डीएनए हिंदी: India Vs China- दो दिन पहले भारत के साथ 'आम सहमति' बनने का राग अलापने वाले चीन का दोगला चेहरा फिर सामने आ गया है. चीन की 'गंदी बात' के चलते भारतीय वुशू टीम को रवानगी से पहले एयरपोर्ट पर ही रोकना पड़ा है. इन खिलाड़ियों को बुधवार रात को चीन के चेंग्दू शहर रवाना होना था, जहां वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स (World University Games) का 28 जुलाई से 8 अगस्त तक आयोजन हो रहा है. चीन ने इस टूर्नामेंट के लिए टीम में शामिल बाकी खिलाड़ियों को सामान्य वीजा जारी किया, लेकिन अरुणाचल प्रदेश के तीन खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी किया है. इसके विरोध में ही भारत ने टीम की रवानगी रोक दी है. भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इसे लेकर चीन से जवाब तलब किया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा, हमारे कुछ खिलाड़ियों को चीन में एक अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धा के लिए स्टेपल वीजा जारी किया गया. ये अस्वीकार्य है. हमने इस मामले में चीन को अपना मजबूत विरोध दर्ज कराया है. 

पहले जान लेते हैं कि क्या होता है स्टेपल वीजा

दरअसल स्टेपल वीजा सामान्य वीजा नहीं होता है. सामान्य वीजा में जहां पासपोर्ट पर मुहर लगाई जाती है. वहीं स्टेपल वीजा में अलग वीजा कागज नत्थी कर उस पर मुहर लगाई जाती है. इस तरह का वीजा जारी करने का मतलब यह है कि चीन उन इलाकों को भारत का हिस्सा नहीं मानता है, जिनके लिए वह स्टेपल वीजा जारी कर रहा है. 

क्यों करता है चीन ऐसा विवादित काम

दरअसल चीन स्टेपल वीजा लंबे समय से उन भारतीय इलाकों के नागरिकों के लिए जारी करता रहा है, जिन्हें वह अपना हिस्सा मानता है. स्टेपल वीजा के जरिये चीन इन इलाकों को लेकर भारत के साथ विवादित स्थिति जारी रखना चाहता है. चीन का कहना है कि ये इलाके उसका हिस्सा हैं और देश के अंदर (इन इलाकों के लोगों को चीन के अंदर) सफर करने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होती है. अरुणाचल प्रदेश भी ऐसा ही इलाका है, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत कहकर अपना हिस्सा होने का दावा करता है. भारत कई बार इस मुद्दे पर आपत्ति जता चुका है, लेकिन चीन ने अपनी कूटनीति नहीं बदली है. इसके जरिए वह इस इलाके में भारत के साथ विवाद कायम रखना चाहता है. चीन इसी विवाद के तहत अरुणाचल प्रदेश समेत विवाद वाले सभी इलाकों में भारतीय मंत्रियों आदि के दौरे पर भी आपत्ति जताता रहता है. साल 2014 में भारत के दौरे पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने साफ कहा भी था कि स्टेपल वीजा जारी करने का मतलब है कि हम संबंधित सीमा मुद्दे पर अपने दावे से कोई समझौता नहीं कर रहे हैं. 

क्या है नया विवाद, जिसमें फंस गई है भारतीय वुशू टीम

चीन के चेंग्दू शहर में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स की वुशू स्पर्धा में शिरकत करने के लिए 12 लोगों की टीम जा रही थी, जिनमें 8 खिलाड़ी, एक कोच और तीन ऑफिशियल शामिल हैं. इस टीम में अरुणाचल प्रदेश के तीन प्लेयर्स नैयमन वांग्सू, ओनिलू तेगा और मेपुंग लामगू शामिल हैं.  टीम सूत्रों के मुताबिक, सभी खिलाड़ियों के वीजा के लिए 16 जुलाई को आवेदन दाखिल किया गया था. बाकी खिलाड़ियों को चीन ने समय से वीजा जारी कर दिया, लेकिन अरुणाचल के खिलाड़ियों के दस्तावेज चीनी दूतावास ने स्वीकार नहीं किए. तीनों खिलाड़ियों को मंगलवार को दोबारा दस्तावेज दाखिल करने के लिए कहा गया. इसके बाद दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने उनके पासपोर्ट बुधवार को स्टेपल वीजा के साथ वापस कर दिए. इन तीनों खिलाड़ियों की फ्लाइट गुरुवार रात की है, जबकि बाकी खिलाड़ियों को बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात 1 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट (Indira Gandhi International Airport) से रवाना होना था.

सरकार ने एयरपोर्ट पर ही रोक दिए प्लेयर्स

सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार तक पूरा मुद्दा पहुंचने के बाद वुशू टीम को अपना ट्रैवल प्लान फिलहाल होल्ड पर रखने के लिए कहा गया. इसके बाद वुशू टीम रात 2.30 बजे दिल्ली एयरपोर्ट (Delhi Airport) से वापस लौट गई. हालांकि बाकी खेलों के भारतीय खिलाड़ी चीन के लिए रवाना हो गए हैं. वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए भारतीय खिलाड़ियों का चयन एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) ने किया है. 

पहले भी की है चीन ने ऐसी हरकत

यह पहला मौका नहीं है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी किया है. चीन ने 2000 के दशक में अरुणाचल को लेकर यह कवायद शुरू की थी. इसके बाद से कई अन्य मौकों पर चीन की तरफ से भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों के लोगों को स्टेपल वीजा जारी किया गया है, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई है. साल 2011 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 5 कराटे प्लेयर्स को स्टेपल वीजा जारी किया था. 2013 में भी चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 2 तीरंदाजों को स्टेपल वीजा जारी किया था. 

जम्मू-कश्मीर के लिए भी दिए थे स्टेपल वीजा

चीन ने स्टेपल वीजा देने की अपनी कूटनीति को जम्मू-कश्मीर के लिए भी शुरू किया था. साल 2009 में जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए चीन ने स्टेपल वीजा जारी किए थे, जिसका संकेत था कि वह इस राज्य को भारत का हिस्सा नहीं मानता है. चीन की यह हरकत सीधे तौर पर जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के दावे का समर्थन थी, जो इस राज्य को भारत के बजाय अपना हिस्सा मानता है.

जवाब में भारत ने दिखाया था 'वन चाइना पॉलिसी' को ठेंगा

अरुणाचल प्रदेश के बाद चीन के जम्मू-कश्मीर में भी 'स्टेपल वीजा पॉलीटिक्स' करने पर भारत नाराज हो गया था. करीब 1 दशक से भी ज्यादा समय से चीन की नीति का जवाब देने के लिए भारत ने 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करना छोड़ दिया है. भारत अब ऑफिशियल डॉक्यूमेंट्स में भी इस पॉलिसी का रेफरेंस नहीं देता है. इसका मतलब है कि भारत भी चीन के ताइवान पर दावे को नहीं मानता है और उसे चीन का हिस्सा नहीं मानता है. 

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What is Staple Visa which stopped Indian Wushu Team flight for World University Games chengdu China explained
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क्या होता है स्टेपल वीजा, जिसने एयरपोर्ट पर रुकवा दी भारतीय वुशू टीम, क्यों है य
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क्या होता है स्टेपल वीजा, जिसने एयरपोर्ट पर रुकवा दी भारतीय वुशू टीम, क्यों है ये चीन के 'डर्टी गेम' का हिस्सा