श्रीलंका, बांग्लादेश और सीरिया. यूं तो इन तीनों मुल्कों में खान-पान, रहन-सहन, भाषा-संस्कृति जैसी कोई भी चीज ऐसी नहीं है जो इन्हें आपस में जोड़ती है. मगर एक बात है जो इन तीनों ही मुल्कों में कॉमन है और वो है विद्रोही और फिर सत्ता परिवर्तन. श्रीलंका, बांग्लादेश और सीरिया के बाद एक अन्य मुल्क में कुछ ऐसे ही मिलते जुलते हालात बन रहे हैं. जी हां सही सुना आपने. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में संघर्ष के क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील होने का खतरा है. 

यह डर इसलिए भी है, क्योंकि रवांडा समर्थित विद्रोहियों ने प्रमुख शहर गोमा पर कब्ज़ा करने का दावा किया है. M23 समूह सहित विद्रोही गठबंधन के नेता ने कहा कि हाल के हफ़्तों में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय लाभ हासिल करने के बाद लड़ाकों ने शहर पर कब्ज़ा कर लिया है.

बताया जा रहा है कि मध्य अफ्रीकी देश में लड़ाई जारी रहने के कारण हर दिन सैकड़ों लोग घायल हो रहे हैं, जिससे वहां मानवीय संकट और भी बदतर हो रहा है.

दशकों से चली आ रही इस स्थिति में एक अंतर्राष्ट्रीय तत्व भी है, जिसमें संघर्ष में संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक मारे गए हैं और रवांडा के सैनिकों पर विद्रोहियों के साथ लड़ने का आरोप है.

माना जा रहा है कि स्थिति 'बेहद अस्थिर' है और रवांडा पर 'आक्रमण' की आशंका भी जताई जा रही है.

कौन हैं और क्या चाहते हैं एम23 विद्रोही?

एम23 नाम 23 मार्च, 2009 के समझौते को संदर्भित करता है, जिसने पूर्वी डीआरसी में जातीय तुत्सी के नेतृत्व में पिछले विद्रोह को समाप्त कर दिया था. एम23 ने डीआरसी सरकार पर उस शांति समझौते का पालन न करने और कांगोली तुत्सी को सेना और प्रशासन में पूरी तरह से एकीकृत न करने का आरोप लगाया है.

बताता जाता है कि संगठन मुख्य रूप से जातीय तुत्सी लोगों से बना है, जो सेना से अलग हो गए और जिन्होंने 2022 में अपना वर्तमान विद्रोह शुरू किया.

संगठन ने जातीय हुतु मिलिशिया जैसे कि डेमोक्रेटिक फोर्सेस फॉर द लिबरेशन ऑफ रवांडा के खिलाफ, जिसकी स्थापना हुतुओं द्वारा की गई थी, जो 1994 में 800,000 से अधिक तुत्सी और उदारवादी हुतुओं के नरसंहार में भाग लेने के बाद रवांडा से भाग गए थे, से तुत्सी हितों की रक्षा करने की कसम खाई है. 

हालांकि आलोचकों ने दावा किया है कि यह रवांडा के लिए पूर्वी डीआरसी पर आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव प्राप्त करने का एक बहाना है.

एम23 देश के पूर्वी क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है, जिसमें रूबाया का खनन क्षेत्र भी शामिल है, जिसमें कोल्टन के समृद्ध भंडार हैं, जो स्मार्टफोन के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला खनिज है.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अनुमान है कि एम23 को इस क्षेत्र पर उत्पादन कर के माध्यम से हर महीने 800,000 डॉलर (£640,000) मिलते हैं.

कैसे इस गतिविधि में शामिल है रवांडा ?

डीआरसी के एम23-नियंत्रित क्षेत्र की सीमा पर स्थित रवांडा पर समूह का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है. इससे इस बात की आशंका बढ़ रही है कि इसके बाद ऐसा बहुत कुछ होगा जो न केवल अनैतिक है बल्कि जिसकी कीमत बेगुनाह इंसानों को चुकानी पड़ेगी.  

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि रवांडा के हजारों सैनिक इस क्षेत्र में हैं जो डीआरसी की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करते हुए विद्रोहियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए एक रिपोर्ट में, विशेषज्ञों के पैनल ने कहा कि रवांडा की सेनाओं का 'एम23 संचालन पर वास्तविक नियंत्रण और निर्देशन रवांडा को 'एम23 की कार्रवाइयों के लिए उत्तरदायी बनाता है'.

रविवार को, डीआरसी में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि एम23 और रवांडा की सेना गोमा शहर के बाहरी इलाके में घुस गई है, जिस पर विद्रोहियों ने बाद में कब्ज़ा करने का दावा किया है.

बताते चलें कि डीआरसी ने अब रवांडा के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लिए हैं. इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के विश्लेषक डैरेन डेविड्स के अनुसार, रवांडा के खिलाफ डीआरसी द्वारा 'युद्ध की घोषणा' से 'पूर्वी अफ्रीका में एक क्षेत्रीय संघर्ष' का जोखिम पैदा हो सकता है.

गोमा क्यों है महत्वपूर्ण?

लगभग दो मिलियन लोगों का घर, गोमा व्यापार, सुरक्षा और मानवीय प्रयासों के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र है. 2021 से, विद्रोहियों को शहर से दूर रखने के लिए पड़ोसी बुरुंडी के सैनिकों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों द्वारा डीआरसी बलों का समर्थन किया गया है.

M23 ने 2012 में कुछ समय के लिए गोमा को नियंत्रित किया था और अब यह एक बार फिर नियंत्रण में होने का दावा करता है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रवीना शमदासानी ने कहा कि विद्रोहियों के हाथों में जाने से 'लाखों नागरिकों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा, तथा उन पर मानवाधिकार उल्लंघन और दुर्व्यवहार का खतरा बढ़ जाएगा.'

कुल मिलाकर कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की हालत इसलिए भी बद से बदतर हो रही क्योंकि मुल्क में जो अशांति फैली है उसकी कीमत आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है.  देखना दिलचस्प रहेगा कि मुल्क की हालत में सुधार के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र क्या कदम उठाता है.   

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Rebels claim to have captured the key city of Goma in Democratic Republic of Congo is Rwanda invading?
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क्यों लड़ाई की चपेट में आया Democratic Republic of Congo?
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गोमा के बाहर डीआरसी सैनिकों की एक बड़ी संख्या को तैनात किया गया है
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क्यों गृहयुद्ध की चपेट में आया Democratic Republic of Congo, कैसे आक्रमण मोड में आया Rwanda?

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