अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति की शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह के बाद ही ट्रम्प ने कई घोषणाएं कीं, जिनमें से एक बर्थ राइट सिटीजनशिप (जन्मजात नागरिकता) को खत्म करने का भी आदेश दिया. इसके तहत देश में जन्मे ऐसे बच्चों को नागरिकता नहीं मिल पाएगी, जिनके माता-पिता में से कोई भी अमेरिका का न हो. इस नियम को 20 फरवरी को लागू करने को कहा गया था. हालांकि, इस बीच कई राज्यों ने ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश का विरोध किया और आनन-फानन में एक फेडरेल कोर्ट ने ट्रंप के आदेश को असंवैधानिक कहते हुए उस पर रोक लगा दी. हालांकि, यह भी हो सकता है कि ट्रंप का ये आदेश दोबारा किसी और शक्ल में या थोड़ा मॉडरेट हो कर लागू हो भी जाए. क्योंकि वर्तमान सरकार जिस घुसपैठ को कम करने को लेकर जिस तरह युद्धस्तर पर काम कर रही उसे देखकर यही अनुमान लगाया जा सकता है.
ट्रंप के आदेश के बाद सीजेरियन डिलीवरी की होड़
ट्रंप के इस आदेश के बाद खबरें आने लगीं कि महिलाएं प्री-टर्म डिलीवरी के लिए अस्पतालों के चक्कर लगा रही हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक भारतीय मूल की स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि उन्हें ऐसे करीब 20 फोन आए हैं, जिनमें गर्भवती महिलाएं समय से पहले डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन कराना चाहती हैं. ट्रंप के फैसले अवैध प्रवासियों या वीजा पर रहने वाले लोगों के उन बच्चों को नागरिकता नहीं मिल पाएगी, जिनका जन्म अमेरिका में होगा. अमेरिका में रह रही भारतीय मूल की मानसी का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बर्थराइट सिटीजनशिप को खत्म करने का फैसला ठीक नहीं था. अमेरिका हमेशा से विभिन्नता वाला देश रहा है और अगर इस तरह के फैसले सरकार करती है तो उससे ये विभिन्नता खत्म होती है.
जन्मजात नागरिकता को खत्म करने से भारत को फायदा
जन्मजात नागरिकता एक ऐसी कानूनी व्यवस्था है जिसके तहत अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी व्यक्ति और उनके माता-पिता जो अमेरिका में रहते हैं, वे अमेरिकी नागरिक माने जाते हैं. इस नियम के अनुसार, अमेरिकी धरती पर पैदा हुए किसी भी व्यक्ति को माता-पिता की नागरिता या इमिग्रेशन स्थिति की परवाह किए बिना ऑटोमेटिक रूप से अमेरिकी नागरिकता प्रदान करता है. अमेरिका में यह 14वें संशोधन के तहत लागू 1868 में संविधान में जोड़ा गया था. इस कानून की वजह से अप्रवासियों से जन्मे बच्चे भी शामिल हैं, चाहे वे दस्तावेज वाले हों या गैर-दस्तावेज वाले, को भी नागरिकता दी, लेकिन अब इन सभी पर गाज गिरने वाली है. ट्रंप का ये आदेश अस्थायी कार्य वीजा जैसे H-1B पर रहने वाले माता-पिता या ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा कर रहे बच्चों को दी जाने वाली ऑटोमैटिक नागरिकता को रद्द कर देता है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र ठाकुर का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जन्मजात नागरिका को खत्म करने का फैसला भारतीयों को नुकसान से ज्यादा फायदा ही पहुंचाता. क्योंकि अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में करीब 54 लाख भारतीय रहते हैं. तो सोचिए अगर ये भारतीय अपनी सेवाएं अपने देश में देंगे तो इससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा ही होगा. ब्रेन ड्रेन की समस्या भी रुकेगी.
