डीएनए हिंदीः भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. इसमें भारत का रक्षा क्षेत्र (Defence Sector) भी सहयोग कर रहा है. भारत इस सेक्टर में दुनिया का बड़ा प्लेयर बनने के रास्ते पर चल रहा है. अब ना सिर्फ भारत ने विदेश से हथियारों का आयात कम कर दिया है बल्कि दुनिया के कई देशों को हथियार बेच भी रहा है. रक्षा सेक्टर को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत ने इस सेक्टर में 'मेक इन इंडिया' अभियान चलाया है. पिछले 5 सालों की बात करें तो भारत ने ऐसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिससे भारत दुनिया में हथियारों का बड़ा सप्लायर बन सकता है. भारत ने रक्षा सेक्टर को लेकर क्या प्लान तैयार किया है इसे विस्तार से समझते हैं.  

भारत ने बनाया ये प्लान
भारत रक्षा क्षेत्र में खुद को बड़ा प्लेयर बनाने के लिए कई मोर्चों पर एकसाथ काम कर रहा है. देसी तकनीक पर आधारित जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम आकाश, अर्टिलिरी गन सिस्टम धनुष, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, अग्नि-5, ब्रह्मोस, पिनाका, रॉकेट सिस्टम, पिनाका मिसाइल सिस्टम, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हेलिना जैसे प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से अब तक 500 से ज्यादा डिफेंस इंडस्ट्रियल लाइसेंस 351 कंपनियों को जारी किया जा चुका है.

ये भी पढ़ेंः महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद की वजह क्या है? बेलगाम क्यों नहीं छोड़ना चाहते दोनों राज्य

INS विक्रांत ने भारत चुनिंदा देशों में हुआ शामिल 
दो सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने INS विक्रांत को नौसेना में कमीशंड हुआ था. 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार यह एयरक्राफ्ट कैरियर पूरी तरह स्वदेसी है. इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था. विक्रांत का फ्लाइट डेक दो फुटबॉल मैदान के बराबर है. विक्रांत के आने से भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास खुद एयरक्राफ्ट डिजाइन करने और निर्माण करने की क्षमता है. इस पोत को भारतीय नौसेना के इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन (DND) ने डिजाइन किया है. इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. इस पोत का नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत के नाम पर रखा गया है. INS विक्रांत अब रिटायर चुका है. जिसके साथ ही भारत के पास अभी सिर्फ एक एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज ‘INS विक्रमादित्य’ बचा है. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत (IAC Vikrant) का मोटो यानि आदर्श वाक्य है, 'जयेम सम युधि स्पृधा:'. ऋगवेद से लिए गए इस सूक्ति का अर्थ है अगर कोई मुझसे लड़ने आया तो मैं उसे परास्त करके रहूंगा. 

ये भी पढ़ेंः Congress अपने स्थापनाकाल से 70 बार टूटी-बिखरी, किन पार्टियों का हुआ जन्म और आज क्या हैं उनका हाल

डिफेंस कॉरिडोर से मिलेगी रफ्तार?
डिफेंस कॉरिडोर (Defence Corridor) सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. खासकर ये डिफेंस क्षेत्र से जुड़ा मामला है. Defence Corridor एक रूट होता है, जिसमें कई शहर शामिल होते हैं. इन शहरों में सेना के काम आने वाले सामानों के निर्माण के लिए इंडस्ट्री-उद्योग विकसित किया जाता है, जहां कई कंपनियां हिस्सा लेती हैं. इस कॉरिडोर में पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और एमएसएई कंपनियां (MSAE) हिस्सा लेंगी. इस कॉरिडोर में वो सभी औद्योगिक संस्थान भी शामिल होते हैं जो कि सेना के सामानों का निर्माण करते हैं.  

क्या है डिफेंस कॉरिडोर की अहमियत?
रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में डिफेंस कॉरिडोर का खासा महत्व है. दरअसल अभी भारत रक्षा क्षेत्र की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों पर निर्भर है. भारत अपनी जरूरत से अधिकांश हथियार दूसरे देशों से आयात करता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर के डिफेंस प्रोडक्ट और हथियारों का उत्पादन होने के साथ ही इन डिफेंस कॉरिडोरों के कारण क्षेत्रीय उद्योगों का विकास होगा और नए रोजगार का मौका बनेगा. साथ ही, उद्योग रक्षा उत्पादन के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन के साथ भी जुड़ सकेंगे. बता दें कि 2018-19 में बजट भाषण में वित्त मंत्री ने देश में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Defence Industrial Corridor) बनाए जाने की घोषणा की थी. इनमें से पहला तमिलनाडु के पांच और दूसरा उत्तर प्रदेश के छह शहरों में बन रहा है.

