देश भर में अपने लॉ एंड आर्डर और बुलडोजर एक्शन के लिए मशहूर यूपी सुर्ख़ियों में है. कारण बना है संभल. जहां 24 नवंबर की सुबह हुए पथराव और वाहनों में आगजनी के बीच चार लोगों की मौत हो गई. घटना तब हुई जब सर्वे करने वाले लोगों की एक टीम शाही जामा मस्जिद का दूसरा सर्वे करने के लिए चंदौसी आई.
संभल में बवाल क्यों हुआ? कारण बनी एक याचिका जिसमें ये दावा किया गया था कि 1526 में मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था. इस याचिका का चंदौसी में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह की अदालत ने गंभीरता से संज्ञान लिया और 19 नवंबर को सर्वेक्षण का आदेश दिया.
याचिका को लेकर दिलचस्प ये कि 19 नवंबर को दायर की गई याचिका पर कुछ ही घंटों के भीतर, न्यायाधीश ने एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया और उसे मस्जिद में एक प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया, जो उसी दिन किया गया. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सर्वे की एक रिपोर्ट 29 नवंबर तक उसके समक्ष दायर की जाए.
चंदौसी जामा मस्जिद का क्या है वर्तमान स्टेटस?
बताते चलें कि जामा मस्जिद 'एक संरक्षित स्मारक है' जिसे 22 दिसंबर, 1920 को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उप-धारा (3) के तहत अधिसूचित किया गया था. इसे 'राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है और एएसआई, आगरा सर्कल मुरादाबाद डिवीजन की वेबसाइट पर केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल किया गया है'.
किसने दर्ज कराया है मामला?
संभल कोर्ट में कुल आठ याचिकाकर्ताओं ने केस दाखिल किया है. इनमें वकील हरि शंकर जैन, जो ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद में भी वकील हैं, के अलावा अधिवक्ता पार्थ यादव और संभल में कल्कि देवी मंदिर के महंत महंत ऋषिराज गिरी शामिल हैं. अन्य याचिका कर्ताओं में नोएडा निवासी वेद पाल सिंह, संभल निवासी राकेश कुमार, जीतपाल यादव, मदनपाल और दीनानाथ शामिल हैं.
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में दावा किया गया है कि संभल शहर के बीचों-बीच भगवान कल्कि को समर्पित एक 'सदियों पुराना श्री हरि हर मंदिर है, जिसका जामा मस्जिद समिति द्वारा जबरन और गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है'.
याचिका में इस बात का भी जिक्र है कि, 'संभल एक ऐतिहासिक शहर है और हिंदू शास्त्रों में इसकी गहरी जड़ें हैं, जिसके अनुसार यह एक पवित्र स्थल है, जहां भगवान विष्णु के एक अवतार कल्कि के रूप में भविष्य में प्रकट होंगे. याचिका में 'ऐतिहासिक तथ्य' शीर्षक के तहत कहा गया है है कि कल्कि को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना जाता है, जो कलयुग में आने वाला है. माना जाता है कि उनके अवतरण से अंधकारमय और अशांत कलयुग का अंत होगा और अगले युग की शुरुआत होगी, जिसे सतयुग के रूप में जाना जाता है.
याचिका में कहा गया है कि 'हिंदू धर्मग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन काल में भगवान विष्णु और भगवान शिव से मिलकर एक अनोखा 'विग्रह' उभरा था और इसी कारण से इसे 'श्री हरि हर' मंदिर कहा जाता है. इसमें कहा गया है कि संभल का श्री हरि हर मंदिर ब्रह्मांड की शुरुआत में स्वयं भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाया गया था.
इसमें आगे कहा गया है कि बाबर ने 1526 ई. में भारत पर आक्रमण किया और 'इस्लाम की ताकत दिखाने के लिए कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया ताकि हिंदुओं को लगे कि वे इस्लामी शासक के अधीन हैं'.
याचिका में कहा गया है कि '1527-28 में बाबर की सेना के लेफ्टिनेंट हिंदू बेग ने संभल में श्री हरि हर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया' और 'मुसलमानों ने मंदिर की इमारत पर कब्जा कर लिया और उसे मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया'.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि स्मारक प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित है और अधिनियम की धारा 18 के तहत जनता को 'संरक्षित स्मारक तक पहुंच का अधिकार' है.
इसमें कहा गया है कि जनता को 'प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष नियम, 1959 के नियम 5 के अनुसार विषय संपत्ति तक पहुंच का अधिकार है.
एएसआई पर क्या मत रखते हैं याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है कि 'एएसआई विषयगत संपत्ति पर नियंत्रण रखने में विफल रहा है और वे कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं'. इसमें कहा गया है कि 'एएसआई के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं और वे मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा डाले गए दबाव के आगे झुक गए हैं.'
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से क्या राहत मांगी है?
याचिका में अदालत से याचिकाकर्ताओं को'श्री हरि हर मंदिर/कथित जामा मस्जिद में प्रवेश का अधिकार' देने का आदेश पारित करने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने अदालत से प्रतिवादियों (मस्जिद समिति, केंद्र सरकार, एएसआई) को मस्जिद के भीतर जनता के प्रवेश के लिए उचित प्रावधान करने का आदेश देने का अनुरोध किया है.
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से प्रतिवादियों, उनके अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके अधीन काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वादी और जनता के प्रवेश में कोई बाधा या रुकावट पैदा करने से रोकने के लिए एक स्थायी निषेधाज्ञा की प्रकृति का आदेश भी मांगा है.
मामले पर क्या कह रहा है मुस्लिम पक्ष
जामा मस्जिद के सर्वे पर संभल से सपा सांसद जियाउर रहमान बर्क काफी नाराज नजर आ रहे हैं. उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, 'बाहरी लोगों ने अदालत में इस तरह की याचिका दायर करके जिले के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया है.
साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि 1991 के उपासना अधिनियम के अनुसार, 1947 में मौजूद सभी धार्मिक स्थल अपने मौजूदा स्थान पर ही रहेंगे.
संभल में जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां मुसलमान कई सदियों से नमाज अदा करते आ रहे हैं. अगर हमें स्थानीय अदालत से संतोषजनक आदेश नहीं मिलता है तो हमें उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है.'
बहरहाल अब जबकि कुछ अराजक तत्वों द्वारा संभल का माहौल ख़राब हो हिओ चुका है, देखना दिलचस्प रहेगा कि स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन दोषियों के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं? बात अगर वर्तमान की हो तो संभल में चप्पे चप्पे पर पुलिस है. प्रशासन द्वारा लगातार यही कहा जा रहा है कि माहौल ख़राब करने और अफवाह फैलाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा.
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संभल हिंसा : क्यों शाही जामा मस्जिद को लेकर हुआ विवाद, क्या था पूरा मामला?