ईरान में राष्ट्रपति रईसी की मौत की पुष्टि हो गई, इसलिए आने वाला वक़्त ईरान के लिए बेहद नाजुक है. राष्ट्रपति रईसी ईरान में सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति थे. हालांकि खामेनेई ने हाल के घंटों में देश को आश्वस्त करने की भरपूर कोशिश की है, लेकिन मुल्क के हुक्मरान जानते हैं कि ये एक ऐसा खतरनाक क्षण है, जिसे खामेनेई को बहुत सावधानी से संभालना होगा.
चूंकि रईसी की मौत के बाद ईरान में उदासी की लहार है. संभव है कि दुनिया इस मुल्क में किसी बड़ी घटना की साक्षी बने. यदि ऐसा होता है तो इसे हैंडल करने के लिए रिवोल्यूशनरी गार्ड, जिसकी स्थापना 1979 में ठीक इसी उद्देश्य (आंतरिक गतिरोध को रोकने के लिए ) से की गई थी, की मदद ली जा सकती है. यानी ईरान की सियासत में शुरू होने वाले बगावती खेल में रिवोल्यूशनरी गार्ड की न केवल एक बड़ी भूमिका है. बल्कि निकट भविष्य में वो इस खेल में एक अहम खिलाड़ी भी हो सकता है.
ज्ञात हो कि हेलीकाप्टर हादसे में रईसी की मृत्यु के बाद ईरान में स्थिति न बिगड़े, इसलिए उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर के कंधों पर अतिरिक्त भार डाल दिया गया है. कहा यही भी जा रहा है कि अगले 50 दिनों में चुनाव कराकर ईरान को उसका नया राष्ट्रपति सौंप दिया जाएगा. लेकिन अगले 50 दिन और उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर का काम करने का तरीका कयास होगा इसपर अभी से पूरी दुनिया की नजर है.
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बताते चलें कि मोखबर सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के उतने करीब नहीं हैं, जितने रईसी थे. इसलिए मोखबर को काम करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. मगर क्योंकि मोखबर ने कई सालों तक खामेनेई के वित्त का प्रबंधन किया और ईरान को उस पर लगाए गए कई प्रतिबंधों से बचने में मदद की है. इसलिए हो ये भी सकता है कि इन 50 दिनों में वो अयातुल्ला अली खामेनेई का भरोसा जीत लें.
कौन होगा रईसी का वारिस?
ईरान की राजनीति को समझने वालों का मानना ये भी है कि रईसी का उत्तराधिकारी संभवतः सर्वोच्च नेता द्वारा चुना गया एक ऐसा उम्मीदवार होगा जो निश्चित रूप से अति-रूढ़िवादी कट्टरपंथी होगा. यहां ये समझना भी जरूरी है कि ईरान की सियासत में उदारवादी सत्ता सुख भोगें उसकी संभावना बहुत कम है. इसी तरह, हमें ईरान की विदेशी गतिविधियों या गाजा में युद्ध में भागीदारी में किसी महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
गौरतलब है कि 2022 में महसा अमिनी की मृत्यु के बाद हिजाब के मुद्दे पर ईरान की जनता सड़कों पर आई थी. इसलिए माना ये भी जा रहा है कि रईसी की मौत के बाद एक बार फिर ईरान की जनता उसी आंदोलन को मुद्दा बनाकर सड़कों पर आ सकती है.
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कौन उठाएगा ईरान में जारी गतिरोध का फायदा ?
ईरान की सियासत को समझने वाले इस बात के भी पक्षधर हैं कि ईरान के अंदर कई समूह ऐसे हैं जो सरकार की नीतियों से असंतुष्ट हैं, दिलचस्प ये कि इनमें इस्लामिक स्टेट की एक शाखा भी शामिल है जो ईरान में उपजे राजनीतिक गतिरोध का फ़ायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं.
ईरान में रईसी का कद कैसा था और कैसे उन्हें पॉलिटिकल माइलेज मिला यदि इसे समझना हो तो हम 2021 में हुए चुनाव का अवलोकन कर सकते हैं. उस चुनाव में केवल 41% मतदान हुआ था जो 1979 की क्रांति के बाद सबसे कम है. लेकिन बावजूद इसके उन्हें दूसरी बार राष्ट्रपति की शपथ दिलवाई गयी थी.
ईरानी सियासत में रईसी सार्वभौमिक रूप से लोकप्रिय व्यक्ति नहीं थे इसलिए कहा ये भी जा रहा है कि ईरान के अंदर कई लोग उनकी मृत्यु का जश्न मना सकते हैं.
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सर्वोच्च नेता खामेनेई को क्या क्या झेलना पड़ सकता है?
कहा ये भी जा रहा है कि रईसी की मृत्यु सर्वोच्च नेता के लिए भी एक बड़ा झटका है. रईसी को अयातुल्ला अली खामनेई की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी बनने के लिए दो प्रमुख दावेदारों में से एक माना जाता था. (ध्यान रहे दूसरे खमनेई के बेटे मोजतबा हैं)
बहरहाल हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि रईसी की मौत ने ईरान को फिर एक बार दो गुटों में बांट दिया है. मुल्क का एक वर्ग जो धार्मिक या फिर ये कहें कि रूढ़िवादी ईरानियों का है, उनके लिए रईसी की मृत्यु एक बहुत बड़ा झटका है. वहीं जो रईसी के विरोधी थे, वो इस बात के पक्षधर हैं कि उनके लिए रईसी एक ऐसे वयक्ति थे जो भले ही सर्वोच्च नेता खामेनेई के करीब रहे हों. मगर उनके हाथ बेगुनाहों के खून से रंगे थे.
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'उनके हाथ बेगुनाहों के खून से रंगे थे...,' खामेनेई के लिए दूध से जलने जैसी है रईसी की मौत