भारत और कनाडा के बीच फैले गतिरोध में ब्रिटेन ने अवसर तलाश लिया है. जी हां बिलकुल सही सुना आपने. ब्रिटेन की तरफ से कहा गया है कि भारत को ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख नेता की हत्या की कनाडा की जांच में सहयोग करने की आवश्यकता है. ध्यान रहे ब्रिटेन की तरफ से ये 'मश्वरा' ठीक उस वक़्त आया है जब इस मुद्दे पर दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है.
भारत और कनाडा, जो नाममात्र के मित्र हैं, के बीच तनाव तब से बढ़ा जब जून 2023 में कनाडाई नागरिक और प्रमुख सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर को सरे में उस वक़्त कुछ नकाबपोश हमलावरों ने गोली मार दी, जब वो गुरूद्वारे से बाहर निकल रहे थे.
कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल सितंबर में भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि इस हत्या में भारत सरकार का हाथ है. वर्तमान में जैसा गतिरोध दोनों मुल्कों के बीच है भारत ने समस्त आरोपों को 'बेतुका' बताते हुए खारिज कर किया और कनाडा से अपने राजनयिकों को हटा लिया है.
बता दें कि कनाडा का शुमार उन मुल्कों में है जहां लगभग 770,000 सिख रहते हैं. कनाडा को लेकर कहा जाता है कि ये मुल्क पंजाब के बाहर सिखों की आबादी वाला देश है. वहीं जिक्र अगर भारत का हो तो पूर्व में भी कई मौके ऐसे आ चुके हैं जब दिल्ली ने खालिस्तान समर्थक आंदोलन का विरोध करने में विफल रहने के लिए वर्षों से ओटावा की आलोचना की है.
ध्यान रहे तमाम खालिस्तान समर्थक समय-समय पर भारत में एक अलग सिख राज्य की मांग करते आए हैं. कनाडा भारत गतिरोध में तनाव उस वक़्त बढ़ा जब अभी बीते दिन कनाडा ने भारत सरकार के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा सहित छह वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया.
उपरोक्त बातों के बाद सवाल खड़ा हो सकता है कि भारत और कनाडा के तनाव में आखिर ब्रिटेन क्यों अपनी रोटियां सेक रहा है? तो इस सवाल का जवाब बस इतना है कि भारत और कनाडा दोनों कॉमन वेल्थ का हिस्सा हैं, ब्रिटेन और कनाडा जी7 और नाटो में हैं और ब्रिटेन और भारत रक्षा साझेदारी और संभावित मुक्त व्यापार समझौते को साझा करते हैं.
डाउनिंग स्ट्रीट की मानें तो बीते दिन कीर स्टारमर और ट्रूडो ने एक-दूसरे से फोन पर बात की, जहां उन्होंने 'कनाडा में जांच के तहत आरोपों के संबंध में हाल के घटनाक्रमों' पर चर्चा की है. मामले पर ब्रिटेन के विदेश कार्यालय कहा है कि, 'हम कनाडा में स्वतंत्र जांच में उल्लिखित गंभीर घटनाक्रमों के बारे में अपने कनाडाई भागीदारों के संपर्क में हैं.
वहीं ये भी कहा गया है कि, ब्रिटेन को कनाडा की न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है. संप्रभुता और कानून के शासन का सम्मान आवश्यक है. कनाडा की कानूनी प्रक्रिया के साथ भारत सरकार का सहयोग अगला सही कदम है. '
गौरतलब है कि भारतीय एजेंटों द्वारा सिख कार्यकर्ताओं की हत्या का संदेह केवल निज्जर के मामले तक सीमित नहीं है. पिछले नवंबर में, एफबीआई ने कहा कि उसने सिख कार्यकर्ता नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की अमेरिका में एक भारतीय एजेंट द्वारा हत्या के प्रयास को विफल कर दिया है.
अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने एक अनाम भारतीय सरकारी अधिकारी की ओर से काम करने वाले एक भारतीय नागरिक पर आरोप लगाया है.एक ऐसे वक़्त में जब कनाडा को लेकर ब्रिटेन भारत को नसीहत कर रहा है दिलचस्प ये है कि भारत ने ब्रिटेन से ब्रिटेन स्थित सिख अलगाववादियों पर नज़र रखने के लिए कहा है.
बहरहाल जिक्र निज्जर का मुद्दा उठाकर इंडिया कनाडा गतिरोध में चौधरी बनते ब्रिटेन का हुआ है. ऐसे में हमारे लिए ये बता देना जरूरी हो जाता है कि निज्जर मुद्दे पर ब्रिटेन यूं ही कनाडा को समर्थन नहीं दे रहा है. इसके पीछे भी ब्रिटेन के राजनीतिक हित छुपे हुए हैं.
बता दें कि कनाडा के बाद सिखों की एक बड़ी आबादी यूके में वास करती है. इसलिए इस मुद्दे पर ब्रिटेन अपना जो भी पक्ष रखता है उसका सीधा असर वहां भविष्य में होने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है. इन बातों के बाद जिक्र अगर भारत का हो तो भारत पूर्व की तरह अपनी बातों पर डंटा है. भारत की तरफ से बार बार यही कहा जा रहा है कि वर्तमान में कनाडा खालिस्तान समर्थकों का पोषण करते हुए उन्हें पनपने के लिए जमीन मुहैया करा रहा है.
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