डीएनए हिंदी: भारत में आज भी सोने में निवेश करना लोगों की पहली पसंद है. परंपरा और वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा यह चलन सदियों से कायम है. बीते साल सरकार ने इसमें एक अहम नियम भी जोड़ दिया था. इस नियम के अनुसार 14, 18 और 22 कैरेट की गोल्ड ज्वेलरी के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य है. बेशक अब ज्वेलर हॉलमार्किंग वाली ज्वेलरी बेचने के लिए बाध्य हैं, फिर भी कई स्थानीय ज्वेलर बिना हॉलमार्क के ऐसा करने का विकल्प दे सकते हैं. ऐसे में आप किसी भी सूरत में ज्वेलरी की हॉलमार्किंग सुनिश्चित करना ना भूलें. अब बात उस ज्वेलरी की जो आपके पास पहले से है और हॉलमार्क्ड नहीं है. इस पहले से खरीदी गई ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग कैसे कराई जाए? इसकी शुद्धता कैसे प्रमाणित करवाई जाए? जानते हैं इस सवाल का जवाब-
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पुरानी ज्वेलरी की हॉलमार्किंग कैसे कराएं?
1. अपनी पुरानी ज्वेलरी को हॉलमार्क कराने के लिए आपको BIS द्वारा मान्यता प्राप्त हॉलमार्किंग सेंटर पर जाना होगा.
2. पुरानी बिना हॉलमार्किंग वाली ज्वेलरी को पिघालकर नए प्रोडक्ट में बदला जा सकता है, जिसे फिर बीआईएस द्वारा मान्यता प्राप्त AHC में हॉलमार्क कराया जा सकता है.
3. पुरानी ज्वेलरी को हॉलमार्क कराने के लिए ज्वेलर इस पुरानी ज्वेलरी को BIS मान्यता प्राप्त A&H सेंटर पर टेस्टिंग के लिए देता है. इस टेस्टिंग के बाद अगर ज्वेलरी शुद्धता के मानकों पर खरीद उतरती है तो A&H सेंटर इस पर हॉलमार्क कर देता है.
हॉलमार्किंग की कीमत
ज्वेलरी के लिए हॉलमार्किंग चार्ज भी अलग-अलग तरह से तय किए गए हैं. सोने की ज्वेलरी के लिए 35 रुपये प्रति पीस और सिल्वर ज्वेलरी के लिए 25 रुपये प्रति पीस. सर्टिफिकेशन देने या रजिस्ट्रेशन के लिए ज्वेलर से कोई फीस नहीं ली जा सकती है.
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पुरानी गोल्ड ज्वेलरी की हॉलमार्किंग कैसे कराएं? जानें पूरी प्रोसेस और फीस