डीएनए हिंदीः कोरोना महामारी की तीसरी लहर लाने की खबरों के बीच चिंता की दूसरी वजह बन रहा है बढ़ता प्रदूषण स्तर. इसकी वजह से ना सिर्फ बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है बल्कि कई लोगों के लिए घर से निकलना भी मुश्किल हो रहा है. खबरों में 'कोविड' शब्द के बाद दूसरा चर्चित शब्द बन गया है 'एक्यूआई'. अब ये जानना जरूरी है कि एक्यूआई क्या होता है, कैसे मापा जाता है और इसका उद्देश्य क्या है.
क्या होता है AQI
हवा में प्रदूषण की मात्रा को मापने के लिए एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है. इस इंडेक्स की माप के आधार पर पता चल पाता है कि किसी जगह की हवा कितनी साफ है और सांस लेने लायक है या नहीं. एक्यूआई की वैल्यू जितनी ज्यादा होती है उतना ही एयर पॉल्युशन का स्तर ज्यादा होता है और उतना ही सेहत को खतरा भी. एक्यूआई को मापने का उद्देश्य लोगों को वायु प्रदूषण के प्रति जागरुक करना और उनकी सेहत की रक्षा करना होता है. द इंवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) पांच मुख्य वायु प्रदूषकों के आधार पर एयर क्वालिटी इंडेक्स को मापती है.
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1. ग्राउंड लेवल ओजोन
2.पार्टिकल पॉल्युशन/ पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5/PM 10)
3.कार्बन मोनो-ऑक्साइड
4.सल्फर-डाइ-ऑक्साइड
5.नाइट्रोजन-डाइ-ऑक्साइड
कैसे किया जाता है एक्यूआई कैलकुलेट
अलग-अलग देश अलग-अलग प्वॉइंट स्केल का इस्तेमाल करके एयर क्वालिटी मापते हैं. मसलन यूनाइटेड स्टेट्स 500 प्वॉइंट स्केल का इस्तेमाल करता है. इसमें 0 से 50 की रेटिंग को अच्छा माना जाता है. 301 से 500 की रेंज को बेहद नुकसानदायक. भारत भी इसी स्केल पर एक्यूआई को मापता है. इसके लिए अलग-अलग डिवाइस इस्तेमाल की जाती हैं. सरकारी स्तर पर भी कई जगह एक्यूआई मीटर लगाकर रखे जाते हैं, ताकि उस जगह की एयर क्वालिटी को मापा जा सके. हालांकि इसमें हर तत्व के लिए अलग-अलग समय अंतराल होता है. मसलन कार्बन-डाइ-ऑक्साइड और ओजोन की सही मात्रा का पता लगाने के लिए एक्यूआई डिवाइस को छह से आठ घंटे रखना होता है.
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ऐसे देखें अपने शहर का एक्यूआई
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए ये जानना जरूरी है कि आपके शहर में वायु प्रदूषण का स्तर कितना है. कहीं बाहर जा रहे हैं तो उस जगह के एक्यूआई के बारे में भी पहले से जानकारी जुटा लें. इस लिंक की मदद से आप ऐसा कर सकते हैं. https://app.cpcbccr.com/AQI_India/ को ओपन करें. यहां आपको राज्य, शहर, स्टेशन के बारे में डीटेल्स भरनी होंगी. ऐसा करके आप किसी भी राज्य के चुनिंदा शहरों के मापक स्टेशन का एक्यूआई जान सकेंगे.
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एयर पॉल्युशन से किन लोगों को होता है सबसे ज्यादा खतरा
- फेफड़े संबंधी रोगों जैसे अस्थमा और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस ग्रस्त लोगों को वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा होता है.
-बच्चों और बुजुर्गों को एयर पॉल्युशन की स्थिति में घर से बाहर कम ही निकलना चाहिए
- जो लोग ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं या आउटडोर ही काम करते हैं
- कुछ लोग ओजोन को लेकर ज्यादा सेंसिटिव रहते हैं, उन्हें भी एयर पॉल्युशन से काफी खतरा होता है
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