Who after Nitish Kumar: बिहार की सत्ता में करीब 20 साल से नीतीश कुमार काबिज हैं. नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी की शुरुआत समाजवादी आंदोलन से हुई थी. वो जय प्रकाश नारायण (JP) की अगुवाई में तत्कालिन इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ आंदोलन से उभरे थे. इसी जेपी आंदोलन से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, दिवंगत जदयू नेता शरद यादव, दिवंगत एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान की बड़ी सियासी एंट्री हुई थी. समाजवादी बैकग्राउंड के इन नेताओं बिहार की सियासत की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी. आजादी के बाद से 1990 तक बिहार में कांग्रेसी सरकारों का ही बोलबाला था. जगन्नाथ मिश्रा राज्य में कांग्रेस के आखिरी सीएम रहे. साल 90 का था. इसके बाद बिहार में क्षेत्रीय पार्टियों की ही सरकार बनी. ये अलग बात है कि राष्ट्रीय पार्टियां इन सरकारों में बड़ी सहयोगी से लेकर छोटी सहयोगी पार्टियों की हैसियत में शामिल रहीं. साल 1990 के बाद से प्रदेश में करीब डेढ़ दशक तक लालू यादव-राबड़ी देवी की सत्ता रही. शुरू में जनता दल से वो सीएम बने फिर राजद की स्थापना कर अपनी सत्ता बरकरार रखी. फिर 2005 का साल आया. बीजेपी समर्थित जदयू की बहुमत वाली सरकार बनी. कुछ समय के लिए जारी राष्ट्रपति शासन का अंत हुआ, और नीतीश कुमार के नए सीएम बने. उसके बाद वो लगातार सत्ता में काबिज रहे. बीच में उन्होंने जरूर 2014-15 में जीतन राम मांझी को करीब 9 माह से लिए सीएम बनाया था. इन 9 माह को छोड़कर वो 2005 से 2025 तक लगातार सीएम की कुर्सी पर पदासीन रहे. इस समय जदयू के सुप्रीमो के साथ-साथ बिहार के सीएम भी हैं. उनकी स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. साथ ही कहा जा रहा है नीतीश के बाद कौन?
उत्तराधिकारी कैसा होना चाहिए?
सियासी जानकारों के मुताबिक जदयू पार्टी के लोग और स्वयं नीतीश कुमार अपने उत्तराधिकारी की तलाश कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है कि नीतीश अब 74 साल के हो चुके हैं, और उनकी सेहत ख़राब चल रही है. हालांकि जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक की ओर से इन ख़बरों को ख़ारिज किया जा चुका है. इसी बीच उनके पुत्र निशांत कुमार को लॉन्च करने की भी चर्चा चल रही है. हालंकि इसको लेकर कोई भी आधिकारिक बयान पार्टी की ओर से नहीं जारी किए गए हैं. साथ ही उत्तराधिकारी के तौर पर पार्टी के कुछ बड़े वरिष्ठ नेताओं के नाम पर भी सियासी गलियारों में चर्चाएं चल रही हैं. खासकर उन नेताओं को लेकर वो नीतीश कुमार के बेहद खास माने जाते हैं. वहीं एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी की ओर से इस बार प्राथमिकता होगी कि राज्य में उनका सीएम बनें. इसी साल बिहार में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं. प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद इस बार सरकार बनाने का दावा करती हुई नजर आ रही है. ऐसे में जदयू के लिए अपने भावी नेता का चयन बेहद अहम हो जाता है. नीतीश पिछले दो दशक में बीजेपी के साथ ही दो बार राजद के साथ भी सरकार बना चुके हैं. ऐसे में जदयू पार्टी के ऊपर ये दबाव है कि वो एक ऐसे नेता को चुने जो पार्टी को उसी तरह से लीड कर सके जैसे अभी तक नीतीश कुमार करते आए हैं. साथ ही भावी नेता ऐसा होना चाहिए जो पार्टी के समीकरण को बेहतर समझता हो, और पार्टी की विचारधारा के अनुरूप हो.
इन 5 नामों के लेकर है चर्चा
इस समय पार्टी में नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके बेटे निशांत कुमार के नाम को लेकर जमकर चर्चा हो रही है. उसके बाद नीतीश के 4 करीबी नेताओं के नाम आते हैं. इनमें से सबसे आगे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा का नाम आता है. वो नीतीश के बेहद खास माने जाते हैं. उन्होंने पार्टी को मिथिला और उत्तर बिहार में बड़ी सफलता दिलाई थी. साथ ही उनकी छवि एक विकास पुरुष की है. वो राज्यसभा के सांसद भी हैं. लगातार जमीन पर मौजूद रहते हैं. उनके प्रयासों के कई बड़े विकास के प्रोजेक्ट्स धरातल पर उतारे जा चुके हैं. जानकारों के मुताबिक बेगुसराय में मौजूद सिमरिया घाट का पुनर्निमाण, दरभंगा एयरपोर्ट, दरभंगा एम्स जैसे कई अहम प्रोजेक्टस उनके प्रयासों का ही नतीजा है. साथ ही उनकी पैठ बीजेपी में भी काफी मजबूत मानी जाती है. वो गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी के भी बेहद करीब माने जाते हैं. जदयू जॉइन करने से पहले वो बीजेपी के ही नेता हुआ करते थे. बड़े कार्यक्रमों में वो नीतीश कुमार के साथ दिखाई देते हैं.
दूसरा नाम ललन सिंह का है. ललन सिंह लोकसभा के सांसद हैं, साथ ही केंद्र में मंत्री भी हैं. ललन सिंह लंबे समय से नीतीश के करीबी रहे हैं. उनका संगठन के भीतर भी एक ताकतवर प्रभाव माना जाता है. वो लंबे समय तक राज्य में भी मंत्री रह चुके हैं. तीसरा नाम अशोक चौधरी का है. वो इस समय बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री हैं. अशोक चौधरी इस समय पार्टी के सबसे बड़े दलित चहरों में से एक हैं. माना जाता है कि इस समय नीतीश का उनको वरदहस्त प्राप्त है. अगला नाम दलित सबके से आने वाले नेता श्याम रजक का है. श्याम रजक पहले आरजेडी में थे, तेजस्वी यादव की लीडरशिप से नाता तोड़कर वो जेडीयू में शामिल हुए हैं.श्याम रजक को नीतीश कु्मार की ओर से बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्हें जदयू का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है.
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