साल 2024 ख़त्म हो गया. साल 2025 की शुरुआत हो गई है. भले ही दुनिया एक दूसरे को नए साल की मुबारकबाद दे रही हो. लेकिन हैं ऐसे तमाम मुल्क, जिनके लिए 2025 भी 2024 जितना जटिल है. साथ ही उनके जीवन में ऐसा कुछ नहीं है कि वो उसके लिए खुशियां मन सकें.गर जो इस बात को समझना हो तो हम गाजा पट्टी का रुख कर सकते हैं जिन्हें हमास द्वारा फैलाए गए आतंकवाद की भारी कीमत अब भी चुकानी पड़ रही है. गाजा में फिलिस्तीनी 2024 की तरह ही असहाय और संकटग्रस्त होकर नए साल में प्रवेश कर रहे हैं.
गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, साल 2024 तक इजरायल द्वारा किये गए हमलों में 23,842 लोग मारे गए और 51,925 घायल हुए, जिससे आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 46,376 हो गई है.
इजरायल ने घेराबंदी और भूख से मरने की रणनीति के साथ-साथ झुलसी हुई धरती पर बमबारी का इस्तेमाल किया है. जिसके कारण अधिकार समूहों और संयुक्त राष्ट्र के कानूनी निकायों ने आरोप लगाया है कि अब जबकि गाजा के लोग बेहद दयनीय स्थिति में हैं. इजरायल नरसंहार को अंजाम दे रहा है.
वर्तमान में इजरायल, गाजा में किस हद तक बदला ले रहा है? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चाहे वो अस्पताल हों या फिर विस्थापन आश्रय, सहायता कर्मियों से लेकर पत्रकारों और तथाकथित सुरक्षित क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है.
इजरायल को जहां भी ये शक होता है कि वहां हमास के आतंकी छुपे हैं बम दाग कर उस पूरे इलाके का सफाया कर देता है. कुछ ऐसा ही हाल उत्तरी गाजा में भी देखने को मिलता है. जहां इजरायली सेना ने लड़ाकों को भूखा मारने और नागरिकों को बाहर निकालने से रोकने के लिए घेराबंदी की है, जिसे 'जातीय सफाया' कहा गया है.
ध्यान रहे कि तमाम अधिकार समूहों ने इजरायल के इस रवैये की तीखी आलोचना की है. कहा गया है कि इजरायल की ये रणनीतियां अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करती हैं और लोगों को 'पूरी तरह या आंशिक रूप से' मारने के लिए स्थितियां पैदा कर रही हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के जेनोसाइड कन्वेंशन में नरसंहार की परिभाषा से मेल खाती हैं.
तो कैसे हाल हैं गाजा के भीतर?
गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय के अनुसार, इजरायल ने गाजा में 34 अस्पतालों को 'निष्क्रिय' कर दिया है और 80 स्वास्थ्य केंद्रों को पूरी तरह से बंद करने के लिए मजबूर किया है. गाजा के कई कस्बों और शहरों के स्थान पर बने टेंट गांवों में मूसलाधार बारिश हो रही है. ठंड के तापमान में गिरावट जारी रहने के कारण हाइपोथर्मिया से मौतें बढ़ रही हैं.
इजरायल के इस रवैये पर स्थानीय लोगों का यही कहना है कि उन्हें मूलभूत सुविधाएं जैसे खाना पानी और दवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं. लोगों का यही मानना है कि इज़राइल ने उन्हें बर्बाद कर दिया है जिससे हर दिन वो बस मरने की उम्मीद कर रहे हैं.
नेतन्याहू ने लड़ाई को आगे बढ़ाया
भले ही गाजा में लोग तमाम तरह की कठिनाइयों के बीच जीवन जीने को मजबूर हों. लेकिन बावजूद इसके इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हमले को रोकने का कोई संकेत नहीं दे रहे हैं. संघर्ष विराम पर जैसा रवैया इजरायल का रहा है स्वयं बाइडेन ने इसे नेतन्याहू का राजनीतिक स्वार्थ बताया था और इसकी तीखी आलोचना की थी.
ध्यान रहे कि व्यक्तिगत लाभ के लिए गाजा पर युद्ध का फायदा उठाने के आरोप नेतन्याहू के रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी और सार्वजनिक विश्वास के उल्लंघन के आरोपों पर चल रहे मुकदमे से ध्यान हटाने के प्रयासों पर केंद्रित हैं, जिसे वे नकारते हैं.
इसके अलावा, प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार के मुकदमे से पता चलता है कि नेतन्याहू 7 अक्टूबर 2023 को हमास के नेतृत्व वाले हमले के दौरान लापरवाही या अक्षमता के आरोपों से ध्यान हटाने के लिए युद्ध को लंबा खींचने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें 1,139 इजरायली मारे गए थे.
अवसरवाद के आरोप नेतन्याहू के दक्षिणपंथी मंत्रिमंडल के भीतर से भी आए हैं, तथा सड़कों पर भी, जहां हजारों लोग उस समझौते के समर्थन में रैली निकाल रहे हैं, जिसके तहत हमास के नेतृत्व वाले हमले के दौरान बंधक बनाए गए लोगों को रिहा किया जाएगा.
गाजा नरसंहार पर अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय गाजा में नरसंहार को रोकने या कम करने में विफल रहा है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका द्वारा इजरायल के एन्क्लेव पर युद्ध के लिए बिना शर्त राजनीतिक और सैन्य समर्थन है.
युद्ध शुरू होने के बाद से इजरायल को प्रदान की गई 20 बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता के अलावा, अमेरिका ने युद्ध को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के भीतर कूटनीतिक प्रयासों को विफल कर दिया है, जिसमें उत्तरी गाजा में चल रहे संभावित अकाल की हाल की रिपोर्टों को दबाना भी शामिल है.
जनवरी में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इजरायल को आदेश दिया कि वह किसी भी ऐसे कृत्य को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करे जिसे नरसंहार माना जा सकता है. इसके बावजूद, फिलिस्तीन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थित अधिकार संगठनों, जिनमें एमनेस्टी भी शामिल है, ने निष्कर्ष निकाला है कि इजरायल ने पट्टी के भीतर नरसंहार के अभियान को सक्रिय रूप से शुरू कर दिया है.
हमास और इजरायली नेतृत्व दोनों के खिलाफ भी इसी तरह की अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की गई है. नवंबर में, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के साथ-साथ हमास नेता मोहम्मद डेफ के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया.
अक्टूबर में, इजरायल ने अंतरराष्ट्रीय दबाव को खारिज कर दिया और संयुक्त राष्ट्र की राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) पर प्रतिबंध लगाने के लिए मतदान किया, जिसे व्यापक रूप से गाजा की प्रमुख जीवन रेखाओं में से एक माना जाता है.
जब अगले साल जनवरी के अंत में प्रतिबंध लागू होगा, तो गाजा अपनी प्रमुख सहायता एजेंसी खो देगा और इसके साथ ही, भोजन, दवा और जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को वितरित करने वाला अधिकांश नेटवर्क भी खो देगा.
दिसंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने UNRWA के काम को जारी रखने के लिए भारी बहुमत से मतदान किया और तीसरी बार, तुरंत युद्ध विराम पर पहुंचने का फैसला किया। इसके बावजूद, गाजा पर इजरायली हमले जारी हैं और एजेंसी का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है.
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