डीएनए हिंदी: चंद दिनों में भारत सरकार 2024-25 के लिए अपना बजट पेश करने वाली है. हालांकि, 2024 चुनावी साल है और चंद महीनों में ही लोकसभा के चुनाव होने हैं ऐसे में 1 फरवरी को अंतरिम बजट ही पेश किया जाएगा. चुनाव के बाद नई सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी. इसके बावजूद बजट तैयार करने की प्रक्रिया, खर्चों का आकलन, आय का अनुमान और बाकी की पूरी प्रक्रिया वैसी ही रहती है. एक बड़ी मशीनरी इस बजट प्रक्रिया में हिस्सा लेती है और पूरे देश का बजट तैयार किया जाता है. संसद में इसे देश के वित्त मंत्री को पेश करना होता है. इस बार भी मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ही 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी.
इस सालाना बजट से ठीक पहले सरकार इकोनॉमिक सर्वे पेश करती है जिसमें पिछले सरकार के आय और व्यय के बारे में बताया जाता है. नए वित्त वर्ष के बजट के बारे में सरकार विस्तार से बताती है कि पूरे साल में उसे कहां से कितनी कमाई होगी, इस कमाई को कहां और कैसे खर्च किया जाएगा. साथ ही, वह यह भी बताती है कि नए साल में कौन सी नई योजनाएं होंगी और उसे कर्ज चुकाने के लिए कितने पैसे खर्च करने होंगे. आइए विस्तार से समझते हैं कि भारत में बजट को तैयार कैसे किया जाता है.
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कैसे बनता है बजट?
संविधान में बजट शब्द कहीं नहीं लिखा है. संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण लिखा गया है और नियम है कि राष्ट्रपति को यह लेखा-जोखा देश के सामने रखना होता है. हालांकि, राष्ट्रपति की ओर से देश के वित्त मंत्री इसे पेश करते हैं. अगर वित्त मंत्री उपलब्ध न हों या पद खाली हो तब राष्ट्रपति किसी और को भी बजट पेश करने के लिए कर सकते हैं. 2019 में अरुण जेटली के निधन के बाद पीयूष गोयल ने बिना वित्त मंत्री बने ही बजट पेश किया था.
बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू होने से पहले एक सर्वे करवाया जाता है जिसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जाता है. सरकार अनुमान लगाती है कि उसे डायरेक्ट टैक्स से, इनडायरेक्ट टैक्स से, रेलवे समेत अन्य मंत्रालयों से और अन्य स्रोतों से सालभर में कुल कितनी कमाई होगी.
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सबके साथ की जाती है मीटिंग
इसके बाद सभी मंत्रालयों, संस्थानों, सैन्य बलों और विभागों को सर्कुलर जारी करके उनसे कहा जाता है कि वे आगामी एक साल के लिए अपने अनुमानित खर्च का एक एस्टिमेट तैयार करें. सभी की ओर से एस्टिमेट आ जाने के बाद वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग सभी के साथ अलग-अलग मीटिंग करके समझौते शुरू करता है. ठीक इसी तरह से राज्यों के साथ भी मीटिंग की जाती है और उनके खर्च के बारे में भी जाना जाता है.
वित्त मंत्रालय बजट से पहले ही किसानों, व्यापारियों, सिविल सोसायटी और अर्थशास्त्रियों से भी चर्चा करता है और उनसे बजट को लेकर उनका नजरिया मांगता है. आगामी कमाई और अनुमानित खर्च के आकलन के आधार पर और अपनी सरकार के एजेंडे के आधार पर वित्त मंत्री प्रधानमंत्री की सलाह से नई योजनाएं तैयार करते हैं.
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बजट को अंतिम रूप देने से पहले सभी विभागों से आमदनी और खर्च की रसीदें भी ली जाती हैं. सभी तरह की बैठकों, चर्चाओं और परामर्श के बाद बजट को लिखा जाता है. बजट तैयार होने के बाद वित्त मंत्री के निर्देशन में बजट भाषण तैयार किया जाता है और यही बजट संसद में पढ़ा जाता है. बजट तैयार किए जाने की पूरी प्रक्रिया के दौरान वित्त मंत्रालय के अहम अधिकारी बाकी दुनिया से पूरी तरह कटे होते हैं और उन्हें इससे जुड़ी जानकारी किसी को भी देने की अनुमति नहीं होती है.
हलवा सेरेमनी
बजट तैयार हो जाने के बाद वित्त मंत्री की ओर से हलवा सेरेमनी की आयोजन किया जाता है. पहले इसके बाद बजट छपने की शुरुआत हो जाती थी लेकिन अब डिजिटल बजट की वजह से इसे छापा नहीं जाता है. बजट तैयार करने के दौरान अपने परिवारों से दूर रहे अधिकारियों के प्रति आभार प्रकट करने के लिए यह हलवा सेरेमनी बेहद खास होती है.
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