नई पार्टी का गठन किया. जनमोर्चा के भी बाद में कई टुकड़े हो गए. इससे जनता दल, जनता दल (यू), राजद और समाजवादी पार्टी का गठन हुआ.
शरद पवार, ममता, पटनायक और मुफ़्ती भी अलग हुए
कांग्रेस को 1999 के आसपास एक और बड़ी टूट का सामना करना पड़ा. जब कांग्रेस में सोनिया गांधी की ताजपोशी की तैयारी की जाने लगी तो कई बड़े नेताओं ने इसका विरोध शुरु कर दिया. शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC), YSR कांग्रेस, छत्तीसगढ़ में अजित जोगी की जनता कांग्रेस, ओडिशी में बीजू पटनायक ने बीजू जनता दल (BJD) बना लिया. उधर जम्मू कश्मीर में मुफ़्ती मुहम्मद सईद ने PDP नाम से नई पार्टी बना ली.
एनडी तिवारी और पी चिदंबरम ने भी बनाई थी पार्टी
अर्जुन सिंह के साथ मिलकर नारायण दत्त तिवारी ने तिवारी कांग्रेस बनाई थी. यह पार्टी कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी. दोनों ही नेता बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए. वहीं पी. चितंबरम ने GK मूपनार के साथ मिलकर तमिल मनिला कांग्रेस के नाम से नई पार्टी बनाई थी. बाद में पी चिदंबरम बाद में कांग्रेस में वापस आ गए.
अमरिंदर सिंह ने पंजाब में दिया झटका
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पार्टी का साध छोड़ दिया. उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस (Punjab Lok Congress) नाम की पार्टी बना ली. हालांकि चुनाव में यह पार्टी कोई कमाल नहीं दिखा सकी. खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनाव हार गए. पार्टी को चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली. इसके बाद पार्टी का बीजेपी में विलय हो गया.
गुलाम नबी ने भी दिया झटका
गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने राहुल गांधी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया. गुलाम नबी ने अपनी पार्टी बनाने का ऐलान भी कर दिया है. गुलाम नबी के समर्थन में जम्मू-कश्मीर के कई बड़े नेता इस्तीफा दे चुके हैं.
साल-दर-साल कमजोर हो रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी पिछले 10 साल में लगातार कमजोर होती जा रही है. कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं. इसी साल गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल, गुजरात नेता पूर्व कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल, नरेश रावल और राजू परमार, कपिल सिब्बल, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़, पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं.
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2021 में इन नेताओं ने छोड़ी पार्टी
पीसी चाको, अभिजीत मुखर्जी, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, लुइज़िन्हो फलेरो, ललितेश त्रिपाठी अमरिंदर सिंह, कीर्ति आजाद, मुकुल संगमा, अदिति सिंह, गोविंददास कोंथौजामी, विजयन थोमस, ए नमस्सिवयम, वीएम सुधीरन, रवि एस नाइक
2020 में पार्टी छोड़ने वाले नेता
खुशबू सुंदर, ज्योतिरादित्या सिंधिया
2019 में पार्टी छोड़ने वाले नेता
उर्मिला मातोंडकर, मौसम नूर, अल्पेश ठाकुर, कृपाशंकर सिंह, पनाबाका लक्ष्मी, एपी अब्दुल्लाकुट्टी (निष्कासित), राधाकृष्ण विखे पाटिल, भुवनेश्वर कलिता, संजय सिंह, एसएम कृष्णा, टॉम वडक्कन, नारायण राणे, प्रियंका चतुर्वेदी, चंद्रकांत कवलेकर
2018 में पार्टी छोड़ने वाले नेता
अलेक्जेंडर लालू हेकी, यानथुंगो पैटन, अशोक चधौरी
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2017 में पार्टी छोड़ने वाले नेता
नारायण दत्त तिवारी, शंकरसिंह वाघेला, यशपाल आर्य, रवि किशन, बरखा शुक्ला सिंह, विश्वजीत राणे,
2016 में पार्टी छोड़ने वाले नेता
रीता बहुगुणा जोशी, विजय बहुगुणा, एन बिरेन सिंह, अजित जोगी, सुदीप रॉय बरमन, पेमा खांडू, हरक सिंह रावत
2015 में पार्टी छोड़ने वाले नेता
जयंती नटराजन, गिरिधर गमंग, अब्दुल गनी वकील, हिमंत बिस्व सरमा
2014 में पार्टी छोड़ने वाले नेता
दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, बिरेंदर सिंह, जगदंबिका पाल, जीके वसन, सतपाल महाराज
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