Parliament Rules: लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को संबोधित करते हुए नेता विपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोमवार को जो भी कहा, उस पर बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बार-बार सरकार को किसी ने किसी मुद्दे पर घेरते रहे, जिसका जवाब देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) समेत सात मंत्री जुटे रहे. हालांकि वे सफल नहीं हुए. राहुल गांधी ने भगवान शिवजी की तस्वीर से लेकर ईसाई क्रॉस तक सदन में लहराया तो उनके हिंसक हिंदू वाले कमेंट पर सदन के बाहर तक हंगामा हो गया. इस दौरान सत्ता और विपक्ष, दोनों तरफ से बार-बार संसदीय नियमों का जिक्र होता रहा. पार्लियामेंट रूल बुक दिखाई जाती रही, लेकिन राहुल गांधी करीब 1.45 मिनट तक अपने 'मन की बात' कहने में जुटे रहे. राहुल गांधी पर NDA सांसद संसदीय नियमों की अवहेलना करने का आरोप लगा रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि संसद में किसी भी सदस्य के बोलने से जुड़े नियम-कायदे कौन से हैं? चलिए हम आपको बताते हैं.


यह भी पढ़ें- Rahul Gandhi पर गुस्साए PM Modi, बोले- पूरे हिंदू समाज को हिसंक कहना गंभीर, Amit Shah भी भड़के 


सबसे पहले जानिए नियम 349 के बारे में

राहुल गांधी के भाषण के दौरान NDA सांसदों के हंगामे पर कांग्रेस ने किसी सदस्य के भाषण में बाधा नहीं डाले जाने के नियम का जिक्र किया. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने नियम 349 का जिक्र किया था. यह नियम क्या है, चलिए हम बताते हैं. दरअसल इस नियम में उन कायदों का जिक्र है, जिसका ध्यान किसी भी सांसद को सदन को संबोधित करते समय करना होता है. इसकी अलग-अलग उपधाराएं निम्न बातें कहती हैं-

  • नियम 349(1): इसके मुताबिक, सदन की कार्यवाही से संबंध नहीं रखने वाला अखबार या पत्र संबोधन के दौरान नहीं पढ़ा जा सकता है.
  • नियम 349(2): यह उपधारा सदन में किसी भी सांसद के बोलते समय अन्य लोगों को शांत रहने की ताकीद करती है. इसमें लिखा है कि भाषण के समय शोरशराबा नहीं किया जा सकता और ना बाधा डाली जा सकती है. 
  • नियम 349(12): इसके तहत कोई भी सांसद स्पीकर की कुर्सी को पीठ नहीं दिखा सकता है. ना बैठने के समय और ना ही खड़े होते समय वह स्पीकर को पीठ दिखाएगा. 
  • नियम 349(16): यह उपधारा राहुल गांधी के सदन में शिवजी की तस्वीर, ईसाई क्रॉस दिखाने को गलत ठहराती है. दरअसल इसमें है कि कोई भी सांसद सदन के अंदर झंडा, प्रतीक या कोई अन्य चीज पेश नहीं करेगा. 

यह भी पढ़ें- "...सरकार का घमंड तोड़ दिया", संसद में ये क्या बोल गए Mallikarjun Kharge!  


सदन में भाषण देने वाले पर लागू होती हैं ये चार नियम

सदन में भाषण देने वाले सदस्य को भी गरिमामय तरीके से ही अपनी बात रखनी होती है. इसके लिए संसदीय नियम-कायदों में व्यवस्था की गई है. नियम 352 से नियम 355 तक, चार नियमों में सदन में भाषण देते समय ध्यान रखी जाने वाली बातों का जिक्र किया गया है.


ये भी पढ़ें-सदन में भगवान शिव की फोटो लेकर पहुंचे Rahul Gandhi, फिर स्पीकर ने जो किया, वो कर देगा हैरान


क्या कहता है नियम 352?