ये भी पढ़ेंः History of Congress Party: कैसे हुआ कांग्रेस पार्टी का गठन? क्यों पड़ी जरूरत और अबतक कौन-कौन रहा अध्यक्ष, जानें सबकुछ

यूपी में कहां बनेगा कॉरिडोर?
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में यह कॉरिडोर अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर व लखनऊ में बनाया जाएगा. खास बात है कि इसका सबसे बड़ा हिस्सा झांसी में स्थापित होगा. अलीगढ़ (Aligarh) में जो डिफेंस कॉरिडोर बना है वो व्यवसाय के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है. यह कॉरिडोर 1500 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ है. अलीगढ़ नोड में 19 इंडस्ट्रियल यूनिट्स होंगी. इकाई लगाने वालों के लिए अब तक करीब 1643 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की जा चुकी है. इसमें से करीब 1600 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है और निवेश के लिए कुल 93 एमओयू भी हो चुके हैं. इसमें से 72 इंडस्ट्रियल इकाइयों से और 21 संस्थाओं के साथ किए गए हैं. सर्वाधिक 35 एमओयू अलीगढ़ नोड्स के लिए हुए हैं. वहीं, लखनऊ, कानपुर, झांसी और आगरा नोड्स के लिए 15, 12, 9 और 2 एमओयू साइन हुए हैं.  

डिफेंस कॉरिडोर में बनेंगे ये सामान
डिफेंस कॉरिडोर में बुलेट प्रूफ जैकेट, ड्रोन, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, तोप और उसके गोले, मिसाइल, विभिन्न तरह की बंदूकें आदि बनाए जाएंगे. लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल बनेगा. इसके साथ ही लड़ाकू विमान, तोप, टैंक, पनडुब्बी, युद्धपोत, हेलीकॉप्टर, सैनिकों के लिए बूट, बुलेट प्रूफ जैकेट, पैराशूट, ग्लब्स आदि के उत्पादन से जुड़ी इकाइयां इन कॉरिडोर में स्थापित होंगी. 

ये भी पढ़ेंः Sonali Phogat: सोनाली फोगाट को पिलाया गया था मेथामफेटामाइन, जानें कितना खतरनाक होता है यह ड्रग

रक्षा क्षेत्र में भारत की बड़ी उपलब्धियां

- 10 हजार फीट की ऊंचाई पर मनाली-लेह हाइवे पर अटल टनल बनाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया है. यहां तापमान माइनस डिग्री पर होते हुए भी काम जारी रखा गया.

- शॉर्ट रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2 के जरिए एक छोटे से लक्ष्य को सफलता पूर्वक टारगेट किया गया. मिसाइल के जरिए इतना सटीक निशाना लगाने का सिस्टम अभी तक सिर्फ अमेरिका और चीन जैसे ही देश कर पाते थे.

- लेजर तकनीक पर आधारित स्वदेश निर्मित एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का सफल परीक्षण.

- सर्च और रेस्क्यू के लिए भारत में ही निर्मित एडवाांस लाइट हेलीकॉप्टर MK-III को भारतीय नेवी को सौंपा गया.

- डीआरडीओ नई जेनरेशन की अग्नि-P मिसाइल का सफल परीक्षण किया है.

- हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) ‘अभ्यास’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. ये एक स्वदेशी सिस्टम है.

- सीमा पर किसी भी गतिविधियों, निर्माण, परिवर्तन आदि पर नजर रखने के लिए CoE-SURVEI तकनीक का निर्माण किया गया है. ये AI आधारित 

- साल 2021-22 में भारत ने डिफेंस सेक्टर में  12,815 करोड़ रुपये का साजो-सामान दूसरे देशों को बेचा है.

- सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सड़क बनाने में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. लद्दाख में 19024 फीट की ऊंचाई पर वाहनों की आवाजाही के लिए एक सड़क बनाई है.

- बीते 5 सालों में डिफेंस सेक्टर के निर्यात 334 फीसदी बढ़ा है और भारत ने 75 देशों को रक्षा से जुड़ा साजो-सामान भेजा है.

- भारतीय रक्षा एवं विकास संगठन (DRDO) ने टारपीडो सिस्टम से चलने वाली सुपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

Url Title
how India is becoming a big dealer of arms Defence Sector what is the plan ahead
Short Title
5 साल में कितने देशों को बेचा सैन्य साजो-सामान, क्या है आगे का प्लान?
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
रक्षा क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है.
Date updated
Date published
Home Title

हथियारों का बड़ा सौदागर बन रहा भारत, 5 साल में कितने देशों को बेचा सैन्य साजो-सामान, क्या है आगे का प्लान?