US Elections 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव (US presidential Election 2024) में रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की इस पद पर वापसी लगभग तय हो चुकी है. ट्रंप तमाम विवादों के बावजूद डेमोक्रेटिक उम्मीदवार व भारतवंशी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के खिलाफ जीत हासिल कर चुके हैं. साल 2017 से 2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके ट्रंप इसके साथ ही उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हो जाएंगे, जो दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति के सर्वोच्च पद पर दो बार आसीन रहे हैं. इसके साथ ही भारतीय सियासत में भी ट्रंप की वापसी के नफे-नुकसान का आकलन शुरू हो गया है. ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान जो रुख दिखाया था, उससे यह निश्चित माना जा रहा है कि इस बार भी उनकी नीतियां पिछले कार्यकाल जैसी ही होंगी. इसे भारत के लिहाज से थोड़ा अच्छा माना जा रहा है, क्योंकि पिछले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ उनके रिश्ते अच्छे रहे थे और मौजूदा सरकार के पास उन्हें डील करने का पुराना अनुभव भी मौजूद है. इसके बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि जहां ट्रंप की वापसी डिफेंस सेक्टर में भारत के लिए फायदे का सौदा साबित होगी, वहीं आर्थिक मोर्चे पर नए अमेरिकी राष्ट्रपति के कारण मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं.
आइए 5 पॉइंट्स में देखते हैं कि ट्रंप की वापसी से कैसे भारत को लाभ होगा और कैसे वे परेशानी खड़ी करेंगे-
1. चीन के खिलाफ मिलेगी भारत को मजबूती
भारत और चीन के बीच साल 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद शुरू हुआ सीमा गतिरोध अब तक पूरी तरह सुधरा नहीं है. भले ही मौजूदा वक्त में चीन के साथ सीमा विवाद में कुछ पॉजीटिव स्टेप्स सामने आए हैं, लेकिन हालात कमोबेश पहले जैसे ही हैं. ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी भारत के लिए फायदेमंद है, जो चीन को अपना कट्टर दुश्मन मानते हैं. ट्रंप के कार्यकाल में ही चीन के खिलाफ भारत-अमेरिका रक्षा गठजोड़ मजबूत हुआ था, जिसके चलते एशिया पैसेफिक रीजन में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान का Quad गठबंधन भी बना था. ट्रंप भारत को हथियारों के निर्यात ही नहीं जॉइंट आर्मी एक्सरसाइज और डिफेंस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के भी समर्थक हैं. वैसे तो यह रणनीति मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के कार्यकाल में भी जारी थी, लेकिन अमेरिकी थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन में इंडो पैसिफिक के एनालिस्ट डेरेक ग्रॉसमैन का मानना है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर भारत कम से कम रक्षा मोर्चे पर फायदे में रहेगा.
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2. ट्रंप के आने से भारत में बढ़ सकती है महंगाई
डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने पिछले कार्यकाल में भी भारत की परेशानी बढ़ाई थी. तब ट्रंप ने अमेरिकी इंडस्ट्रीज को संरक्षण देने के लिए भारत से होने वाले आयात पर भी भारी टैरिफ लगाया था. साथ ही भारत पर अमेरिका से आयात होने वाली वस्तुओं पर टैरिफ हटाने को कहा था. BBC ने इंटरनेशनल अफेयर्स के एक्सपर्ट शशांक मट्टू के एक्स (पहले ट्विटर) हैंडल के हवालेसे लिखा है कि ट्रंप को भारत का अमेरिकी वस्तुओं पर ज्यादा टैरिप लगाना पसंद नहीं है. ऐसे में इकोनॉमिस्ट मानते हैं कि ट्रंप के आने से 2028 तक भारत की GDP में 0.1 फीसदी की गिरावट आ सकती है. भारत के लिए अमेरिकी आयात महंगा हो सकता है, जिससे देश में महंगाई दर बढ़ेंगी और ब्याज दरों में कटौती मुश्किल होगी. इससे भारतीय मध्य वर्ग की EMI बढ़ सकती है.