डीयू के प्रोफेसर से इतर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. विनोद सेन का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले का तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों ही प्रभाव पड़ेंगे. भारत के बैलेंस ऑफ पेमेंट पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इससे विदेशी निवेश में कमी होगी.वहीं, प्रोफेसर का कहना है कि बर्थ टूरिज्म के जरिए अमेरिका या अन्य विकसित देशों में जाकर बच्चे को जन्म देने का तरीका माता-पिता इसलिए अपनाते हैं ताकि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा, करियर और स्वास्थ्य मिले, पर अगर ट्रंप का ये कार्यकारी आदेश लागू होता है तो उन भारतीयों के लिए दुख की खबर होगी जो अमेरिका में बसना चाहते थे. कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के अनुसार, अमेरिका में भारतीय मूल के 5.2 मिलियन लोग रहते हैं. इसमें कहा गया है कि भारतीय अमेरिकी अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह हैं.
अमेरिका-भारत के सामाजिक तानेबाने पर प्रभाव
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में समाजशास्त्र के प्रोफेसर विशम्भर नाथ प्रजापति का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले से दोनों देशों का सामाजिक तानाबाना बिगड़ सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि ये नागरिकता को खत्म करने से ज्यादा बड़ा मसला बेरोजगारी का है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ रही है. ऐसे में उससे निपटने के लिए ट्रंप अप्रवासियों की घर वापसी कर रहे हैं. वहीं, बता दें, व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर बहुत सारी तस्वीर भी शेयर कर बताया कि उन्होंने अवैध प्रवासियों को उनके घर भेजने का अभियान शुरू कर दिया है. मिलिट्री एयरक्राफ्ट में बैठाकर उनके देश वापस भेजते हुए फोटो सोशल मीडिया पर साझा किये गए. ट्रंप के इस अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार का भी समर्थन मिल गया है. सोशल मीडिया पर अमेरिका से अवैध प्रवासी डिपोर्ट करने की तस्वीरें सामने आने के तत्काल बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह उन भारतीयों को वापस लाएगा, जो बिना उचित दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं.
क्या ट्रंप के लिए इतना आसान होगा इस कानून को खत्म करना?
कानूनी जानकारों का मानना है कि जन्मजात नागरिकता के अधिकार को एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर से खत्म नहीं किया जा सकता. इसे खत्म करने के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी. यह संशोधन रिप्रेजेंटेटिव हाउस और सीनेट में दो-तिहाई वोटों के साथ ही पास कराया जा सकता है. इसके अलावा इसमें राज्यों का भी समर्थन चाहिए होगा. साथ ही इस कानून में संवैधानिक बदला के लिए कांग्रेस और स्टेट दोनों के ही सपोर्ट की जरूरत होगी, जोकि मिलनी मुश्किल दिखती है. हालांकि, जन्म और पेरेंट्स के अलावा और भी कई तरीके हैं जिनसे किसी देश की नागरिकता मिल सकती है. अगर आप किसी दूसरे देश में लंबे समय तक रहें तो वहां की नागरिकता मांग सकते हैं. किसी खास देश के नागरिक से शादी करने पर, असाइलम के जरिए, और कुछ देशों में पैसों के जरिए नागरिकता देते हैं.
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ट्रंप द्वारा जन्मजात नागरिकता को खत्म करने का कार्यकारी आदेश लागू होगा या नहीं इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. हालांकि ट्रंप एक राजनेता के अलावा एक बिजनेसमैन भी रहे हैं. ऐसे में बिजनेसमैन एथिक्स से पहले लाभ के बारे में सोचता है. ऐसे में अमेरिका में बढ़ती घुसपैठ को नियंत्रित करने के लिए ट्रंप ने अभियान शुरू कर दिया है. ट्रंप का ये आदेश लागू हो या न हो लेकिन इसने अमेरिका जाने वालों के मन में एक शंका तो पैदा कर दी है. अब लोगों में अमेरिका जाने को लेकर वो आत्मविश्वास नहीं रहा जो पहले था. अब भारतीय अमेरिका जाने से पहले हिचक रहे हैं.
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Explainer: भारत और अमेरिका में 20 फरवरी के बाद क्या बदल जाएगा, क्यों अहम है इस तारीख को समझना