नियम 352 के तहत हर सदस्य को सदन में भाषण देते समय किन बातों का ध्यान रखना है, उनका जिक्र किया गया है. नियम 352 (1) में हर सदस्य को भाषण के दौरान अदालत में लंबित मामलों के तथ्यों का जिक्र करने से रोका गया है, जबकि नियम 352 (2) में एक सांसद के दूसरे सांसद पर निजी हमला करने पर प्रतिबंध लगाया गया है. नियम 352 (3) कहता है कि संसद या राज्य विधानसभा की कार्यवाही पर आपत्तिजनक टिप्पणी सदन में भाषण देते समय नहीं की जा सकती है. नियम 352 (5) में किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति पर अपमानजनक टिप्पणी करने से रोक लगाई गई है. नियम 352 (6) में बहर या चर्चा के दौरान राष्ट्रपति के नाम का इस्तेमाल करे पर रोक लगाई गई है. नियम 352 (11) में बिना स्पीकर की अनुमति को सदन के अंदर लिखित भाषण पढ़े जाने पर भी रोक लगाई गई है यानी सांसद को अलिखित भाषण ही सदन में देना होगा.


यह भी पढ़ें- 'मुझसे मेरा घर छीना...', Lok Sabha में Modi सरकार पर बरसे राहुल गांधी  


नियम 353 और 354 में क्या है?

संसदीय नियमों में आपत्तिजनक कमेंट्स पर कई जगह रोक लगाई गई है. इनमें से एक नियम 353 भी है, जो यह कहता है कि कोई भी सांसद बिना स्पीकर से मंजूरी लिए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ अपमानजनक या आपत्तिजनक कमेंट नहीं कर सकता है. ना ही कोई आरोप लगाया जा सकता है. नियम 354 में संसद के दोनों सदनों के भाषण को भी अलग-अलग किया गया है. इसमें कहा गया है कि यदि राज्यसभा में कोई भाषण दिया गया है तो उसका जिक्र लोकसभा में तभी हो सकता है, जब वो किसी मंत्री ने दिया हो या किसी नीति से जुड़ा हो. नियम 355 में कहा गया है कि यदि चर्चा के दौरान कोई सांसद किसी अन्य सांसद से कोई जवाब चाहता है तो उसे अपना सवाल स्पीकर की कुर्सी के माध्यम से सदन की प्रक्रिया में पेश करना होगा. 


यह भी पढ़ें- अग्निवीर, किसान, हिंदू... राहुल गांधी ने BJP पर दागे ये 5 सवाल, हो गया हंगामा 


नियम 356 क्या है, जो रोक सकता था राहुल को?

राहुल गांधी के भाषण के दौरान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बार-बार नियम 356 का जिक्र किया. उन्होंने कई बार स्पीकर ओम बिरला से इस नियम के तहत राहुल का भाषण रोकने की मांग की. दरअसल ये नियम कहता है कि यदि कोई सदस्य भाषण के दौरान बार-बार गैर तथ्यात्मक और असंगत बात कर रहा हो या कोई ऐसी बात हो, जिसे साबित नहीं किया जा सकता तो स्पीकर उस सदस्य को भाषण बीच में ही रोकने का आदेश दे सकते हैं. 


यह भी पढ़ें- अयोध्या पर राहुल और योगी आमने-सामने, 1733 करोड़ के मुआवजे के सामने रखा डेटा 


ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.

Url Title
rahul gandhi lok sabha speech parliament proceeding rules Speaker om birla pm modi amit shah read explained
Short Title
शिवजी से हिंसक हिंदू तक, Rahul Gandhi के कमेंट्स पर निकली Rule Book, क्या हैं सं
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Rahul Gandhi के लोकसभा में भाषण पर जमकर बवाल हो रहा है. इसे संसदीय नियमों के खिलाफ बताया जा रहा है. (फोटो- PTI)
Caption

Rahul Gandhi के लोकसभा में भाषण पर जमकर बवाल हो रहा है. इसे संसदीय नियमों के खिलाफ बताया जा रहा है. (फोटो- PTI)

Date updated
Date published
Home Title

शिवजी से हिंसक हिंदू तक, Rahul Gandhi के कमेंट्स पर निकली Rule Book, क्या हैं संसदीय नियम

Word Count
1000
Author Type
Author