डीएनए हिंदी: Rajasthan Elections 2023 CM Candidates Names BJP- राजस्थान में विधानसभा चुनावों की मतगणना चल रही है. रविवार (3 दिसंबर) दोपहर तक सामने आए रुझानों में भाजपा बड़े अंतर से बहुमत हासिल कर सत्ता में लौटती दिख रही है. ऐसे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि राजस्थान में भगवा दल की तरफ से मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ कौन लेगा? क्या इस बार भी वसुंधरा राजे सिंधिया ही फिर से मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी या फिर भाजपा की तरफ से कोई नया चेहरा राज्य के इतिहास में एक नए मुख्यमंत्री के तौर पर उभरकर सामने आएगा. अब तक चल रही चर्चा के हिसाब से वसुंधरा राजे का ही दावा सबसे मजबूत है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर भगवा दल द्वारा राजस्थान में भी धार्मिक दांव खेलने जैसी अफवाहें भी हवा में जोरशोर से उड़ रही हैं. माना जा रहा है कि बाबा बालकनाथ को भाजपा अगले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण कराकर लोकसभा चुनाव में ध्रुवीकरण को मजबूती दे सकती है. साथ ही जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी का नाम भी चर्चा में है. माना जा रहा है कि राजसी परिवार के मुख्यमंत्री का चलन बरकरार रखने के लिए उन्हें मौका दिया जा सकता है. हालांकि उनका सियासी अनुभव उनके आड़े आ सकता है.

इन दो नामों के अलावा पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को भी होड़ में बताया जा रहा है. मेघवाल का दावा हालांकि इस लिहाज से कमजोर है कि वे SC समुदाय से आते हैं और राज्य में आज तक एक बार भी दलित मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है.

वसुंधरा का नाम सबसे ज्यादा मजबूत

भाजपा सूत्रों से मिल रहे संकेतों के हिसाब से अब तक वसुंधरा राजे का नाम ही मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे ज्यादा मजबूती से चल रहा है. वसुंधरा के पास राज्य की कमान संभालने का अनुभव है. साथ ही उनकी राज्य के वोटर्स पर खास पकड़ भी है. हालांकि आलाकमान वसुंधरा के नाम पर ज्यादा सहमत नहीं है. इसी कारण उन्हें चुनावों की घोषणा के बावजूद शुरुआत में पार्टी के कैंपेन में ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई थी, लेकिन इसका असर पार्टी समर्थकों की भीड़ पर पड़ते देखकर आखिरी पलों में वसुंधरा को एक्टिव किया गया था. पार्टी के पक्ष में एकतरफा दिख रहे रिजल्ट को वसुंधरा के एक्टिव होने का ही नतीजा माना जा रहा है. साथ ही राजनीतिक पंडितों का मानना है कि वसुंधरा ने भी एक्टिव होने से पहले आलाकमान से अपने फ्यूचर को लेकर पक्का वादा लिया है. आलाकमान भी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए फिलहाल शायद ही कोई रिस्क लेना चाहेगा. 

वसुंधरा ही कर रही बागियों से भी मुलाकात

भाजपा की तरफ से वसुंधरा राजे का नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर इसलिए भी ज्यादा चर्चा में है, क्योंकि वे ही मतदान के बाद से भी पार्टी के लिए खेमाबंदी में व्यस्त हैं. एग्जिट पोल्स में करीबी मुकाबला रहने और निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी संख्या में जीत की संभावनाओं के बाद वसुंधरा ने ही मोर्चा संभाला हुआ है. पिछले 4 दिन में वे निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ ही भाजपा के बागियों को भी पार्टी के पक्ष में करने के लिए उनसे मुलाकात कर रही हैं. माना जा रहा है कि वसुंधरा यह मेहनत आलाकमान से उन्हें ही अगला सीएम बनाए जाने का आश्वासन मिलने पर ही कर रही हैं. वसुंधरा मतगणना से एक दिन पहले राज्यपाल से मिलने भी पहुंची थी. इसे भी मतगणना के बाद बहुमत नहीं आने की स्थिति में राज्यपाल के अगले कदम को टटोलने की संभावना माना जा रहा है.

दीया कुमारी के साथ है जयपुर राजघराने का नाम

दीया कुमारी के साथ सबसे बड़ा पॉजिटिव पॉइंट उनके साथ जयपुर राजघराने का नाम जुड़ा होना है. वे पहले से ही सांसद हैं. उनके विधानसभा चुनाव में उतारने के साथ ही समर्थकों ने अगली 'वसुंधरा राजे' कहकर मुख्यमंत्री पद के लिए हवा बनानी शुरू कर दी थी. दीया कुमारी जयपुर जिले की विद्याधर नगर सीट से चुनाव मैदान में हैं, जो भाजपा का गढ़ मानी जाती है. दीया कुमारी को यहां से उतारने के लिए भाजपा ने मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी की सीट बदल दी. नरपत सिंह पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत के रिश्तेदार भी हैं, जिनके नाम पर भाजपा राजस्थान के कई इलाकों में वोट मांगती है. ऐसी सीट से दीया कुमारी को उतारने के कारण भी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा माने जाने की बात को हवा दे रहा है. 

बाबा बालकनाथ की है फायरब्रांड इमेज

अलवर के मौजूदा सांसद बाबा बालकनाथ फिलहाल तिजारा विधानसभा सीट से चुनाव में उतरे हुए हैं. बाबा बालकनाथ को उनकी हिंदुत्व से जुड़ी फायर ब्रांड इमेज के लिए राजस्थान का योगी आदित्यनाथ भी कहा जाता है. वे भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह हर समय भगवा चोले में ही रहते हैं. साथ ही वे OBC कैटेगरी से आते हैं, जो राजस्थान में सबसे बड़ा वोटबैंक है. इसके चलते ही उनका नाम भी मुख्यमंत्री के तौर पर होड़ में बताया जा रहा है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बाबा बालकनाथ ने अलवर सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भंवर जितेंद्र सिंह को एकतरफा मात दी थी. इससे ही वे सियासी गलियारों में मशहूर हुए. हालांकि उनके मुख्यमंत्री बनने की राह में विवादों से उनका करीबी नाता रहना बाधा बन सकता है. हाल ही में पुलिस थाने में घुसकर डीएसपी को धमकी देने के कारण वे बेहद विवादों में रहे थे.

राजस्थान में सीएम बनने का यह इतिहास भी जानिए

राजस्थान भले ही देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन यहां मुख्यमंत्री बदलने का चलन सबसे कम रहा है. यह माना जाता है कि राजस्थान के वोटर मजबूत मुख्यमंत्री ही देखना पसंद करते हैं. इसी कारण इस राज्य में पिछले 50 साल में महज 6 और पिछले 33 साल में महज 3 चेहरे भैरो सिंह शेखावत, वसुंधरा राजे सिंधिया और अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं. इन 6 मुख्यमंत्री में भी एक का कार्यकाल महज 15 दिन का ही रहा था. इससे यह समझा जा सकता है कि इस बार भी वसुंधरा राजे के नाम को ही ज्यादा तवज्जो क्यों दी जा रही है?

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राजस्थान में किसे बनाएगी BJP अगला सीएम? वसुंधरा बदलेगी या आ रहा नया चेहरा, जानें
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राजस्थान में किसे बनाएगी BJP अगला सीएम? वसुंधरा बदलेगी या आ रहा नया चेहरा, जानें सबकुछ

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