डीएनए हिंदी: Pakistan Crisis- पाकिस्तान में आर्थिक संकट अब चरम स्तर पर पहुंच गया है. शाहबाज शरीफ की सरकार के पास कर्ज की किस्त चुकाने तक के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची है. ऐसे में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया लगातार गिरता जा रहा है. अब पाकिस्तानी रुपये ने डॉलर के मुकाबले अपना पिछले 75 साल का सबसे निचला स्तर भी छू लिया है. बृहस्पतिवार को पाकिस्तानी रुपये में करीब 9.67 फीसदी की गिरावट आई और उसके बाद रुपये का भाव 1 डॉलर के बदले 255.43 पाकिस्तानी रुपये पहुंच गया. पाकिस्तानी सरकार का सिरदर्द इसलिए बढ़ गया है, क्योंकि पाकिस्तानी रुपया इस रिकॉर्ड गिरावट पर भी थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में नकदी संकट में फंसी शरीफ सरकार के लिए एकमात्र सहारा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज के तहत मिलने वाला 6 अरब डॉलर के कर्ज ही दिख रहा है, जिस पर चर्चा के लिए IMF की टीम अगले 1-2 दिन में पाकिस्तान पहुंच रही है.
1999 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट
पाकिस्तानी रुपये में बृहस्पतिवार को डॉलर के मुकाबले 9.67 फीसदी या 24.54 रुपये की गिरावट आई, जो साल 1999 में न्यू एक्सचेंज रेट सिस्टम लागू होने के बाद एक दिन में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट है. यह गिरावट फॉरेन एक्सचेंज कंपनियों की तरफ से एक्सचेंज रेट पर लगाई गई कैप हटाने के एक दिन बाद हुई है. यह कैप साल 2018 में IMF की तरफ से बेलआउट पैकेज देने के लिए रखी गई शर्तों के तहत लगाई गई थी.
क्या है पाकिस्तानी रुपये में ताजा गिरावट का कारण
दरअसल पाकिस्तानी रुपये में डॉलर के मुकाबले गिरावट लंबे समय से हो रही है, लेकिन अब तक शरीफ सरकार ने इसे एक्चेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान की मदद से डॉलर रेट पर कैप लगाकर स्थिर रखा हुआ था. मंगलवार की रात को पाकिस्तान फॉरेक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मलिक बोस्तान ने यह कैप हटाने की घोषणा कर दी. बोस्तान ने BBC हिंदी से कहा कि यह कैप ब्लैक मार्केट, इंटरबैंक और ओपन मार्केट में डॉलर रेट के अंतर को खत्म करने के लिए लाया गया था, लेकिन इससे ब्लैक मार्केट में डॉलर की डिमांड और ज्यादा बढ़ गई. नतीजतन डॉलर रेट घटने के बजाय बेहद तेजी से बढ़ गए हैं.
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क्या हुआ है नुकसान
तेजी से गिरावट के कारण पाकिस्तानी करेंसी के 'दिवालिया' घोषित होने की अफवाह उड़ गई है. इसके चलते लोग अपने पास मौजूद पाकिस्तानी करेंसी को किसी भी तरह से डॉलर में बदलना चाहते हैं. इसलिए हर कोई डॉलर खरीद रहा है. जिन लोगों को इंटरबैंक मार्केट में डॉलर नहीं मिल रहे हैं, वे ब्लैक मार्केट का रुख कर रहे हैं. अब लोग डॉलर बेच नहीं रहे हैं, बल्कि केवल खरीद रहे हैं. इसके चलते ब्लैक मार्केट में डॉलर की डिमांड बेहद ज्यादा बढ़ गई है. यही कारण है कि वहां रेट इंटरबैंक रेट से भी कहीं ज्यादा हो गए हैं. इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि बृहस्पतिवार को जब इंटरबैंक मार्केट में 1 डॉलर के बदले 255 पाकिस्तानी रुपये की सर्वकालिक गिरावट दर्ज की गई, तब ओपन मार्केट में यह भाव 262 रुपये चल रहा था, वहीं ब्लैक मार्केट में यह भाव 20 से 30 रुपये ऊपर था.
बैंकों का बिजनेस हुआ बेहद कम
बोस्तान के मुताबिक, डॉलर की किल्लत इतनी ज्यादा है कि एक्सचेंज कंपनियों को भी डॉलर नहीं मिल रहे हैं. इसके चलते बैंकों का बिजनेस भी घट गया है. बैंकिंग रेमिटेंस 3 अरब डॉलर से घटकर 2 अरब डॉलर पर आ गया है. इंटरबैंक और ब्लैक मार्केट में रेट का बड़ा अंतर होने के कारण एक्सपोर्टर्स ने भी पैसा होल्ड कर लिया है, जबकि इंपोर्ट करने वालों को डॉलर नहीं मिल पा रहे हैं. इसके चलते पहले से ही ठप इकोनॉमी और ज्यादा गर्त में जाने के आसार बन गए हैं.
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