डीएनए हिन्दी : इन दिनों  बिहार के सियासी हलके में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के बीच एक बहस छिड़ी हुई है. उप-मुख्यमंत्री रेणु देवी ने पिछले दिनों बयान दिया था कि बिहार को किसी स्पेशल स्टेटस की ज़रूरत नहीं. मुख्यमंत्री नितीश कुमार उप-मुख्यमंत्री के इस बयान पर ख़ासे नाराज़ हुए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  कई सालों से बिहार के लिए स्पेशल स्टेट्स की मांग कर रहे हैं. क्या होता है यह स्पेशल स्टेटस?

स्पेशल स्टेट्स किन राज्यों को दिया जाता है?

स्पेशल केटेगरी स्टेट्स केंद्र के द्वारा राज्यों को दिया गया वह वर्गीकरण या क्लासिफिकेशन है जिसमें केंद्र सरकार आर्थिक-सामजिक रूप से पिछड़े या कठिन भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्यों को मदद देती है. मसलन किसी राज्य का अधिकांश हिस्सा दुर्गम पहाड़ियों में बसा हुआ हो, या फिर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ जुड़ी हुई हों, राज्य आर्थिक कमियों से जूझ रहा हो,  अथवा किसी तरह की इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हुई समस्या हो, केंद्र राज्य को ख़ास या स्पेशल का दर्जा देता है.

कब हुई थी इसकी शुरुआत?

स्पेशल केटेगरी स्टेट्स 1969 में लाया गया था. इस साल पाँचवे योजना आयोग ने कुछ कमज़ोर  राज्यों को मदद पहुंचाने के उद्देश्य से उन्हें केन्द्रीय सहायता और टैक्स में छूट देना शुरु किया. इसके सहारे ख़ास विकास निदेशालयों का गठन हुआ था. इन राज्यों के नागरिकों को स्थानीय नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की बात हुई.

शुरुआत में आसाम, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर को स्पेशल राज्य का दर्जा दिया गया. 1979 के बाद पाँच और राज्यों हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम और त्रिपुरा को भी इस लिस्ट में जोड़ा गया.

1990 में अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम को इस सूची में शामिल किया गया था. दुर्गम भगौलिक प्रदेश वाले उत्तराखंड को 2001 में, राज्य के गठन के तुरंत बाद स्पेशल का दर्जा दिया गया.

बिहार राज्य के लिए स्पेशल केटेगरी की मांग

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई सालों से राज्य के लिए स्पेशल केटेगरी की मांग कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने इस ख़ातिर केंद्र के सामने कई बार मांगपत्र रखा है. कई दफ़े उन्होंने दिल्ली की यात्रा भी की है.

नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में सबसे अधिक संख्या में पिछड़े ज़िले हैं. 2005 में आयी इंटर मिनिस्ट्री टास्क ग्रूप की रपट के मुताबिक राज्य के 38 में 36 ज़िले पिछड़े हुए हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि चूँकि यह राज्य केवल ज़मीनी सीमाओं से घिरा हुआ है और देश के सबसे कम विकसित प्रदेशों में शुमार किया जाता है, स्पेशल केटेगरी की हमारी मांग पूरी तरह जायज़ है.

 

नया विवाद

सितम्बर 2021 में नीतीश कुमार का एक बयान आया था कि वे स्पेशल स्टेटस की मांग से पीछे हट गये हैं, पर उप-मुख्यमंत्री रेणु देवी के हालिया बयान के साथ ही स्पेशल की मांग ने फिर से ज़ोर पकड़ ली है.

रेणु देवी के बयान की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने आगे यह जोड़ा कि बिना बिहार का विकास हुए देश का विकास संभव नहीं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान को स्पेशल के लिए नयी मांग के तौर पर देखा जा रहा है.

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क्यों चाहिए बिहार को ‘special’ का टैग?
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