डीएनए हिंदी: दिल्ली की आबकारी नीति आम आदमी पार्टी (AAP) और अरविंद केजरीवाल के गले की फांस बन गई है. इसी केस में दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया जेल जा चुके हैं और उन्हें अभी भी जमानत नहीं मिली है. इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच चल रही है. हाल ही में इसी केस में AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है. अब ईडी ने कहा है कि इस मामले में आम आदमी पार्टी को ही आरोपी बनाने पर चर्चा की जा रही है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि अगर दोष साबित होता है तो क्या आम आदमी पार्टी ही खत्म हो जाएगी? ऐसे मामलों में चुनाव आयोग के पास अधिकार हैं कि वह दोषी पार्टी पर सख्त से सख्त कार्रवाई कर सके. आरोप हैं कि शराब नीति बनाने की एवज में मिले पैसों को AAP के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जा सकता है.

सबसे पहले मनीष सिसोदिया के जेल जाने के की वजह से दिल्ली की सरकार प्रभावित हुई. इससे पहले सत्येंद्र जैन भी मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जा चुके थे. दोनों बड़े मंत्रियों के जेल चले जाने की वजह से अरविंद केजरीवाल को अपनी सरकार में भी बदलाव करने पड़े और सौरभ भारद्वाज और आतिशी को मंत्री बनाया गया. अब संजय सिंह के जेल जाने से पार्टी के संगठन पर असर पड़ रहा है क्योंकि संजय सिंह और राघव चड्ढा ही पार्टी के काम देखते थे और इंडिया गठबंधन से बातचीत में भी यही दोनों अहम भूमिका निभा रहे थे.

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जब्त हो सकती है AAP की संपत्ति
भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हो सकता है जब मनी लॉन्ड्रिंग के केस में किसी राजनीतिक पार्टी को आरोपी बनाया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, ईडी AAP के खिलाफ PMLA की धारा 70 लगा सकती है जो कंपनियों और संगठनों के आर्थिक अपराधों से जुड़ी है. मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों के तहत मनी ट्रेल के सबूत मिलने पर पार्टी की संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार के मामलों में किसी पार्टी की मान्यता रद्द करने का प्रावधान तो नहीं है लेकिन संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को यह शक्ति देता है कि वह अपने विवेक के आधार पर कार्रवाई करे. इसमें, भ्रष्टाचार के आरोप साबित होने पर पार्टी की मान्यता रद्द भी की जा सकती है. पिछले ही साल चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 और रिप्रेजेंटशन ऑप द पीपल ऐक्ट 1951 की धारा 29A का इस्तेमाल करते हुए कुल 86 रजिस्टर्ड लेकिन गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों का दर्जा खत्म कर दिया था. 

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विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह विधायक या सांसद के दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता चली जाती है. ठीक उसी तरह से अगर पार्टी दोषी पाई जाती है तो उसकी मान्यता पर भी प्रश्न चिह्न खड़े हो सकते हैं. आपको बता दें कि साल 2013 में बनी आम आदमी पार्टी ने इसी साल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया है. दिल्ली और पंजाब में सरकार के अलावा गोवा और गुजरात में भी उसे अच्छे-खासे वोट मिले थे और वह कुछ सीटें भी जीतने में कामयाब रही थी.

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aam aadmi party validity can be ended by election commission or not delhi excise policy case
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क्या बंद हो जाएगी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी? समझें
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