डीएनए हिंदी: श्रीलंका की आर्थिक बदहाली (Sri Lanka Crisis) में अगर सबसे बड़ा हाथ किसी देश का है तो वह चीन है. चीन और श्रीलंका की दोस्ती भारत के लिए हमेशा मुश्किलें पैदा करती है. एक बार फिर चीन-श्रीलंका (China Sri Lanka Friendship) की दोस्ती भारत की मुश्किलें बढ़ाने वाली है. चीन के 'कर्ज जाल' में फंसकर तबाह हो रहे श्रीलंका ने कुछ ऐसा किया है कि जिस पर अब देश की नजर है.
श्रीलंका ने चीन के जासूसी जहाज को हंबनटोटा पोर्ट (Hambantota International Port) पर दाखिल होने की इजाजत दे दी है. भारत जासूसी जहाज (China Spy Ship) की आमद के बाद बहुत बारीकी से स्थिति पर नजर रख रहा है. चीन के नापाक मंसूबे पर अलर्ट मोड में आ गया है. चीन का जासूसी जहाज युआन वांग 5 हंबनटाटा बंदरगाह पर तैनात होने वाला है. यह श्रीलंका के दक्षिणी तट तक 15 अगस्त तक पहुंच जाएगा. इस जहाज के जरिए चीन अंतरिक्ष और सैटेलाइट ट्रैकिंग पर नजर रखता है.
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कब तक श्रीलंका पहुंच सकता है चीनी जासूसी जहाज?
युआन वांग 5 चीनी बंदरगाह जियांगयीन से 13 जुलाई को श्रीलंका की ओर आगे बढ़ा है. मध्य चीन सागर को पार करने के बाद यह श्रीलंका बंदरगाह की ओर आगे बढ़ रहा है. यह 11 अगस्त से लेकर 17 अगस्त के बीच श्रीलंकन पोर्ट पर पहुंच जाएगा.
श्रीलंकन एयरपोर्ट तक पहुंचते-पहुंचते शिप को फिर से ऑयल फिलिंग की जरूरत पड़ेगी. ऑयल फिलिंग के बाद ये शिप हिंद महासागर में रिसर्च के लिए रवाना हो जाएगी. पोर्ट से रवाना होने के बाद ये जहाज भारत की चिंता बढ़ाएगी.
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हिंद महासागर पर कब्जा चाहता है चीन!
दरअसल चीन ने अपने जासूसी जहाज के जरिए पूरे हिंद महासागर पर नजर रखना चाहता है. यहां भारतीय एयर स्पेस में भी तांक-झांक करने की फिराक में बेचैन चीन सिर्फ भारत की जासूसी में जुटा है. उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में चीन इस जहाज की गतिविधि को बढ़ा सकता है.
रिसर्च वेसल युआन वांग 5 का निर्माण साल 2007 में चीन ने किया था. यह जहाज 222 मीटर तक फैला है और इसकी चौड़ाई 25.2 मीटर की है. चीन का यह जासूसी जहाज युआन वांग सिरीज का तीसरा अपग्रेड वर्जन है. इसे जियांगयीन शिपयार्ड ने तैयार किया है. इसे बनाने के लिए अलग-अलग एडवांस्ड टीमें एकसाथ आई हैं.
जहाज हंबनटोटा में क्यों रुक रहा है?
श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय के मीडिया प्रवक्ता कर्नल नलिन हेराथ के मुताबिक ये जहाज सिर्फ ऑयल फिलिंग के लिए ही हंबनटोटा में रुकेगी. श्रीलंका की सत्ता में हमेशा शिखर पर रहा राजपक्षे परिवार का झुकाव चीन के लिए जगजाहिर है. राजपक्षे परिवार के गृहनगर में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह का निर्माण चीन के दिए गए कर्ज से हुआ है. यह जगह रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.
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जब श्रीलंका चीन का कर्ज लौटाने में फेल हो गया तब श्रीलंका को मजबूरन इस पोर्ट को चीन के हवाले करना पड़ा. चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स ने श्रीलंका के इस पोर्ट को लीज पर लिया है. चीन इस बंदरगाह का इस्तेमाल सैन्य मकसद के लिए धड़ल्ले से करता है. भारत की चिंता के बाद श्रीलंका ने कहा है कि इस पोर्ट पर कॉमर्शियल और सैन्य जहाजों को क्लियरेंस हमेशा मिलती रही है. कर्नल हर्थ ने कहा है कि चीनी जहाज को सिर्फ इसी वजह से मंजूरी दी गई है.
दुनिया से छिपाता है चीन अपना हर मंसूबा
श्रीलंका ने कहा है कि भारत, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया की कई ऐसी जहाजें यहां रिफिलिंग के लिए आती हैं. यह कुछ भी आपत्तिजनक है. हंबनटोटा में जहाज के रुकने का मकसद अब तक साफ नहीं हो सका है. लोग अटकलें लगा रहे हैं कि यह जहाज सिर्फ रिफिलिंग के लिए रुकी है या किसी जासूसी हरकत को अंजाम देने. चीन के हर मूवमेंट पर सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं.
भारत क्यों चिंतित है?
युआन वांग 5 एक सामान्य सैन्य जहाज नहीं है. ऐसे जहाजों की आवाजाही हिंद महासागर में हमेशा भारत के लिए बेहद खतरनाक रही है. चीन उन देशों में शुमार है जिसकी कोई भी गतिविधि बेहद गुप्त होती है. वह इसी जहाज पर मिसाइल टेस्ट भी कर सकता है. चीन इस जहाज के जरिए 750 किलोमीटर दूरी तक नजर रख सकता है.
चीन अगर चाहे तो भारत कलपक्कम, कूडनकुलम और भारतीय सीमाओं के भीतर परमाणु अनुसंधान केंद्र की जासूसी कर सकता है. द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यजहाज केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बंदरगाहों को ट्रैक कर सकता है और दक्षिण भारत में सैन्य प्रतिष्ठानों की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकता है.
सैन्य और सुरक्षा की नजर से हिंद महासागर पर भारत का दबदबा बेहद जरूरी है. चीन चाहता है कि म्यांमार से लेकर पूर्वी अफ्रीका तक उसकी नजर हो. भारत चाहता है कि हिंद महासागर में अपनी गतिविधियों को चीन तत्काल रोक दे. श्रीलंका की मुख्य तमिल अल्पसंख्यक पार्टी तमिल नेशनल अलायंस ने रविवार को कहा कि हिंद महासागर में चीन की सैन्य मौजूदगी भारत के रक्षा तंत्र की चिंता बढ़ाएगी. श्रीलंका को भारत के हित में चीन को जगह नहीं देनी चाहिए.
भारत क्या कर रहा है?
भारत ने कहा है कि वह किसी भी ऐसे मूवमेंट पर बारीकी से नजर रखता है जिसकी वजह से उसकी सुरक्षा और आर्थिक हितों प्रभावित हो सकते हैं. भारत चीन की किसी भी चाल को कामयाब नहीं होने देगा.
क्या कह रहा है चीन?
MEA के एक बयान के बाद, चीन ने कहा कि उसे उम्मीद है कि हर देश उसकी वैध समुद्री गतिविधियों में हस्तक्षेप करने से परहेज करेंगे.
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श्रीलंका की तरफ बढ़ रहा चीन का जासूसी समुद्री जहाज, भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?