अपनी जीत के लिए आश्वस्त डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि अगर वे व्हाइट हाउस में वापस आते हैं तो वे यूक्रेन में रूस के युद्ध को समाप्त कर देंगे. भले ही रूस और यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप के अपने तर्क हों. लेकिन उन्हें इस बात को समझना होगा कि जल्दबाजी में किया गया कोई भी समझौता संभवतः कीव को बहुत कमज़ोर कर देगा और इसका सीधा असर हमें यूरोपीय सुरक्षा पर देखने को मिलेगा जो यक़ीनन कमजोर होगी. एक और प्रमुख मुद्दा जिस पर ट्रम्प, राष्ट्रपति बनने के फ़ौरन बाद अपना प्रभाव डालने का प्रयास करेंगे वह है ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ता संघर्ष.
ध्यान रहे कि ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान तेहरान के साथ सीधे युद्ध के करीब पहुंच गए थे. और जैसे हालात इस बार हैं, माना यही जा रहा है कि ट्रंप और ईरान के बीच टकराव कहीं ज्यादा मुखर और स्पष्ट होगा. फिर चीन द्वारा पेश की गई भारी दीर्घकालिक चुनौती है.
उत्तर कोरिया भी ट्रंप के लिए सिरदर्द की तरह है, खासकर तब जब ट्रंप ने कमांडर-इन-चीफ के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान किम जोंग उन को लुभाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे.
जैसा कि ज्ञात है इस बार का चुनाव डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन दोनों के लिए बहुत अहम है. इसलिए विश्व के तमाम देश, चाहे वो दोस्त हों या दुश्मन इसी पर विचार कर रहे हैं कि यदि ट्रंप दूसरी बार व्हाइट हाउस पहुंचते हैं तो इससे उनके संबंधित राष्ट्रीय हितों और सबसे अधिक दबाव वाले वैश्विक सुरक्षा खतरों पर ट्रंप और अमेरिका का क्या रुख होगा.
कह सकते हैं कि ट्रम्प का अप्रत्याशितता का ट्रैक रिकॉर्ड पारंपरिक दुश्मनों के लिए एक चुनौती है. वहीं वाशिंगटन के सबसे करीबी सहयोगी, विशेष रूप से नाटो गठबंधन के साथी सदस्यों भी इस बात पर एकमत रहते हैं कि ट्रंप का अप्रत्याशितता में कोई मुकाबला नहीं है.
रिपब्लिकन उम्मीदवार ने इस बात पर अपनी निराशा को छिपाया नहीं है कि कैसे अमेरिका ने दशकों तक यूरोप की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कवच का वित्तपोषण किया है.राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रंप ने गठबंधन से अमेरिका को वापस लेने की धमकी दी थी.
यदि ऐसा होता तो यह एक ऐसा कदम होता जिसे लेकर हमेशा ही अमेरिका की आलोचना की जाती. हालांकि, उनके बयानों ने सहयोगियों को अपनी जेबें और गहरी करने और अपनी सेनाओं पर अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित करने में मदद की. लेकिन वर्षों के कम निवेश का नुकसान गहरा है और यूरोपीय नाटो सहयोगियों और कनाडा के लिए रिकवरी की गति इतनी धीमी है कि वे निकट भविष्य में एक शक्तिशाली सैन्य बल के रूप में अपने दम पर खड़े नहीं हो सकते.
वैश्विक संकटों के मामले में तात्कालिकता के संदर्भ में, 5 नवंबर को ट्रम्प की जीत का प्रभाव यूक्रेन और ईरान दोनों पर सबसे अधिक महसूस किया जाएगा.
डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि वह यूक्रेन युद्ध को जल्दी से जल्दी समाप्त कर देंगे, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह शांति कैसे स्थापित करेंगे.
हालांकि, अपनी प्राथमिकताओं के संकेत में उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की पर गंभीर आरोप लगाया है. ट्रंप ने कहा है कि वह (ज़ेलेंस्की) वाशिंगटन द्वारा कीव को दिए गए हथियारों और अन्य सहायता में दसियों अरबों डॉलर हासिल करने के लिए ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जो नहीं करना चाहिए. फिर भी - यूक्रेन की लड़ने की इच्छा के साथ - वह सैन्य सहायता सबसे बड़ा कारण है जिसके चलते यूक्रेन, व्लादिमीर पुतिन से अब तक लोहा लेने में कामयाब रहा.
इसके विपरीत, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, जो शीर्ष पद के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, ने स्पष्ट कर दिया है कि वह यूक्रेन को निरंतर समर्थन को अमेरिका और पश्चिमी हितों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण मानती हैं जितना कि कीव के लिए - एक बहुत अधिक परिचित रुख जो उनके नाटो भागीदारों के दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करता है.
बहरहाल जिक्र ट्रंप का हुआ है. तो जैसा उनका पिछले कार्यकाल रहा है उन्होंने कई विवाद खड़े किये हैं. लेकिन बीते चार सालों में अपने स्वाभाव के विपरीत जिस तरह वो चुप रहे हैं, माना यही जा रहा है कि इस बार उनके काम करने के तरीके में हमें संतुलन दिखाई देगा. यकीनन इस बार ट्रंप ऐसे तमाम फैसले लेंगे जिन्हें देखकर दुनिया चौंक जाएगी.
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Trump के राष्ट्रपति बनने से वैश्विक युद्ध और यूरोपीय सुरक्षा पर क्या होगा असर?