डीएनए हिंदी: Parliament News- दिल्ली में ब्रिटिश गुलामी के रंगों को स्वदेशी शामियाने से ढकने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 'सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट' का एक अहम पड़ाव आ चुका है. आगामी 28 मई को देश की संसद के नए भवन का उद्घाटन किया जाएगा. नए संसद भवन के निर्माण की घोषणा के समय से ही विपक्षी दल इसे लेकर मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं. मोदी सरकार से सवाल पूछे गए हैं कि मौजूदा संसद भवन का नवीनीकरण करने के बजाय नए भवन का निर्माण करने की क्या जरूरत थी? आइए आपको 6 पॉइंट्स में बताते हैं कि नए संसद भवन का निर्माण करने की जरूरत आखिर मोदी सरकार को क्यों पड़ी है.
1. दो सदन वाली विधायिका के लिए डिजाइन नहीं था मौजूदा भवन
वर्तमान संसद भवन ब्रिटिश औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसे 'काउंसिल हाउस' के रूप में डिजाइन किया गया था. इसका निर्माण 1927 में पूरा किया गया था. भारत की आजादी के बाद इसे ही देश के संसद भवन के रूप में परिवर्तित किया गया. मौजूदा भवन को पूर्णविकसित लोकतंत्र की दो सदन वाली विधायिका को समायोजित करने के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया था.
2. मूल डिजाइन उपलब्ध नहीं होने से मॉडिफिकेशन संभव नहीं
मौजूदा संसद भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज ब्रिटिश सरकार ने आजादी के समय भारत सरकार को नहीं सौंपा. इसके चलते इस भवन में मॉडिफिकेशन संभव नहीं है. इसमें जो भी नए निर्माण और संशोधन हुए हैं, वे सभी अस्थायी रूप से किए गए हैं. इसका उदाहरण मौजूदा संसद भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर वर्ष 1956 में निर्मित दो नई मंजिलों से लिया जा सकता है. इन मंजिलों के निर्माण के चलते सेंट्रल हॉल का गुंबद छिप गया और मूल भवन के आगे के हिस्से की शक्ल ही बदल गई. जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश कम हो गया.
3. सांसदों की संख्या बढ़ाने पर बैठाने की जगह नहीं
मौजूदा भारतीय संसद में 545 लोकसभा सांसद हैं. साल 1971 की जनगणना के आधार पर हुए परिसीमन पर आधारित यह संख्या विभिन्न संवैधानिक संशोधन अधिनियमों के मुताबिक स्थिर बनी हुई है. इस दौर में आबादी बहुत ज्यादा बढ़ी है. मौजूदा समय में हर सांसद औसतन 25 लाख नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है, जो भारतीय स्वतंत्रता के समय (लगभग 5 लाख आबादी पर एक सांसद) की तुलना में और दुनिया के अन्य लोकतंत्रों की तुलना में बहुत अधिक है. इसके चलते भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग उठी है. संसद सदस्य संख्या विस्तार पर पाबंदी समाप्त होने के बाद अगर साल 2026 में यह संख्या बढ़ाई जाती है तो उसके बाद आने वाले सांसदों को बैठाने के लिए मौजूदा भवन में पर्याप्त जगह नहीं है.
4. मौजूदा भवन है पहले ही बेहद ज्यादा दबाव में
वर्तमान संसद भवन विभिन्न कारणों से पहले ही अत्यधिक दबाव में है. इसकी संरचना का विस्तार से अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकला गया है कि यदि संसद की क्षमता का विस्तार करना है, इसके बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना है, इसकी भूकंप सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, तो पुराने भवन का मॉडिफिकेशन करने के बजाय नया संसद भवन ही आवश्यक होगा. मौजूदा भवन के निर्माण के समय दिल्ली भूकंप जोन-2 में आती थी, जबकि अब राष्ट्रीय राजधानी के भूगर्भ की हलचलों के आधार पर इसे ज्यादा संवेदनशील भूकंप जोन-4 में रखा गया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिल्ली की सतह पर बढ़ रहे बोझ से भूगर्भ की हलचलें और ज्यादा बढ़ी हैं, जिससे यह भूकंप जोन-5 में भी जा सकती है. मूल डिजाइन के दस्तावेजों के बिना मौजूदा भवन के ढांचे की संरचनात्मक मजबूती परखने के लिए बेधन परीक्षण नहीं किए जा सकते, जिससे इसकी भूकंपरोधी क्षमता का दावा नहीं किया जा सकता. नया संसद भवन पूरी तरह भूकंपरोधी बनाया गया है.
5. सेंट्रल हॉल में बैठाए जा सकते हैं केवल 436 लोग
मौजूदा संसद भवन की लोकसभा में अधिकतम 552 और सेंट्रल हॉल में अधिकतम 436 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है. ऐसे में जब लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है. संयुक्त सत्र के दौरान गलियारों में कम से कम 200 तदर्थ/अस्थायी सीटें जोड़ी जाती हैं जो कि सांसदों को गरिमाहीन बनाता है. आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है. मंत्रियों के कार्यालय और बैठक कक्ष, भोजन सुविधाएं, प्रेस कक्ष इत्यादि जैसी सुविधाएं अपर्याप्त हैं, इनके लिए अस्थायी व्यवस्था की आवश्यकता होती है जो हमेशा सुविधापूर्ण या सम्मानजनक नहीं होती है.
6. नए संसद भवन में की जा रही है ऐसी व्यवस्था
नए संसद भवन का निर्माण 862 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. इस चार मंजिला भवन को पूरी तरह भूकंपरोधी और आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण बनाया गया है. नए भवन के लोकसभा कक्ष में 1,272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है ताकि यहां दोनों सदनों का संयुक्त सत्र भी आयोजित हो सके. नए लोकसभा भवन में 888 सांसद सीट रखी गई हैं, जबकि 336 लोगों के बैठने का प्रबंध दर्शक दीर्घा गैलरी में होगा. राज्यसभा कक्ष में भी मौजूदा भवन की 280 सांसदों की क्षमता को नए भवन में बढ़ाकर 384 कर दिया गया है. सभी मंत्रियों के लिए नए भवन में कार्यालय बनाए गए हैं.
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