डीएनए हिंदीः करीब 21 साल बाद कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव (Congress President Election) किए जा रहे हैं. एक तरफ जहां विपक्षी दल इसे लेकर काफी समय से पार्टी पर निशाना साध रहे थे वहीं कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने भी अध्यक्ष पद पर चुनाव किए जाने की मांग की थी. कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया है कि 17 अक्टूबर को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाएंगे. वहीं 19 अक्टूबर को इसके नतीजे आएंगे. कांग्रेस के इतिहास में कांग्रेस अध्यक्ष का पद ज्यादातर समय नेहरू-गांधी परिवार के पास ही रहा है, जहां निर्विरोध तरीके से आम सहमति के आधार पर अध्यक्ष का फैसला होता है. बहुत ही कम ऐसे मौके आए हैं जब अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने की जरूरत पड़ी हो. आखिर कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कैसे लड़ा जाता है और इसकी प्रक्रिया क्या है? विस्तार से समझते हैं.
सिर्फ दो बार हुए अध्यक्ष पद के लिए चुनाव
कांग्रेस में अध्यक्ष पद अधिकतर गांधी परिवार के पास ही रहा है. आजादी के 75 सालों में 40 साल नेहरू-गांधी परिवार से कोई न कोई अध्यक्ष रहा तो 35 साल पार्टी की कमान गांधी-परिवार से बाहर रही. पिछले तीन दशक में सिर्फ दो ही मौके ऐसे आए हैं जब चुनाव कराने की जरूरत पड़ी हो. 1997 में सीताराम केसरी के खिलाफ शरद पवार और राजेश पायलट ने पर्चा भरा था, जहां केसरी को जीत मिली. इस चुनाव में सीताराम केसरी को 6224 वोट मिले तो वहीं पवार को 882 और पायलट को 354 वोट मिले थे. इसके बाद 2000 में दूसरी बार वोटिंग की नौबत आई. तब जब सोनिया गांधी को कांग्रेस के भीतर से दिग्गज नेता जीतेंद्र प्रसाद से चुनौती मिली. जब सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले, वहीं प्रसाद को कुल 94 वोट मिले.
ये भी पढ़ेंः भारतीय सेना का क्या है प्रोजेक्ट जोरावर? चीन के खिलाफ क्या बनाई रणनीति और क्यों है खास
कैसे चुना जाता है कांग्रेस अध्यक्ष?
कांग्रेस संविधान के मुताबिक पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव बाकायदा कुछ उसी तर्ज पर होता है जैसे देश में चुनाव होते हैं. सबसे पहले चुनाव के लिए सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी (CEA) का गठन किया जाता है. अथॉरिटी के अध्यक्ष और टीम का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष CWC की मदद से करता है. अथॉरिटी के गठन के बाद वह चुनाव का पूरा खाका और शेड्यूल तैयार करती है. जिसमें हर स्तर पर चयन की प्रक्रिया, नामांकन, नाम वापसी से ले कर, स्क्रूटनी, इलेक्शन, नतीजा और जीत के बाद विजेता को सर्टिफिकेट देने तक सबकी तारीख तय होती है.
कांग्रेस में कौन लोग डालते हैं वोट?
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव की शुरूआत सदस्यता अभियान से होती है. यह अभियान करीब एक साल तक चलता है. सदस्यता अभियान पूरा होने के बाद बूथ कमिटी और ब्लॉक कमिटी बनाई जाती है. इसके बाद जिला संगठन बनाया जाता है. इन कमेटियों का गठन भी चुनाव के आधार पर किया जाता है. कई बार इन्हें निर्विरोध भी चुन लिया जाता है. ब्लॉक कमिटी और बूथ कमिटी मिलकर प्रदेश कांग्रेस कमिटी का प्रतिनिधि या पीसीसी डेलिगेट्स चुनते हैं. हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है. इसके बाद हर 8 पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमिटी के प्रतिनिधि या एआईसीसी डेलिगेट चुना जाता है. एआईसीसी और पीसीसी का अनुपात एक और आठ का होता है. पीसीसी डेलिगेट्स के वोटों से ही प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष और पार्टी अध्यक्ष के चुनाव किया जाता है.
ये भी पढ़ेंः क्या है One Nation One Fertilizer पॉलिसी? कैसे रुकेगी फर्टिलाइजर की चोरी, किसानों को मिलेंगे कई लाभ, जानें सबकुछ
कौन लड़ सकता है अध्यक्ष का चुनाव?
कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति चुनाव के लिए हर प्रदेश में एक रिटर्निंग अधिकारी और एक से दो एपीआरओ (राज्यों के आकार के मुताबिक असिस्टेंट प्रदेश रिटर्निंग अफसर) नियुक्त किए जाते हैं. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावक बनते हैं. कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए पार्टी के किसी भी व्यक्ति को बतौर प्रस्तावक 10 पीसीसी डेलिगेट्स का समर्थन हर हाल में चाहिए होता है. ऐसे में कांग्रेस के किसी भी सदस्य को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना है तो उसे पहले 10 पीसीसी डेलिगेट्स को अपने समर्थन में जुटाना होगा. उम्मीदवारों के नामों को रिटर्निंग अधिकारी के पास भेजा जाता है और चुनाव के लिए एक तारीख निर्धारित की जाती है. इस बीच नाम वापसी के लिए सात दिन का समय भी दिया जाता है. कांग्रेस पार्टी के संविधान के मुताबिक एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर ही चुनाव होता है और अगर एक ही प्रत्याशी रह जाता है तो उसे ही अध्यक्ष मान लिया जाता है.
कांग्रेस अध्यक्ष का कितना होता है कार्यकाल?
कांग्रेस में हर पांच साल में अध्यक्ष पद का चुनाव होता है. पहले इस पद का कार्यकाल तीन वर्ष का भी रहा है. आपात स्थिति यानी अध्यक्ष के निधन या अचानक उसके इस्तीफा देने पर कार्यकारी समिति पार्टी के सबसे वरिष्ठ महासचिव को अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर जिम्मेदारी देती है, जो अगला पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुने जाने तक कमान संभालता है. 2019 में राहुल गांधी के नैतिकता के आधार पर अचानक इस्तीफे के बाद यही हुआ था और सोनिया गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया था.
ये भी पढ़ेंः समलैंगिक शादी को लेकर क्या कहता है भारत का कानून? केंद्र क्यों कर रहा विरोध
कांग्रेस में CWC की भूमिका
कांग्रेस में पार्टी के सभी बड़े फैसले कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) द्वारा लिए जाते हैं. एआईसीसी के प्रतिनिधियों के वोटिंग से कांग्रेस वर्किंग कमिटी चुनी जाती है. जब भी कोई अध्यक्ष बनता है तो वह अपनी सीडब्ल्यूसी का गठन करता है. एआईसीसी (AICC) डेलिगेट्स के द्वारा CWC के 12 सदस्य चुनकर आते हैं जबकि 11 सदस्य को अध्यक्ष मनोनीत करते हैं. हालांकि, आमतौर पर सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को अध्यक्ष ही चुनता है. इस कमिटी में अध्यक्ष के अलावा, संसद में पार्टी का नेता और अन्य सदस्य होते हैं. कांग्रेस में सीडब्ल्यूसी ही सबसे अहम होती है, जो तमाम अहम फैसले करती है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
कांग्रेस में अध्यक्ष पद का कैसे होता है चुनाव? कौन करते हैं और वोट क्या होती है प्रक्रिया, जानें सबकुछ