3. भारतीयों के लिए H-1B वीजा पाना होगा और मुश्किल
अमेरिका में काम करने के लिए H-1B वीजा हासिल करना होता है. यूएस आईटी सेक्टर में बड़ी संख्या में भारतीय इस वीजा पर काम कर रहे हैं. पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने भारतीय प्रोफेशनल्स को ये वीजा देने में सख्ती दिखाई थी, जिसका असर भारतीय कंपनियों के बिजनेस पर भी दिखा था. इस बार भी चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने प्रवासियों की संख्या घटाकर अमेरिकी युवाओं के लिए रोजगार के ज्यादा मौके पैदा करने का दावा किया है. ऐसा हुआ तो भारत से अमेरिका जाने के इच्छुक युवाओं के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है.
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4. कश्मीर पर डांवडोल रहा है ट्रंप का रुख
कश्मीर के मुद्दे पर ट्रंप का रुख अमूमन डांवाडोल रहा है. एकतरफ उन्होंने पुलवामा हमले के समय भारत की बालाकोट एयरस्ट्राइक का समर्थन किया था, तो दूसरी तरफ वे कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ बनने के इच्छुक दिखाई दिए थे. ट्रंप के इस प्रस्ताव पर भारत ने साफ नाराजगी जताई थी. हालांकि बाइडेन प्रशासन की तरफ से जिस तरह भारत में मानवाधिकार के हनन का बेवजह का मुद्दा बनाया जाता रहा है, वो परेशानी ट्रंप के कार्यकाल में देखने को नहीं मिलेगी. मोदी सरकार के लिए यही मुफीद बात है.
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5. पड़ोसियों को लेकर ट्रंप रहे हैं भारत के साथ
भारत के लिए ट्रंप के आने का एक खास लाभ ये भी है कि वे अमूमन भारतीय पड़ोसियों को लेकर वे पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार के साथ रहे हैं. साथ ही हालिया दिनों में भी उन्होंने भारत के समर्थन वाले ही बयान दिए हैं. बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़े हमलों की खुलेआम सोशल मीडिया पर निंदा की थी. उन्होंने साफ कहा था कि कमला हैरिस और बाइडेन ने हिंदुओं की अमेरिका समेत पूरी दुनिया में अनदेखी की है, यदि मैं राष्ट्रपति होता तो ऐसा नहीं होता. हालांकि ट्रंप के इस बयान को अमेरिकी चुनाव में हिंदू वोटर्स को अपने पक्ष में करने की कवायद से भी जोड़ा जा रहा है.
चीन के खिलाफ भी ट्रंप ने भारत को जमकर समर्थन दिया है. हालांकि अफगानिस्तान में उनके तालिबान से समझौता कर अमेरिकी फौजों को वापस बुला लेना भारत के खिलाफ गया था, क्योंकि इससे अफगानिस्तान में भारत का बड़े पैमाने पर किया निवेश फंस गया है.
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पाकिस्तान को लेकर जरूर एक्सपर्ट्स की नजर में ट्रंप को लेकर अलग-अलग राय है. BBC ने द विल्सन सेंटर थिंक टैंक के दक्षिण एशिया निदेशक माइकल कुगलमैन के हवाले से लिखा है कि अमेरिकी अधिकारी फिलहाल इसे लेकर भ्रम में हैं कि अमेरिका की इंडो-पैसेफिक पॉलिसी में पाकिस्तान की जगह कहां है, जो अब चीन का दोस्त है. इसके अलावा कुगलमैन का यह भी मानना है कि ट्रंप पहले भी भारत-रूस के आपसी रिश्तों पर उदार रहे हैं और यह उदारवादी नजरिया अब और ज्यादा देखने को मिल सकता है. ऐसा हुआ तो भारत को उसका लाभ सस्ते तेल आदि के तौर पर मिलेगा.
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ट्रंप की वापसी से किन मोर्चों पर होगी भारत को मुश्किल, 5 पॉइंट्स में पढ़ें पूरी बात